80 प्रतिशत मामलों में Glaucoma का पता नहीं चलता
Glaucoma : ग्लूकोमा आंखों को प्रभावित करने वाली बीमारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि 80 प्रतिशत मामलों में ग्लूकोमा (Glaucoma) का पता ही नहीं चल पाता है। ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है जो ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करती है। ग्लूकोमा भारत में अंधेपन का तीसरा सबसे आम कारण है।
भारत में 40 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 11.2 मिलियन लोग को ग्लूकोमा से प्रभावित हैं (About 11.2 million people aged 40 years and above are affected by glaucoma in India.)। इनमें से केवल 20 प्रतिशत लोगों को ही इससे पीडित होने की जानकारी है। बताए गए आंकडों से अधिक भी इन मरीजों की संख्या हो सकती है।
ग्लूकोमा बेहद साइलेंट तरीके से इंसान को प्रभावित करत है। ऐसे इसलिए क्योंकि इसके प्रारंभिक लक्षण नहीं होते हैं। यह अपरिवर्तनीय अंधेपन का प्रमुख कारण भी है। दुनिया भर में 80 मिलियन से अधिक लोग ग्लूकोमा से प्रभावित हैं (More than 80 million people worldwide are affected by glaucoma.)।
ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाता है Glaucoma
दिल्ली आई सेंटर और सर गंगा राम अस्पताल नई दिल्ली में वरिष्ठ कॉर्निया और नेत्र सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. इकेदा लाल के मुताबिक, “ग्लूकोमा आंखों की स्थितियों का एक समूह है, जो ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है। जिससे धीरे-धीरे दृष्टि हानि होती है। ग्लूकोमा आम तौर पर अपने शुरुआती चरणों में कोई लक्षण नहीं दिखाता है।
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जिससे प्रारंभिक निदान के लिए नियमित आंखों की जांच महत्वपूर्ण हो जाती है। हालांकि, जैसे-जैसे समस्या बढ़ती है, धुंधली दृष्टि, कम रोशनी के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई, परिधीय (साइड) दृष्टि कम होना और रोशनी के चारों ओर प्रभामंडल देखने का अनुभव हो सकता है। कुछ रोगियों को आंखों में दर्द और सिरदर्द का भी अनुभव हो सकता है। यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो व्यापक नेत्र परीक्षण के लिए नेत्र चिकित्सक को दिखाना महत्वपूर्ण है।
आंखों की रोशनी प्रभावित होती है तब चलता है पता
एम्स (Aiims) के आर.पी. सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज (RP Center for opthalmic sciences) के प्रोफेसर डॉ. रोहित सक्सेना के मुताबिक, “ग्लूकोमा के अधिकांश रोगियों को अपनी बीमारी के बारे में पता नहीं होता है क्योंकि शुरू में इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं।
उन्हें इसकी जानकारी तब होती है, जब एडवांस स्टेज में वे दृष्टि खोने लगते हैं। हालांकि, ग्लूकोमा मुख्य रूप से मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्गों को प्रभावित करता है लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है।
ग्लूकोमा में दृष्टि हानि (Vision loss in glaucoma) ऑप्टिक तंत्रिका की क्षति (Optic nerve damage) के कारण होती है, जो मस्तिष्क के लिए आंखों से चित्र लेने के लिए जिम्मेदार होती है। दृष्टि हानि जीवन की कम गुणवत्ता और दैनिक जीवन की गतिविधियों को करने की क्षमता में कमी से जुड़ी हो सकती है। जिसमें स्वतंत्रता की हानि, प्रतिबंधित गतिशीलता, अवसाद और चिंता शामिल है।”
उन्होंने आगे कहा कि बढ़ती उम्र के साथ ग्लूकोमा अधिक आम हो जाता है। पारिवारिक इतिहास और आनुवांशिकी एक भूमिका निभाते हैं, जिन व्यक्तियों के रिश्तेदार ग्लूकोमा से प्रभावित होते हैं, वे अधिक जोखिम में होते हैं। ग्लूकोमा में योगदान देने वाले अन्य कारकों में उच्च आंखों का दबाव, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी कुछ चिकित्सीय स्थितियां और स्टेरॉयड का लंबे समय तक उपयोग, विशेष रूप से नियमित निगरानी के बिना शामिल हैं।
उपलब्ध नहीं है प्रभावी उपचार
डॉ. इकेदा लाल के मुताबिक, “हालांकि ग्लूकोमा का कोई पूर्ण इलाज नहीं है (There is no complete cure for glaucoma) लेकिन इसका शीघ्र निदान बहुत जरूरी है। इससे आगे दृष्टि हानि को रोकने में मदद मिल सकती है।
उपचार के विकल्पों में इंट्राओकुलर दबाव (Intraocular pressure) कम करने के लिए आई ड्रॉप, मौखिक दवाएं, लेजर थेरेपी या गंभीर मामलों में सर्जरी शामिल हो सकती है। शीघ्र पता लगाने और उपचार के अनुपालन से, ग्लूकोमा से दृष्टि को बचाया जा सकता है। जिससे ऐसे मरीजों को अपने पूरे जीवनकाल में अच्छी दृष्टि मिल सकती है। इसलिए इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है।
परिवार में किसी को है तो सतर्क रहें अन्य सदस्य
40 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों, विशेष रूप से जिनके परिवार में ग्लूकोमा का इतिहास है, उन्हें हर साल आंखों की व्यापक जांच करानी चाहिए। जिसमें रेटिना और ऑप्टिक तंत्रिका की जांच भी शामिल है। जब इसकी पहचान की जाती है, तो लोगों को दीर्घकालिक निगरानी और प्रबंधन की आवश्यकता होगी।