Free Treatment in Private Hospitals : 61 प्राइवेट अस्पतालों में करा सकते हैं मुफ्त उपचार
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Free Treatment in Private Hospitals : दिल्ली के इन प्राइवेट अस्पतालों में मिलेगा मुफ्त उपचार- क्या आपको पता है कि दिल्ली में कई ऐसे बडे और नामचीन अस्पताल हैं, जहां मुफ्त में उपचार (Free Treatment in Delhi) कराया जा सकता है। ऐसे ऊंची ईमारतों वाले बडे-बडे अस्पताल में इलाज कराने का सामान्य तौर पर यह मतलब होता है कि जेब से लाखों रुपए निकल जाना।
ऐसे में एक कम आय वाला व्यक्ति इन अस्पतालों में तभी उपचार करा पाएगा, जब उसके पास स्वास्थ्य बीमा की सुविधा हो लेकिन जिसके पास स्वास्थ्य बीमा की सुविधा नहीं है और उसका आय भी इतना नहीं है कि वह ऐसे अस्पताल की फीस भर सके तो क्या ऐसे में भी कोई व्यक्ति इन अस्पतालों में उपचार करवाने की भला सोच भी सकता है क्या? तो इसका सीधा और स्पष्ट जवाब है हां… ऐसे लोग भी इन अस्पतालोें में अपना उपचार करवा सकते हैं, वो भी एकदम मुफ्त। यह भला संभव कैसे होगा? तो आपकी सभी जिज्ञाशाओं का यहां हम विस्तार से जवाब देने जा रहे हैं।
राजधानी दिल्ली में सर गंगाराम, बीएलके, मैक्स, धर्मशिला, नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट जैसे 61 अस्पताल हैं, जहां कमजोर आय वर्ग वाले मरीज (EWS Patients) निशुल्क उपचार (Free Treatment) करवा सकते हैं।
आइडेंटिफाइड प्राइवेट अस्पतालों में EWS के लिए निशुल्क उपचार की व्यवस्था
दिल्ली हाईकोर्ट फ्री बेड इंस्पेक्शन कमेटी के सदस्य सोशल ज्यूरिस्ट अशोक अग्रवाल के मुताबिक दिल्ली में 61 प्राइवेट अस्पताल आइडेंटिफाइड प्राइवेट अस्पताल (Identified Private Hospital) की श्रेणी में आते हैं, इनमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लोगों के लिए फ्री इलाज (Free Treatment) की सुविधा मिलती है। ऐसा नहीं है कि निशुल्क उपचार केवल दिल्लीवासियों को ही मिलेगा बल्कि देश के किसी भी राज्य से आने वाला EWS Patient यहां निशुल्क चिकित्सा का लाभ पाने का हकदार है।
ऐसा इसलिए क्योंकि ये सभी अस्पतालों का निर्माण सरकारी जमीनों पर किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ऐसे अस्पतालों को 10 फीसदी आईपीडी, 25 फीसदी ओपीडी EWS मरीजों के लिए आरक्षित कर उन्हें निशुल्क उपचार देना होगा। केवल इतना ही नहीं इन अस्पतालों को मरीजों के लिए वॉक इन और वॉक आउट की भी व्यवस्था करनी होगी।
ऐसे हुई इस व्यवस्था की शुरूआत
अशोक अग्रवाल के मुताबिक यह सुविधा वर्ष 2002 में दिल्ली हाईकोर्ट के पहले आदेश से शुरू हुई थी। 15 नवंबर 2002 को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में यह कहा था कि सरकारी भूमि पर निर्मित अस्पतालों को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निशुल्क उपचार (Free Treatment) देने होगा। हाईकोर्ट के इस आदेश को लेकर दिल्ली के कुछ अस्पतालों ने यह तर्क दिया कि जमीन देते हुए सरकार ने मुफ्त उपचार की शर्त नहीं रखी थी। ऐसे में उनपर भला मुफ्त उपचार देने का दवाब कैसे बनाया जा सकता है।
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अपने इस तर्क के साथ अस्पताल प्रबंधनों ने कानूनी पहल की और वे केस जीतने में कामयाब रहे। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया और वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश मेें यह स्पष्टतौर पर कह दिया कि सरकार के पास यह अधिकार है कि वह ऐसे मामलों में दखल दे सकती है और जरूरत के मुताबिक नए नियम एवं शर्तों को भी लागू कर सकती है। इसलिए सरकारी भूमि पर बनाए गए सभी अस्पतलों में EWS patients को निशुल्क उपचार (Free Treatment) देना होगा।
जो भी अस्पताल इस आदेश को नहीं मानेगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यहां बता दें कि मैक्स अस्पताल, गंगाराम अस्पताल, बीएल कपूर मेमोरियल अस्पताल, इंडियन स्पाइन इंजरी सेंटर, नेशनल चेस्ट इंस्टीट्यूट, राष्ट्रीय हृदय संस्थान धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, एक्शन कैंसर अस्पताल सहित 61 नामचीन अस्पतालों में आर्थिक रूप से लाचार मरीजों के लिए निशुल्क उपचार (Free treatment for financially weak patients) की व्यवस्था है।
EWS Patients के लिए इस तरह के हैं इंतजाम
61 अस्पतालों में ऐसे फ्री बिस्तरों की संख्या 1 हजार के आसपास है। इसके अलावा ये सभी अस्पताल 25 प्रतिशत के हिसाब से ओपीडी में करीब 3-4 हजार मरीजों को निशुल्क चिकित्सकीय परामर्श भी उपलब्ध करा सकते हैं।
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कितनी आय वालों को मिलता है निशुल्क उपचार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दिल्ली में एक अकुशल मजदूर की आय के बराबर या उससे कम जिस व्यक्ति की पारिवारिक आय होगी, वह अपने परिवार सहित इन अस्पतालों में निशुल्क उपचार (Free Treatment) ले सकता है। यहां बता दें कि राजधानी में दिल्ली सरकार के अनस्किल्ड वर्कर की मासिक आय (Monthly income of unskilled worker in delhi) 17234 रुपये है। जिन लोगों को भी इससे कम आय है, वे सभी इन प्राइवेट अस्पतालों में निशुल्क उपचार (Free treatment in private hospitals) प्राप्त कर सकते हैं।
निशुल्क उपचार के लिए इन कागजातों का होना है जरूरी
अशोक अग्रवाल के मुताबिक एपीएल या बीपीएल राशन कार्ड, जिसमें सालाना आय 1 लाख से कम दर्ज हो या फिर दिल्ली के अकुशल मजदूर से कम मासिक आय का इनकम सर्टिफिकेट (income certificate for free treatment) निशुल्क उपचार की प्रक्रिया के तहत मान्य है। अगर किसी मरीज को इमरजेंसी हालत में भर्ती किया गया है और उसके पास ऐसा कोई कागजात उपलब्ध नहीं है, जब वह व्यक्ति उस अस्पताल में एक डिक्लेरेशन फॉर्म भरकर अपना उपचार निशुल्क करवा सकता है।
इस डिक्लेरेशन पेपर के आधार पर अस्पताल मरीज को भर्ती कर सकता है। इसके बाद प्राइवेट अस्पताल सरकारी लिंक अस्पताल को मरीज के कागजातों को जांच के लिए भेज सकता है। कोई भी अस्पताल कागजातों की अनउपलब्धता के आधार पर किसी EWS Patient को इलाज से मना नहीं कर सकता।
उपचार करने से अस्पताल करें आनाकानी तो करिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल
अब सवाल यह है कि तमाम नियम और शर्तों के बाद भी अगर कोई अस्पताल किसी EWS Patient को निशुल्क उपचार देने से मना कर दे तब ऐसे में क्या किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज तत्काल इसकी शिकायत डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विस दिल्ली सरकार (Director of Health Services, Government of Delhi) को ईमेल या ट्वीट के जरिए कर सकता है।
दोषी पाए जाने पर किस तरह की होती है कार्रवाई
अगर किसी अस्पताल के खिलाफ शिकायत सही पाई जाती है, तो सरकार इनका मैनेजमेंट टेकओवर कर सकती है। इसके अलावा जमीन देने वाली सरकारी एजेंसी दोषी अस्पताल प्रबंधन से अपना जमीन वापस ले सकती है। कार्रवाई के तीसरे विकल्प के तहत दोषी अस्पताल पर कंटैम्पट ऑफ कोर्ट के तहत मामला भी दर्ज किया जा सकता है।
Free Treatment in Private Hospitals : दिल्ली के इन प्राइवेट अस्पतालों में मिलेगा मुफ्त उपचार
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