Friday, March 29, 2024
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हेल्थ टिप्स: बारिश के मौसम में फंगल संक्रमण से ऐसे करें बचाव 

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ज्यादातर लोग इसके लक्षण के बारे में नहीं जानते

नई दिल्ली : गर्मी से राहत दिलाने वाला मानसून अपने साथ कई संक्रमण भी लेकर आता है। बारिश के मौसम में फंगल संक्रमण का जोखिम बढ जाता है। ऐसे में समय रहते सही इलाज न मिलने पर कई बार रोगी अधिक परेशानी में पड सकता है। जादातर लोग इसके लक्षण के बारे में नहीं जानते। इसलिए बरसात के मौसम में लोगों को इन बिमारियों के बारे में जागरूक रहना जरूरी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली स्थिती अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के थायराइड, चयापचय विकार और मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. त्रिभूवन गुलाटी जानकारी दे रहें हैं।

फंगल इन्फेक्शन :

बारिश के मौसम में विविध बिमारियों के साथ-साथ मानसून में त्वचा संबंधी कई बीमारियां भी होने की संभावना बनी रहती है। बारीश के दिनों में नमी काफी बढ जाती हैं । जिसकी वजह से फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन व स्किन एलर्जी होने का खरता भी बढ जाता हैं । इसलिए मानसून के मौसम में त्वचा का अच्छे से ख्याल रखना बहुत जरूरी हैं । 

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कारण :

फंगस अक्सर गर्म, और नम वातावरण में बढ़ती है।
पसीने से तर या गीले कपड़े पहनना भी आपकी त्वचा के इन्फेक्शन के लिए एक जोखिम कारक है।
त्वचा के कटने या फटने से भी बैक्टीरिया त्वचा की गहरी परतों में अंदर तक जा सकता है और विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शन हो सकते हैं।
व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ गैर-अनुपालन
अत्यधिक पसीना आना
तंग कपड़े, जूते पहनने से
एंटीबायोटिक्स लेना
कमजोर इम्यून सिस्टम

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 लक्षण :

स्किन का लाल हो जाना, चकत्तों का पड़ जाना, बार बार खुजली होना, फफोले और छाले का खुजली वाले जगह पर हो जाना, खुजली वाली जगह पर डंक मारने जैसा एहसास होना, खुजली वाली जगह पर जलन होना, पस वाली फुंसियों का निकलना ।

बचाव : 

गीले कपडे न पहने
 रोजाना नहाएं
 बारिश में भीगने के बाद शरीर को पूरी तरह सुखाएं
आयरन किए साफ कपड़े को पहनें
पैरों में इंफेक्शन होता है तो जूते को नहीं पहनें 
दूसरे व्यक्ति के कपड़े, तौलिया, साबुन, कंघी का इस्तेमाल न करें
सूती और ढीले कपड़े पहनें
टाइट कपड़े न पहनें 
डॉक्टरी सलाह के बिना किसी भी क्रीम का इस्तेमाल न करें
कपड़ों को गर्म पानी से धोएं

नाखून से न खुजाएं इससे इंफेक्शन हो सकता हैं ।


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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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