लापरवाही से गंभीर हो सकती है स्थिति
नई दिल्ली।रत्नेश सिंह :
कंधे में अकड़न (Frozen Sholder ) तो इसे हल्के में न लें। लापरवाही की वजह से स्थिति गंभीर हो सकती है। अकडन जिसे डॉक्टरी भाषा में स्टिफनेश या फ्रोजन सोल्डर कहते हैं, इसकी समय रहते उपचार शुरू कर दी जाए, तो इसे कुछ महीने में ठीक किया जा सकता है। लापरवाही होने की स्थिति में इसको ठीक करने में सालों लग सकते हैं। हम यहां कंधे में होने वाली अकडन के कारण, लक्षण और निदान के बारे में बता रहे हैं :
कंधे की अकड़न के कारण
कंधे की अकड़न का आम कारण किसी दुर्घटना वश कंधे में चोट लगना ,कंधे का टूटना या डिस्लोकेट होना होता है लेकिन आजकल ये खराब जीवन शैली के कारण भी हो रहा है , शारीरिक निष्क्रियता, व्यायाम ना करना और ज्यादा देर तक एक ही अवस्था में बैठे या लेटे रहना भी इस बीमारी का प्रमुख कारण है। इसके अलावा अर्थराइटिस भी इसकी एक प्रमुख वजहों में से एक है। वहीं मधुमेह के रोगियों में भी अक्सर कंधे की अकडन से संबंधित समस्या सामने आती है।
कंधे की अकड़न के लक्षण
फ्रोजेन शोल्डर के शुरुआती लक्षण में मरीज इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते। लोग इसे हल्का दर्द समझकर इसे अनदेखा करते हैं। शुरुआती लक्षण में कंधो में दर्द स्टिफनेस शुरू हो जाती है। कंधे के मूवमेंट में परेशानी हो सकती है। सुबह सो कर उठने पर कंधो में तीव्र पीड़ा होती है , इसके इलाज में देरी करने पर कंधे में हमेशा अकड़न बनी रहेगी आप ठीक से कंधे और गर्दन का मूवमेंट नहीं कर पाएंगे इसलिए जरुरी है की आप शुरुआती समय में ही इसका इलाज शुरू कर दें।
कंधे की अकड़न के निदान
कंधे की अकड़न (FROZEN SHOULDER ) एक अवस्था है, जिसमें आपका कंधा अकड़ जाता है आप इसमें ज्यादा मूवमेंट नहीं कर सकते इसमें तीव्र पीड़ा भी होती है तो सबसे पहले आप किसी अस्थि विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें। दवा के सेवन से जब आपको दर्द में राहत मिले तो कंधे के व्यायाम को अपने दिनचर्या का हिस्सा बना लें। ध्यान रहे जब दर्द ज्यादा हो तो व्यायाम ना करें। दर्द जब कम रहे तब आप योगाभ्यास जरूर करें।
इसके लिए भुजंगाशन ,धनुराशन ,हलाशन ,कंधो को गोल गोल आगे पीछे की तरफ घुमाना ये सब आसन बहुत जल्द फायदा पहुंचाते हैं। बर्फ के कुछ टुकड़े मुलायम तौलिये में बांधकर कंधे की सेंकाई कर सकते हैं। ध्यान रहे दर्द से जुड़ी कोई भी बीमारी वात रोग की श्रेणी में आती है। इसलिए खान पान में भी विशेष ध्यान देना पड़ता है। अपनी डाइट में ऐसी कोई भी चीज ना खाएं जिससे शरीर में वात (एसिडिटी) बढ़ती हो।
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