एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षणों में हो सकता है सुधार
नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) से राहत के लिए आईएफ (IF) एक बेहतर प्रयोग है। एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण होता है इसके लक्षणों और इसके फ्लेयर से राहत पाना। इसके लिए हम तरह-तरह की दवाओं का भी इस्तेमाल करते हैं। वहीं, कई उपायों को भी आजमाते रहते हैं। यह बात अलग है कि सभी उपाए सभी मरीजों पर एक जैसी प्रतिक्रिया नहीं दिखाती है। किस मरीज पर कौन से उपाए का असर हो जाए और किसपर न हो, यह बिना प्रयोग के कह पाना विशेषज्ञों के लिए भी मुश्किल ही होता है। यहां हम आपको इस प्रयोग (IF) के बारे मेें विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। क्या पता कहीं इस प्रयोग से एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से संघर्ष में आपकी राह कुछ आसान हो जाए।
क्या है आईएफ (IF)
आईएफ का मतलब होता है, Intermittent Fasting यानि एक निर्धारित समय सीमा के भीतर भोजन करने की आदत। आप इसे एक खास अंतराल पर रखा जाने वाला उपवास भी कह सकते हैं लेकिन यह जानना ज्यादा जरूरी है कि इसे सही तरीके से किया कैसे जाता है और इससे फायदा कैसे मिल सकता है। आईएफ का प्रयोग केवल एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस ही नहीं बल्कि रूमेटाइड अर्थराटिस, आईबीडी और सोराइसिस जैसे रोगों के लिए भी उपयोगी बताया गया है। वहीं, इन बीमारियों की वजह से होने वाले दर्द, गतिहीनता, आंतों से संबंधित सूजन के साथ वजन नियंत्रित करने में भी उपयोगी साबित हो सकता है। यहां यह भी जानना जरूरी हो जाता है कि आईएफ का प्रयोग कौन कर सकता है और किन लोगों को इसके प्रयोग को नहीं करना चाहिए।
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Intermittent Fasting (आईएफ) के तहत आमतौर पर 16 घंटे उपवास और 8 घंटे के अंदर भोजन करने की आदत विकसित करने से संबंधित प्रयोग है। आठ घंटे के अंदर भोजन करने और फिर 16 घंटों का उपवास रखना ज्यादा मुश्किल नहीं है। ज्यादातर लोग दोपहर से लेकर राहत 8 बजे के बीच या सुबह 9 से शाम 5 बजे तक भोजन करते हैं। उपवास के दौरान पानी, चाय, ब्लैक कॉफी या कोई भी कैलोरी मुक्त पेय लिया जा सकता है।
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अध्ययनों में दिखा है आईएफ का कमाल
Intermittent Fasting (आईएफ) के प्रयोग का लाभ इसपर किए गए अध्ययनों में भी स्पष्ट हुआ है। साइंस जर्नल Cells में प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया कि अल्पकालिक उपवास से भड़काऊ गतिविधि और परिसंचारी मोनोसाइट्स की संख्या में भारी कमी आती है। इसका मतलब है कि जब आप अपने पेट को आराम देते हैं तो कुछ भड़काऊ कोशिकाएं कम हो जाती हैं। उपवास कोई नई बात नहीं है। दुनिया भर के लोगों ने इसे युगों से किया है। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि जो लोग रमजान के दौरान उपवास करते हैं, उनमें कुछ भड़काऊ प्रोटीन- आईएल -6 और सी-प्रतिक्रियाशील प्रोटीन में कमी देखी गई, जो एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस से भी जुड़े होते हैं।
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भोजन में करें इनका उपयोग :
आईफ के प्रयोग के दौरान भोजन में एवोकाडोस, अंडे, सामन, ट्यूना, साबुत अनाज, और सब्जियों और फलों का उपयोग करना इसके लाभ को दोगुना कर देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें भरपूर पोषक तत्व है और इनमें एंटी इंफ्लेमेट्री गुण भी पाए जाते हैं, जो सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। उपवास के दौरान हाइड्रेशन का भी ध्यान रखना होता है। ऐसे में अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। आप चाय या ब्लैक कॉफी भी पी सकते हैं लेकिन इसे दूध के बिना ही तैयार करें। दूध में मौजूद कैलोरी आपके उपवास को भंग कर देती है।
एंकिलोजिंग सपॉन्डिलाइटिस जैसी सूजन संबंधी बीमारियों में दो प्रकार की कोशिकाएं होती हैं। बी कोशिकाएं और टी कोशिकाएं। इन दोनों कोशिकाओं को संसोधित करने में IF मदद कर सकता है। आईएफ अच्छी टी-कोशिकाओं को बढ़ाता है। जिन्हें टी-नियामक कोशिकाओं के रूप में जाना जाता है। यह कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रण में रखती है।
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ये लोग डॉक्टरी परामर्श के बाद ही करें आईएफ का प्रयोग
जिन लोगों को डायबिटीज है, उन्हें आईएफ का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जिन्हें पेट से संबंधित कोई अन्य समस्या है, उन्हें भी चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही इसका प्रयोग करना चाहिए। थायरायड, हाई या लो बीपी वाले लोग भी बिना डॉक्टर की सलाह लिए इस प्रयोग को न करें। कुलमिलाकर जिन्हें कोई अन्य क्रॉनिक बीमारी है, वह इस विधि को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से जरूर सलाह ले लें।
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