E-Pharmacy : संसद के मौजूदा सत्र में पेश हो सकता है बिल
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : E-Pharmacy : दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर लगेगा प्रतिबंध- क्या आने वाले समय ई-फार्मसी (e-pharmacy) बाजार के लिए मुश्किल साबित होने वाला है। देश में ऑनलाइन फॉर्मेसी बाजार (online pharmacy market) इन दिनों कडी चुनौती का सामना कर रहा है। इस वर्ष की शुरुआत में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने एक नोटिस जारी किया था। इस नोटिस का जवाब देने और अपने पक्ष में तमाम दलील पेश करने के बावजूद ई-फॉर्मेसी (e-pharmacy) पर नकेल कसने वाले विधेयक के लाए जाने की संभावनाओं को बल मिल रहा है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने पेश हो सकता है विधेयक
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक औषधि, चिकित्सा उपकरण और प्रसाधन सामग्री विधेयक, 2023 (The Drugs, Medical Devices and Cosmetics Bill, 2023) के मसौदे के नवीनतम संस्करण में एक ऐसा प्रावधान किया गया है, जो सरकार को अधिसूचना द्वारा किसी भी दवा की ऑनलाइन बिक्री या वितरण को विनियमित, प्रतिबंधित करने की शक्ति प्रदान करेगा। सूत्र बताते हैं कि इस विधेयक को चालू मानसून सत्र में संसद में पेश किए जाने से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने पेश करने की संभावना है।
पिछले मसौदे में थी ई-फॉर्मेसियों के संचालन की अनुमति
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विधेयक का नवीनतम संस्करण पिछले मसौदे से अलग है। तत्कालीन विधेयक सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए बीते वर्ष जारी किया गया था। इसमें ई-फार्मेसियों (e-pharmacy) के संचालन की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया था। जिसमें कहा गया है कि “कोई भी व्यक्ति स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति या अपनी ओर से सिवाय इसके कि निर्धारित तरीके के अलावा” किसी भी दवा को ऑनलाइन माध्यम से नहीं बचेगा, न ही स्टॉक करेगा, न ही प्रदर्शित करेगा, न ही बिक्री के लिए पेश करेगा, न ही वितरण कर सकेगा करेगा।
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फरवरी में डीसीजीआई ने जारी किया था नोटिस
डीसीजीआई (DCGI) ने फरवरी में अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट हेल्थ सहित ऑनलाइन दवा विक्रेताओं को एक नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में डीसीजीआई ने कहा था कि लाइसेंस के बिना विभिन्न मोबाइल एप्लिकेशन सहित ऑनलाइन, इंटरनेट या अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्मों के जरिए दवाओं की बिक्री, स्टॉकिंग, प्रदर्शन या वितरण की पेशकश से दवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होने की संभावना है। इससे स्व-दवा (self-medication) या दवाओं के अंधाधुंध उपयोग बढेगा।
इस तरह का दुरुपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए किसी भी कंपनी को दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया गया था। डीसीजीआई ने नोटिस जारी होने के दो दिनों के भीतर कंपनियों से यह कहते हुए जवाब मांगा कि जवाब नहीं देने वाली कंपनियों पर कार्रवाई हो सकती है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry of Health) के सूत्रों के हवाले से जारी एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी कंपनी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूकि सरकार संशोधित मसौदा विधेयक (Revised Draft Bill) में एक प्रावधान के जरिए दवाओं की ऑनलाइन बिक्री (online sale of medicines) पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है।
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अधिसूचना ला सकती है सरकार
एक मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बे-नाम वरिष्ठ अधिकारी का हवाला देते हुूए कहा गया है कि सरकार ने प्रमुख समस्या क्षेत्रों को देखते हुए दवाओं की ऑनलाइन बिक्री (online sale of medicines) को प्रतिबंधित करने का मन बनाया है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार अधिसूचना ला सकती है।
कार्रवाई के पक्ष में है एआईओसीडी
भारत में फार्मासिस्टों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) भी ई-फार्मेसियों (e-pharmacy) की तथाकथित अवैध व्यापार प्रथाओं और प्रिडेंटरी का विरोध कर रहा है। यहां बता दें कि एआईओसीडी भारत में लगभग 12.5 लाख फार्मासिस्टों का प्रतिनिधित्व करता है। एआईओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल के मुताबिक, वह चाहते हैं कि सरकार शीघ्र ऑनलाइन फार्मेसी के खिलाफ कार्रवाई करे।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के वरिष्ठ सदस्य डॉ. आर. वी. अशोकन के मुताबिक चिकित्सा समुदाय में इस बात को लेकर चिंता है कि ड्रग कार्टेल चिकित्सकों का उपयोग अवैध रूप से कर सकते हैं। एक डिजिटल न्यूज वेबसाइट से बातचीत करते हुए डॉ. अशोकन ने कहा कि डॉक्टरों का इस्तेमाल कदाचार में होने की संभावना बढ सकती है।
भारत में कितना है ई-फार्मेसी का आकार
देश में ई-फार्मेसी के संबंध में अबतक जो अनुमान लगाए गए है, उसके मुताबिक देश में ई-फार्मेसी के बाजार का आकार (Market size of e-pharmacy) 2022 में 30 बिलियन डॉलर था। यह लगभग 40 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से विकसित हो रहा है। बीते वर्ष में इस क्षेत्र ने टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट, सिकोइया कैपिटल, टेमासेक और प्रोसस जैसे वैश्विक निवेशकों के अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा समूह जैसे औद्योगिक समूहों से बड़े निवेश को आकर्षित किया। इन्होंने नेटमेड्स और 1 एमजी जैसी कंपनियों में निवेश किया।
E-Pharmacy : दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर लगेगा प्रतिबंध
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