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रूमेटायड अर्थराइटिस की प्रभावी दवा बनाने के करीब पहुंचे विशेषज्ञ

एम्स कर रहा है रूमेटायड अर्थराइटिस के उपचार के लिए प्रभावी दवा की खोज

रूमेटायड अर्थराइटिस की प्रभावी दवा बनाने के करीब पहुंचे विशेषज्ञ
रूमेटायड अर्थराइटिस की प्रभावी दवा बनाने के करीब पहुंचे विशेषज्ञ
नई दिल्ली।टीम डिजिटल :
जोडों में दर्द से पीडित रूमेटायड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) से पीडित मरीजों के लिए बेहद आशाजनक और बेहतर खबर सामने आई है। रूमेटायड अर्थराइटिस के उपचार के लिए जिस प्रभावी दवा (effective medicine for rheumatoid arthritis) की खोज में विशेषज्ञ दशकों से जुटे थे, लगता है वह खोज नई दिल्ली एम्स (Aiims New Delhi) में पूरी होगी। एम्स के फॉर्माकोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों का दावा है कि वह रूमेटायड अर्थराइटिस की ऐसी प्रभावी दवा तैयार करने के बेहद करीब हैं, जो पूरी तरह सुरक्षित होगा और इससे साइड इफेक्ट का जोखिम भी नहीं रहेगा।

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एम्स में की गई दवा की प्री- क्लिनिकल ट्रायल में उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। एम्स के विशेषज्ञों ने इस दवा के इस्तेमाल के लिए एथिकल क्लीयरेंस की मंजूरी मांगी है। मंजूरी मिलते ही इस दवा के ह्यूमन ट्रायल (Human Trial) का रास्ता साफ हो जाएगा। अगर आगे के परिक्षणों में भी दवा दावों पर खडी उतरी तो यह दुनिया की पहली ऐसी दवा होगी, जिससे रूमेटायड अर्थराइटिस की समस्या को क्योर करना संभव हो जाएगा।

औषधीय पौधों से तैयार की गई है दवा :

रूमेटायड अर्थराइटिस की प्रभावी दवा बनाने के करीब पहुंचे विशेषज्ञ
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इस दवा को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के फॉर्माकोलॉजी विभाग ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की मदद से तैयार की है। खास बात यह है कि यह दवा औषधीय पौधों से तैयार किया गया है। दवा को विकसित करने में सुरंजन, हड़जोड़, दारु हल्दी और धनिया के पौधों का इस्तेमाल किया गया है। फार्माकोलॉजी विभाग के इस शोध को इंडियन जर्नल ऑफ फॉर्माकोलॉजी में फरवरी-2016 के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। 

छह वर्षों से चल रहा है शोधकार्य :

रूमेटायड अर्थराइटिस की प्रभावी दवा बनाने के करीब पहुंचे विशेषज्ञ
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शोध में शामिल फॉर्माकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. वाईके गुप्ता और डॉ. सुरेंद्र सिंह के मुताबिक यह शोध पिछले छह वर्षों से की जा रही है। जिसका मकसद रूमेटायड अर्थराइटिस की प्रभावी दवा विकसित करना है। शोध के परिणाम बेहद उत्साहजनक और सकारात्मक पाए गए हैं। प्री-क्लीनिकल ट्रायल में सफलता से शोधकर्ता टीम बेहद उत्साहित है। अब आगे के परिक्षण के लिए एथिकल क्लीयरेंस के लिए आवेदन किया गया है।
मंजूरी मिलते ही दवा का मानवीय परक्षिण शुरू किया जाएगा। इसके बाद यह दवा बाजार में उपलब्ध होगी। डॉ. सुरेंद्र सिंह के मुताबिक अभी तक रूमेटायड अर्थराइटिस के उपचार के लिए प्रभावी और कारगर दवा उपलब्ध नहीं है। चिकित्सक जोड़ों के दर्द से राहत, दर्द कम करने और शरीर में इम्यून पावर को संतुलित करने के लिए जो दवा देते हैं, उनका काफी दुष्प्रभाव भी होते हैं। इन दवाओं के दुष्प्रभाव से अन्य कई बीमारियों का जोखिम बढ जाता है। 

चूहों के समूह पर किया गया अध्ययन :

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शोधकर्ताओं के मुताबिक दवा को विकसित करने की प्रक्रिया के तहत चूहों के समूह पर अध्ययन किया गया। पहले चूहों में केमिकल के माध्यम से जोड़ों का दर्द विकसित किया गया और इसके बाद पीडित चूहों के जोडों की अल्ट्रासाउंड जांच की गई। इसके बाद चूहों के पीडित समूह को विशेषज्ञों द्वारा विकसित की गई दवा दी गई। जब दवा के प्रभाव के संबंध में आगे की जांच की गई तो विशेषज्ञों ने पाया कि दवा से चूहों के जोडों का दर्द काफी हद तक ठीक हो गया। 

अंतरराष्ट्रीय फोरम से सहमति :

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शोध में शामिल चिकित्सक के मुताबिक दवा के शोध को लेकर अंतरराष्ट्रीय फोरम से बातचीत की गई। बातचीत से यह नतीजा निकला कि मौजूदा परिदृष्य में रूमेटायड अर्थराइटिस के उपचार की प्रभावी और दुष्प्रभाव मुक्त दवा उपलब्ध नहीं है। कुलमिलाकर यह बात सामने आई कि फोरम से जुड़े देशों में ऐसी कोई दवा उपलब्ध नहीं है, जो एम्स विशेषज्ञ तैयार कर रहे हैं। शोध की अनुमति इस बातचीत के बाद ही दी गई।
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अगर ह्यूमन ट्रायल में शोधकर्ता सफल होते हैं तो भारत ऐसा पहला देश बन जाएगा जहां के विशेषज्ञों ने लाइलाज रूमेटायड अर्थराइटिस की प्रभावी दवा विकसित करेंगे। इस दवा की सफलता से लाखों रूमेटायड अर्थराटिस मरीजों को राहत मिलेगी।

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Photo : freepik

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