gender reconstruction surgery से संभव हुआ असंभव
नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
गायत्री एक महिला थी लेकिन उसके महिला शरीर में एक पुरुष का दिन धडकता था। वह अपनी महिला शरीर में असहज महससू कर रही थी। लंबे समय से उसका मन महिला के शरीर से आजाद होने के लिए बेचैन था। फिर सर्जिकल चमत्कार (gender reconstruction surgery) से वह संभव हुआ, जिसका उसे लंबे समय से इंतजार था। महिला से पुरुष बनी गायत्री अब महेश है और उसकी शादी शालीनी से हुई है।
gender reconstruction surgery से यह कहानी जैसा लगने वाला वाकिया एकदम सच साबित हुआ है। यह कमाल सर्जिकल चमत्कार से संभव हो पाया है। मेडिकल कारीगरी का यह हैरान करने वाला नमूना sir gangaram hospital, new delhi के सर्जनों ने कर दिखाया है।
ऐसे सच हुई महिला से पुरूष बनने की कहानी (story of woman to man)
उत्तर प्रदेश की निवासी 34 वर्षीय गायत्री (बदला हुआ नाम) ने अपनी इस चाहत को हकीकत में बदलने के लिए हर जानकारी जुटानी शुरू कर दी। इसी दौरान उसे पता चला कि जो वह सोच रही है, वैसा सच में भी संभव है। इसके बाद उसने पुरुष बनने की इच्छा के साथ वह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में पहुंची। उसने पहले चिकित्सकों से बातचीत की और फिर उसके बाद जरूरी जांचों का सिलसिला शुरू हुआ। जांच के दौरान डॉक्टरों को पता चला कि गायत्री का शरीर महिला का तो है लेकिन वह मानसिक रूप से एक पुरूष है। मेडिकल भाषा में इस स्थिति को जेंडर डिस्फोरिया (gender dysphoria) कहते हैं।
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सर्जरी करा पहले ही प्रजनन अंगों को निकलवा लिया
गायत्री पुरुष का शरीर अपनाने के लिए पूरी कोशिश में जुटी थी और sir gangaram hospital में संपर्क करने से छह वर्ष पहले ही उसने सर्जरी के माध्यम से अपने गर्भाशय, स्तन, अंडाशय और योनि को हटवा लिया था। यह सर्जरी उसने वर्ष 2017 में करवाई थी। इसके बाद वर्ष 2016 से ही पुरुष हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (hormone replacement therapy) ले रही थी। सर गंगा राम अस्पताल में पहुंचने के बाद जांच में डॉक्टरों ने गायत्री में वह सभी लक्षण पाया जो एक पुरूष में मौजूद होते हैं। उसकी दाढ़ी थी, छाती पर बाल, पुरुषों वाली आवाज और पुरुषों जैसे व्यवहार थे।
डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी के विशेषज्ञों ने किया यह कमाल
डिपार्टमेंट ऑफ़ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जरी (Department of Plastic and Cosmetic Surgery) के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. भीम सिंह नंदा (Doctor bheem singh nanda के मुताबिक उन्होंने टिश्यू ट्रांसफर की अत्याधुनिक माइक्रो-सर्जिकल तकनीक (micro-surgical techniques) का इस्तेमाल किया। इसकी मदद से उन्होंने गायत्री को पूर्ण रूप से पुरुष में बदलने के लिए शिश्न (पुरुष लिंग) का पुनर्निर्मान (reconstruction) उसके हाथ पर करने का निर्णय लिया।
चिकित्सकों का उद्देश्य मरीज को अच्छा आकार, लंबाई, मूत्रमार्ग और अंग में जरूरी संवेदना देना था। इसके लिए उपलब्ध अन्य तकनीकों में से डॉक्टरों ने शिश्न (लिंग) पुनर्निर्माण के लिए हाथ और कलाई (फोरआर्म) को डोनर के रूप में चुना। डॉक्टरों के मुताबिक यह एक चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी क्योंकि शिश्न (लिंग) को बांह की कलाई पर धमनियों और सभी महत्वपूर्ण नसों को बचाते हुए रीकंस्ट्रक्ट करना था। इसके बाद अगला कदम पुनर्निर्मित लिंग को मरीज के गुप्तांग की जगह में प्रत्यारोपित करना था।
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डॉ. नंदा के मुताबिक दूसरी चुनौती नए अंग को मूत्रमार्ग (मूत्रनली) से जोड़ने की थी। फिर नए अंग में रक्त के प्रवाह को फिर से शुरू करने के लिए धमनियों को जोड़ना था। अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कदम नए अंग में उत्तेजना प्रदान करने वाले नसों के साथ उसे जोड़ना था, जो बाद में लिंग प्रत्यारोपण (gender reconstruction surgery) और यौन संतुष्टि के लिए सबसे महत्वपूर्ण पूर्व-आवश्यकता है।
डॉक्टर के मुताबिक यह एक सफल सर्जरी थी, जिसमें न्यूनतम खून का नुकसान हुआ और पूरी प्रक्रिया में 8 घंटे लगे। सर्जरी के 6 हफ्ते बाद मरीज पूरी तरह से पुरुष में तब्दील हो चुकी है। नया अंग पूरी तरह फंक्शनल है और अब गायत्री महेश बन चुकी है। वह पुरुषों की तरह ही अब व्यवहार करती है और उसकी शादी भी हो चुकी है।
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