एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के उपचार में नहीं करना होगा वेटिंग पीरियड का सामना
नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
एएस (एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस) के उपचार में सबसे बडी बाधा हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) की सुविधा का नहीं होना है। अगर कोई हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइडर आपको इलाज की सुविधा दे भी दे, तो उसके लिए आपको लंबी वेटिंग पीरियड का सामना करना पड सकता है लेकिन प्राय: यह भी मुश्किल से ही देखने को मिलता है। अगर आप किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और अगर आपकी कंपनी ने कर्मचारियों को ग्रुप इंश्योरेंस (Group Insurance) करवा रखा है, तो एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) का कैशलेस उपचार (Cashless Treatment) बिना किसी बाधा के हो जाएगा।
सिस्टम में बदलाव की है जरूरत
देश में हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) सुविधाओं की समीक्षा की जरूरत है। विशेषज्ञ भी इसकी जरूरत पर लगातार बल दे रहे हैं। बदलते समय के साथ जीवनशैली से जुडी बीमारियां लोगों को बडी संख्या में प्रभावित करने लगी है लेकिन मौजूदा प्रावधानों के तहत जिन बीमारियों का ओपीडी में उपचार हो सकता है, उनके लिए हेल्थ इंश्योरेंस या मेडिक्लेम के तहत कैशलेस उपचार नहीं करा सकते। यहां बता दें कि डायबिटीज भी एक ऑटो इम्यून बीमारी (Autoimmune Disease) है लेकिन किसी डायबिटीज पीडित मरीज को अगर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आए तो हेल्थ इंश्योरेंस यानि कैशलेस प्रक्रिया के तहत उनका उपचार आसानी से हो जाता है। तो ऐसे में सवाल यह उठाता है कि आखिरकार एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों का उपचार कैशलेस क्यों नहीं हो सकता।
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कंपनियों का फायदा उपचार के उद्देश्य से है ऊपर
दरअसल, एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस का उपचार बेहद महंगा है। जानकारों के मुताबिक इस बीमारी में लगातार चिकित्सकीय निगरानी के साथ दवाइयां लेनी पडती है। जिनमें महंगा बॉयोलॉजिक्स इंजेक्शन भी शामिल है। इसके अलावा कई बार ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए मरीजों को मासिक, प्रत्येक छह महीने पर या साल में एक बार अन्य कई तरह के महंगे इंजेक्शन भी लगाए जाते हैं। वहीं बॉयोलॉजिक्स इंजेक्शन भी चक्र के मुताबिक (साइकल) के मुताबिक लगाया जाता है। आमतौर पर इसकी अवधि हफ्ते, 15 दिन, ढेढ महीने, 3 महीने, 6 महीने और एक वर्ष होते हैं। मरीज के लिए कैशलेस उपचार स्वीकृत करने का मतलब होता है कि जबतक आपका उपचार चलता रहेगा और जबतक आप अपने इंश्योरेंस प्रोवाइडर के साथ जुडे रहेंगे, उन्हें आपके उपचार के दौरान होने वाली खर्च की मोटी रकम का भुगतान करना होगा। सामान्यतौर पर देखा जाए तो व्यवसाय के लिहाज से उनके लिए यह घाटे का सौदा होगा।
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ग्रुप इंश्योरेंस में हर तरह का उपचार मिलेगा
दूसरी ओर ग्रुप इंश्योरेंस की बात करें तो इसमें बॉयोलॉजिक्स से लेकर इंप्लांट पर कैशलेस सुविधा के तहत दी जाती है। सबसे खास बात यह होता है कि ग्रुप इंश्योरेंस के लिए एकमुश्त रकम का भुगतान आपकी कंपनी करती है। साथ ही कंपनी में इंश्योरेंस कॉर्डिनेशन को देखने या सहायता करने के लिए अलग से एक कर्मचारी भी नियुक्त होते हैं या किसी अन्य कर्मचारी को इसका प्रभार दिया जाता है। किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर प्रभारी कर्मचारी आपके और आपकी टीपीए के बीच कडी का काम करता है।
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