दिल्ली के अस्पतालों (Delhi Hospitals) में बढ गई Brain Stroke मरीजों की तादाद
Health News Delhi in Hindi, Hospital News, Health News : दिल्ली में ठंड (Cold in Delhi) ने लोगों को बीमार करना शुरू कर दिया है। राजधानी में ठंड (Cold in the capital) की वजह से से ब्रेन स्ट्रोक (Brain stroke) सहित कई बीमारियों के मामले बढ गए हैं। इस वजह से दिल्ली के अस्पतालों (Hospitals in Delhi) में मरीजों की तादाद में आशिंक बढोत्तरी भी रिकॉर्ड की गई है।
बच्चे और बुजुर्गों का स्वास्थ्य प्रभावित
ठंड की वजह से बच्चों और बुजुर्गों का स्वास्थ्य (Health of children and the elderly) प्रभावित हो रहा है। एलएनजेपी अस्पताल (LNJP Hospital) में हाल ही में ब्रेन स्ट्रोक के कई मरीजों को भर्ती किया गया है। इनमें से कुछ को आईसीयू (ICU) में एडमिट किया गया है। जबकि, बच्चों और बुजुर्गों की सेहत निमोनिया (Pneumonia), ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) और अस्थमा (Asthma) भी प्रभावित कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, बढती ठंड और बीमारियों के प्रभाव (Increasing cold and effects of diseases) के कारण अस्पतालों में सामान्य दिनों के मुकाबले मरीजों की संख्या में 10-15 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है।
45 से 65 साल के लोग रखें खास ख्याल
LNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर (Medical director of LNJP Hospital) डॉक्टर सुरेश कुमार (Doctor Suresh Kumar) के मुताबिक, हाल के दिनों में ब्रेन स्ट्रोक के जो मामले सामने आए हैं, उनमें ज्यादातर मामले 45 से 65 वर्ष के मरीजों के हैं।
ब्रेन स्ट्रोक हाई ब्लड प्रेशर और ठंड (High Blood Pressure and Cold) के दिनों में फ्लू संक्रमण (Flu infection) की वजह से भी हो सकता है। सर्दी के मौसम में लोग गर्मी के मुकाबले पानी भी कम पीते हैं।
जिसकी वजह से खून गाढा होता है। पानी शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता हे। टॉक्सिन जमा होने और ब्लड के गाढा होने की वजह से दिल और ब्रेन पर अधिक दबाव पडता है। जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम बढता है।
आहार का विशेष ध्यान रखें
जीबी पंत अस्पताल (GB Pant Hospital Health News Delhi) के न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर देवाशीष भट्टाचार्य (Neurologist Doctor Devashish Bhattacharya) के मुताबिक, सर्दी में ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक (Brain stroke and heart attack in winter) के मामलों के बढने के पीछे कुछ विशेष कारण हैं।
सर्दी में खानपान भारी होता है। जिसकी वजह से शरीर में नमक की मात्रा बढ जाती है। इस मौसम में पसीना भी कम निकलता है। जिसके कारण शरीर में टॉक्सिन भी बढता है। ठंड के मौसम में प्रदूषण (Pollution in cold weather) भी एक प्रमुख कारण है। जिससे ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा (Danger of brain stroke and heart attack) बढ जाता है।
हाइपोथर्मिया (Hypothermia) के प्रति रहें सचेत
डॉक्टर सुरेश कुमार के मुताबिक, शरीर में तापमान को नियंत्रित करने का अपना एक विशेष सिस्टम होता है। इसे थर्मोस्टेट (Thermostat) कहते हैं। जब तापमान बहुत अधिक गिर जाता है तो यह सिस्टम निष्क्रिय हो जाता है। जिससे शरीर कांपने लगता है। लंबे समय तक बहुत कम तापमान में रहने से हाइपोथर्मिया होने की संभावना बढ जाती है। यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती है।
हाइपोथर्मिया के लक्षण
- लगातार छीके आना
- सांस के साथ आवाज आना
- सर्दी-जुकाम के साथ नाक से पानी आना
- गले में खराश और हल्की सीने में जकड़न या दर्द
- आंखों से पानी आना
- बदन दर्द, सिर या आंखों में भारीपन
- जल्दी-जल्दी सांस लेना और चेस्ट में कसाव महसूस होना
इसका रखें ध्यान
- बच्चों को गर्म कपडे पहनाएं।
- बच्चों को घर के अंदर रखें।
- बुजुर्गों को गुनगुने पानी से ही स्नान कराएं।
- बुजुर्गों को गुनगुना पानी पिलाएं।
- हार्ट के मरीज सुबह मार्निंग वॉक पर न जाएं।
- अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मरीज धूल-मिट्टी और धुएं से बचें।
- शरीर का तापमान नियंत्रित रहे, इसलिए संतुलित रूप से गर्म तासीर वाला भोजन करें।
क्या करें
- सीने में अकडन या घबराहट महसूस हो तो तत्काल एस्पिरिन (Aspirin) की गोली लें और डॉक्टर से संपर्क करें।
- तामान में अचानक गिरावट के बाद अगर सांस लेने में कठिनाई महसूस हो तो यह हाइपोथर्मिया के लक्षण हो सकते हैं।
- ऐसे में बिना देरी के तत्काल डॉक्टर को दिखाएं।
- अगर धूप तेज हो तो बच्चों और बुजुर्गों को कुछ समय तक धूप के संपर्क में जरूर रखें।