Thursday, November 21, 2024
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Inflammation : पढिए! शरीर में सूजन का स्तर कैसे प्रभावित करता है सोशल मीडिया का प्रयोग

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शोध में Inflammation की वजहों का हैरान करने वाला खुलासा

नई दिल्ली। टीम डिजिटल :  Inflammation :  एक जमाना था जब लोग जब एक साथ बैठते थे, तो घंटों बातचीत करते थे। अब तो आलम यह है कि एक ही कमरे में बैठे हुए लोग आपस में बातचीत करने के बजाए मोबाइल पर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना ज्यादा पसंद करते हैं। दरअसल, हर चीज की अति बुरी होती है।

एक ताजा रिसर्च में सोशल मीडिया और सूजन (Inflammation) के बीच हैरान करने वाली कडी का खुलासा हुआ है। अगर आपका स्वास्थ्य सामान्य है तो सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल आपके स्वास्थ्य को असामान्य बना सकता है। वहीं, अगर आप पहले से किसी सूजन से संबंधित समस्या का सामना कर रहे हैं तो आपके सूजन का स्तर बहुत बिगड सकता है। ताजा अध्ययन में सूजन से पीडित लोगों की मनोदशा और व्यवहार को भी लेकर कई खुलासे किए गए हैं।

विस्तार से जानिए क्या है रिसर्च (research on inflammation and social media)

ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्युनिटी जर्नल में इस शोध का निष्कर्ष प्रकाशित किया गया है। न्यूयॉर्क स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ बफ़ेलो में कम्युनिकेशन के असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रकाशित अध्ययन के लेखक डॉ. डेविड एस. ली ने यह अध्ययन किया है। बताया गया है कि जब शरीर सूजन (Inflammation) और अन्य बीमारियों को ठीक करने में स्लो होने लगता है, तब सूजन से पीडित व्यक्ति अपने फोन के साथ अधिक समय व्यतीत करने लगता है। यह एक असामान्य मनोदशा है। ली ने लिखा है कि सूजन होने के बाद सामान्य तौर पर बीमारी से जुड़े व्यवहार और लक्षण शरीर को स्वस्थ करने में मदद कर सकते हैं। इसके पीछे मानव का प्राकृतिक व्यवहार काम करता है। दरअसल, मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं। जब वह बीमार या घायल होता है तब वह दूसरों का साथ चाहता है।

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अध्ययन निष्कर्ष

Inflammation : पढिए! शरीर में सूजन का स्तर कैसे प्रभावित करता है सोशल मीडिया का प्रयोग
Inflammation : पढिए! शरीर में सूजन का स्तर कैसे प्रभावित करता है सोशल मीडिया का प्रयोग | Photo : freepik

मनुष्य के इस प्रवृत्ति के पीछे सामाजिक सहायता या देखभाल प्राप्त करने की आशा होती है। अपने अध्ययन के आधार पर लेखक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि लोग मौसम खराब होने का अनुभव करने पर दोस्तों के पेजों पर सीधे मैसेजिंग और पोस्टिंग सामान्य से अधिक करते हैं। यहां रोचक यह है कि सूजन से पीडित लोगों ने मनोरंजक वीडियो देखने के बजाए सोशल मीडिया का उपयोग अपनी स्वास्थ्य चिंता जाहिर करने के लिए ज्यादा किया।

यह प्रोटीन होती है प्रभावित (CRP)

सोशल मीडिया और सूजन के बीच की कडी को जोडते हुए इस प्रकार का अध्ययन पहली बार किया गया है। जिसमें 1,800 कॉलेज और मध्यम आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और इनकी जानकारी के आधार पर विश्लेषण किया गया। स्टडी के माध्यम से यह संकेत मिले हैं कि सी-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP) दोनों आयु समूहों के बीच सोशल मीडिया के उपयोग को प्रभावित कर सकता है। सीआरपी का निर्माण लिवर में होता है। यह सूजन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया के तौर पर बनता है।

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि मध्यम आयु वर्ग के समूह की सोशल मीडिया इंटरैक्शन में ज्यादा चेंज नहीं हुआ। इस आयु वर्ग की बढ़ती संख्या के बावजूद ये आमतौर पर इसतरह के प्लेटफार्मों का उपयोग दिन में एक करते हैं। जब कॉलेज-आयु वर्ग के प्रतिभागियों का अध्ययन किया गया तो यह जानकारी मिली कि सूजन की स्थिति सोशल मीडिया के उपयोग को बढावा देने में योगदान दे सकती है।

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क्यों होता है शरीर में सूजन (Inflammation causes)

सूजन शरीर की रक्षा तंत्र से संबंधित शारीरिक स्थिति है। इस प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) हानिकारक और बाहरी उत्तेजनाओं (foreign stimuli) को पहचानती है। शरीर में ऐसा कोई भी तत्व पाते ही प्रतिरक्षा प्रणाली उसे मारने की कोशिश करती है और उसका अंत कर शरीर में उपचार की प्रक्रिया को शुरू कर देती है। सूजन की स्थिति एक्यूट या क्रोनिक हो सकती है।

सूजन के लिए कई तरह के कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इनमें सबसे सामान्य है : बैक्टीरिया, वायरस या फंगस जैसे पैथोजेन्स। बाहरी चोटें जैसे : खरोंच या किसी वस्तु से होने वाली क्षति जैसे कि उंगली में कांटा चुभ जाना आदि भी इसकी वजह बन सकते हैं।

यह बीमारियां हो सकती है शरीर में सूजन की वजह (causes of Inflammation)

कई बीमारियों में सूजन की स्थिति पैदा हो सकती है। इनमें, रुमेटीइड आर्थराइटिस और एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियां प्रमुख हैं। हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, फेफड़ों के रोग अस्थमा भी सूजन से ही संबंधित बीमारियां हैं। क्रोनिक इन्फ्लेमेशन अल्जाइमर, दमा, कैंसर, दिल की बीमारी (Heart Disease), टाइप 2 डायबिटीज भी इसके कारण हो सकते हैं।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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