दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को दिए निर्देश
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने दिल्ली सरकार को द्वारका स्थित इंदिरा गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में रिक्त पदों को छह महीने की अवधि के भीतर भरने के निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव को भी निर्देश जारी किया है। जिसमें यह कहा गया है कि वे हर 6 महीने के बाद बेड नंबर और उक्त अस्पताल में जनशक्ति (Man Power) बढ़ाने के लिए समय-समय पर समीक्षा करें।
यहां बता दें कि इस इलाके में लोगों के लिए इंदिरा गांधी सुपर स्पेशियलिटी ही एकमात्र अस्पताल है और इसपर उपचार के लिए इलाके और निकटवर्ती क्षेत्रों की बडी आबादी निर्भर करती है। कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के बीच द्वारका कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका का भी निपटारा किया। याचिका में दिल्ली सरकार को अस्पताल के निर्माण प्रक्रिया को पूरा करने के साथ सभी बुनियादी सुविधाओं, ढांचे और कर्मचारियों की नियुक्ति करने के निर्देश देने की मांग भी की गई थी। इसी वर्ष अप्रैल में दिल्ली सरकार द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट में यह जानकारी साझा की गई है कि अस्पताल पूरी तरह से सक्रिय है। इसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने 13 विशेषज्ञों को भी नियुक्त कर दिया है।
कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई है कि अस्पताल में सभी 18 पदों पर 299 नर्सिंग ऑफिसर के साथ जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसरों की भी तैनाती कर दी गई है। वहीं, ओपीडी में प्रति दिन एक हजार मरीजों को उपचार देने की बात भी बताई गई है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि यहां 1406 मरीजों को आपातकालीन सेवाओं के तहत इलाज दिया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त स्टेटस रिपोर्ट में अस्पताल द्वारा इस्तेमाल की गई जनशक्ति की स्थिति भी शामिल है। जिससे यह स्पष्ट है कि 1204 स्वीकृत पदों के मुकाबले 1013 कर्मचारी ही उपलब्ध हैं।
यहां बता दें कि इस साल मार्च में अदालत ने दिल्ली सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग के अधिकारियों के खिलाफ अस्पताल में शीघ्र नियुक्तियों के लिए अपने पिछले निर्देश का पालन करने में विफलता के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी भी दी थी। इससे पहले, कोर्ट ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य के प्रमुख सचिव को साप्ताहिक आधार पर परियोजना की प्रगति की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने का भी निर्देश जारी किया था। साथ ही यह भी निर्देश दिया था कि किसी भी चूक या लापरवाही के दोषी लोगों के लिए उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाए।
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