हेल्थ रिपोर्ट 2022 : हेल्थ के मामले में दुनिया में किस तरह की रही हलचल
जोधपुर एम्स (aiims) के डॉक्टरों ने अपनी कार्यकुशलता से एक बडा कारनामा कर दिखाया है, जो इससे पहले देश में कभी नहीं हुआ था।
नई दिल्ली : जोधपुर (jodhpur) एम्स के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ बीमारी की जटिल सर्जरी (complicated surgery) को सफलतापूर्वक अंजाम देने का कारनामा किया है। दावा किया गया है कि देश में इससे पहले ऐसी सर्जरी कभी नहीं की गई थी। यह सर्जरी एक 10 वर्षीय बच्चे की हुई है, जो समय रहते अगर नहीं होती तो बच्चे के जाम को खतरा था।
दरअसल, जोधपुर एम्स (aiims) में दुर्लभ श्रेणी की बीमारी पोटकिवल शंट (Potkival shunt disease) का जटिल ऑपरेशन कर 10 वर्षीय बच्चे की जान बचा ली गर्ई। डॉक्टर के मुताबिक अब तक दुनिया भर में इस बीमारी के 80 केस सामने आ चुके हैं।


सर्जरी surgery कितनी जटिल complicated रही होगी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बच्चे की सर्जरी करने से पहले डॉक्टरोंं की टीम ने मोर्चरी में डेड बॉडी पर पहले प्रक्टिस की और इसके बाद लगातार 8 घंटों की जटिल सर्जरी को अंजाम देकर बच्चे को सुरक्षित बचा लिया। यह सर्जरी गत 31 जून को की गई।
AIIMS Jodhpur (@aiims_jodhpur) / Twitter
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aiims जोधपुर के बाल शल्य चिकित्सा सर्जरी विभागध्यक्ष डॉ अरविंद सिन्हा के मुताबिक 10 वर्षीय विष्णु अब बिल्कुल स्वस्थ है। विष्णु को इंट्राहेपेटिक पोर्टकिवल शंट (Potkival shunt disease) से पीड़ित था। इसमें लीवर की रक्त नलिया और शरीर की मुख्य नली के बीच एक फिस्टूला विकसित हो जाता है। इस मामले में फिस्टूला खतरनाक रूप से लिवर के बेहद करीब विकसित होने लगा था। सामान्य तौर पर Potkival shunt disease का उपचार प्रक्रिया के तहत रेडियोलोजी विशेषज्ञ स्टेंट लगा कर उसे ब्लॉक करके करते हैं लेकिन बच्चे के मामले में फिस्टुला ढाई सेंटीमीटर का विकसित हो गया था।
ऐसे में स्टैंट वाला फॉर्मूला इस मामले में लागू करना संभव नहीं हो पा रहा था। इस मामले का समधान सिर्फ सर्जरी से ही संभव था। डॉक्टर के मुताबिक complicated surgery करने से पहले 5 विभागों की एक टीम गठित की गई, जिन्होंने बाकायदा पहले मार्चरी में डेड बॉडी पर सर्जरी प्रोसेस को अप्लाई किया फिर वास्तविक सर्जरी को अंजाम दिया गया। इसमें पिडियाट्रिक सर्जरी, कार्डियों वैस्क्युलर सर्जरी व एनिस्थिसिया की टीम, रेडियोलॉजी टीम शामिल थी।
बताया गया है कि इस बीमारी के कारण बच्चे का वजन बढ नहीं रहा था। वहीं पल्मोनरी आर्टरी हाइपरटेंशन, एन्सेफलोपथी, हेपटोपुल्मोनरी सिंड्रोम, ग्लोमेरुलोपथी, खून में अमोनिया के बढ़ाव जैसी जटिलताओं की वजह से बच्चे की जान पर बन आई थी।
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बताया गया है कि जोाधपुर एम्स (jodhpur aiims) लाने से पहले बच्चे को लेकर परिजनों ने कई अस्पतालों की खाक छानी बावजूद इसके इस दुर्लभ बीमारी का पता तक नहीं चल सका। आखिरकार परिजन बच्चे को लेकर जोधपुर एम्स आए। यहां डॉ अरविंद सिन्हा और उनकी टीम ने न केवल Potkival shunt disease डायगनोस किया बल्कि सफलतापूर्वक सर्जरी को भी अंजाम देने में कामयाब रहे। डॉक्टर के मुताबिक सर्जरी के बाद से बच्चे की हालत सामान्य है और फिलहाल उसे रिकवरी के लिए आईसीयू में रखा गया है।
सर्जरी करने वाले डॉक्टरों का यह दावा है कि यह देश का पहला ऐसा मामला है, जिसमें इतनी छोटी उम्र के किसी बच्चे की जटिल सर्जरी (complicated surgery) सफलतापूर्वक करने में कामयाबी हासिल हुई है। डॉक्टरों के मुताबिक Potkival shunt disease से दुनियाभर में केवल 80 लोग ही पीडित हैं। खासबात यह है कि इनमें से कुछ ही मरीज अभी जिंदा हैं। ऐसे कई मरीजों का उपचार इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग द्वारा एंडोवास्कुलर विधियों द्वारा किया जा सकता है लेकिन बच्चे को मामले में सर्जरी ही एक मात्र विकल्प बच गया था।
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jodhpur aiims के डॉक्टरों की सूझबूझ से टल गई अनहोनी :
बाल शल्य चिकित्सा सर्जरी विभागध्यक्ष डॉ अरविंद सिन्हा, डॉ कीर्तिकुमार राठौड़, डॉ शुभलक्ष्मी नायक, डॉ श्रेयस, डॉ सौम्या भट्ट (बाल शल्य चिकित्सा विभाग), डॉ मधुसूदन कट्टी, डॉ सुरेन्द्र पटेल (सीटीवीएस विभाग), डॉ पुष्पिंदर खेरा, डॉ पवन गर्ग (रेडियोलॉजी विभाग), डॉ सादिक एवं टीम (एनेस्थीसिया विभाग) एवं डॉ दुष्यंत अग्रवाल (एनाटॉमी विभाग) शामिल थे।
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Potkival shunt disease के बारे में :
पोटकिवल शंट के मरीजों में पोर्टल वेन (आंतों से अशुद्ध खून लिवर तक ले जाने वाली रक्त वाहिनि) और इन्फीरियर वेनाकावा (शरीर की प्रमुख शिरा जो शरीर के विभिन्न भागों से रक्त ले जाती है और उसे सीधे हृदय में प्रवाहित करती है) के बीच असामान्य रक्त संचार होने लगता है। यदि यह समस्या लिवर के भीतर हो तो यह रोग और जटिल और दुर्लभ श्रेणी का हो जाता है। विशेषज्ञ इस स्थिति को बेहद खतरनाक बताते हैं और इससे पीडित ज्यादातर मरीजों की मौत हो जाती है।
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