Orgain Donation को लेकर अब भी संकोच बरकरार
नई दिल्ली। टीम डिजिटल : अंगदान (organ donation) को लेकर लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का फायदा अब होता हुआ दिख रहा है। हालांकि, इसके बावजूद अंगदान को लेकर लोगों के मन में झिझक बरकरार है। राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) द्वारा लोगों को जागरूक करने की पहल से अंगदान को लेकर पहले के मुकाबले बढोत्तरी देखी जा रही है।
अंगदान की अहमियत को इसी बात से समझा जा सकता है कि दिल्ली-एनसीआर में होने वाले सडक हादसों में जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, उनके अंगों से 96 लोगों को नया जीवन मिला। इस बार दिल्ली-एनसीआर से अधिक अंग प्रत्यारोपण (organ transplant) चंडीगढ में की गई है।
संगठन के अधिकारियों को उम्मीद है कि आने वाले समय में अंगदान (organ donation) और बढेगा। आंकडों की अगर बात करें तो करीब दो तिहाई अंगदान सरकारी अस्पतालों में ही किया जाता है। इसके ठीक उलट 80 प्रतिशत अंग प्रत्यारोपण निजी अस्पतालों में होते हैं। प्रत्यारोपण के लिहाज से सरकारी अस्पताल पीछे हैं।
इसलिए आने वाले समय में अंगदान और बढ़ेगा। अभी करीब दो तिहाई अंगदान सरकारी अस्पतालों में होता है। जबकि 80 प्रतिशत प्रत्यारोपण निजी अस्पतालों में हो रहा है। प्रत्यारोपण के मामले में सरकारी अस्पताल अभी पिछड़ रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण की सुविधा बढाने पर जोर
संगठन सरकारी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण (organ transplant) की सुविधाओं में विस्तार के प्रयासों में जुटा हुआ है। नए वर्ष में तीन जनवरी को सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज के अस्पताल प्रबंधनों के साथ एक बैठक आयोजित की गई है, जिसमें इन अस्पतालों में अंगदान की सुविधाओं को बढाने से संबंधित पहलुओं पर चर्चा होगी।
नोटो (Notto) के निदेशक डा. कृष्ण कुमार के मुताबिक गरीब सिर्फ अंगदाता ही रहे और प्रत्यारोपण की अधिकतर सुविधाओं का लाभ किसी खास वर्ग तक ही सीमित रहे, इस ट्रेंड को बदलने की जरूरत है। अंगदान का लाभ गरीब मरीजों को भी मिलनी चाहिए। यह लक्ष्य सरकारी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण की सुविधाओं को बढाकर ही हासिल किया जा सकता है।
आंकडों में दिल्ली-एनसीआर में अंगदान
दिल्ली एनसीआर में 28 दिसंबर 2022 तक 30 लोगों ने अंगदान किया। 16 लोगों ने एम्स में अंगदान (organ donation) किया। वहीं, पांच लोगों का अंगदान आर्मी अस्पताल में किया गया। इसके अलावा अलग-अलग निजी अस्पतालों में बांकि अंगदान किए गए। एम्स और आर्मी अस्पताल में हृदय प्रत्यारोपण अधिक की गई। जबकि, किडनी व लिवर प्रत्यारोपण ज्यादातर निजी अस्पताल और आइएलबीएस (यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान) में किया गया। यहां सरकारी अस्पतालों के मुकाबले उपचार पर ज्यादा खर्च करना पडता है।
अंग प्रत्यारोपण वाले विशेषज्ञ लेंगे कॉन्फ्रेंस में हिस्सा
अंगदान और अंग प्रत्यारोपण के प्रयासों को आगे बढाने के लिए 19 फरवरी को दिल्ली में एक बड़ा कांफ्रेंस आयोजित किया जाएगा। इसमें देश भर के निजी व सरकारी अस्पतालों के अंग प्रत्यारोपण करने वाले विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य निजी और सरकारी अस्पतालों के बीच परस्पर सहयोग विकसित करना होगा। साथ ही सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में दक्ष बनाने को लेकर तमाम तरह की रूपरेखाएं तैयार की जाएगी।
Organ Donation के प्रति बढी रूझान : उत्तर भारत में ज्यादा हुए अंगदान
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