World Kidney Day : विश्व किडनी (गुर्दा) दिवस पर भारत का पहला बेंचमार्क स्थापित
Kidney Disease/ Chronic Kidney Disease Latest Reasearch in Hindi : हेमोडायलिसिस (Hemodialysis) से गुजर रहे किडनी रोग (kidney disease/CKD) वाले मरीज कितने दिन जीवित रहते हैं? (How many days do kidney disease patients live?) इस तरह की जानकारी रिकॉर्ड करने के लिए एक नई राष्ट्रव्यापी अध्ययन की गई है। इसके जरिए भारत में हेमोडायलिसिस से गुजरने वाले रोगियों की जीवित रहने की दर (Survival rate of patients undergoing hemodialysis in India) और संबंधित कारकों पर नई जानकारी प्राप्त हुई है।
अध्ययन में 193 डायलिसिस केंद्रों (Dialysis Centers) के डेटा का उपयोग
इस अध्ययन में देश भर के 193 डायलिसिस केंद्रों से डी-आइडेंटिफाइड व्यक्तिगत स्तर के डेटा (De-identified individual level data) का उपयोग किया गया। यह सभी केंद्र नेफ्रोप्लस नेटवर्क (NephroPlus Network) का हिस्सा हैं। इसकी मदद से हेमोडायलिसिस उपचार (Hemodialysis treatment) प्राप्त करने वाले रोगियों (Kidney Disease) के जीवित रहने की संभावनाओं की जांच की गर्ई। 1 अप्रैल, 2014 से 30 जून, 2019 तक किए गए अध्ययन में 23,601 रोगियों के समूह का मूल्यांकन किया गया। इनमें से 29% महिलाएं थीं।
Kidney Disease : मरीजों के जीवित रहने का दर स्थापित करना अध्ययन का उद्देश्य
शोधकर्ताओं का लक्ष्य भारत में हेमोडायलिसिस उपचार से रोगियों के जीवित रहने की दर (Survival rate of kidney disease patients undergoing hemodialysis treatment in India) का राष्ट्रीय स्तर पर दर स्थापित करना था। वहीं, विभिन्न केंद्रों में उपचार प्राप्त करने वाले ऐसे मरीजों के जीवित रहने की दर में भिन्नता का स्तर निर्धारित करने के साथ यह मापना था कि इस भिन्नता को केंद्र-स्तरीय विशेषताओं द्वारा कितना समझाया गया था।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
- समग्र समूह में, 180 दिन की जीवित रहने की दर 71% थी। इससे यह पता चलता है कि प्रत्येक 10 में से लगभग 7 मरीज़ 6 महीने से अधिक समय तक जीवित रहते हैं।
- केंद्र और रोगी-स्तर के कारकों को ध्यान में रखने के बाद, मॉडल-अनुमानित 180-दिन का अस्तित्व 83% और 97% के बीच था। औसत केंद्र में उत्तरजीविता 90% थी।
- केंद्र-स्तरीय विशेषताओं में बिस्तरों की संख्या, कर्मचारियों की संख्या और क्या केंद्र शहरी, अर्ध-शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में था? जैसी विशेषताएं शामिल थीं।
- व्यक्तिगत (रोगी)-स्तर की विशेषताओं में आयु, लिंग, शिक्षा, धूम्रपान की स्थिति, उपचार भुगतान विधि, सहरुग्णताएं, और बहुत कुछ शामिल हैं।
- रोगी के मामले-मिश्रण में अंतर पर विचार करने के बाद भी, शहरी केंद्रों की तुलना में ग्रामीण केंद्रों में मृत्यु दर 32% अधिक थी।
- हालांकि, अध्ययन के लेखकों ने आगाह किया कि डेटाबेस में शामिल नहीं की गई अन्य रोगी विशेषताएँ आंशिक रूप से ग्रामीण केंद्रों में इस उच्च मृत्यु दर की व्याख्या कर सकती हैं।
जीवित रहने से जुड़ी रोगी की विशेषताएं
- उच्च शिक्षा या उच्च मासिक वार्षिक घरेलू आय वाले लोगों (Kidney disease patients) में कम मृत्यु दर पाया गया।
- मधुमेह वाले रोगियों में उच्च मृत्यु दर पाई गई।
- Vascular access arteriovenous fistula या ग्राफ्ट के अलावा ऐसी अन्य बीमारियों से पीडित रोगियों में उच्च मृत्यु दर पाई गई।
अब तक का यह सबसे बडा अध्ययन
इस निष्कर्ष पर टिप्पणी करते हुए द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (The George Institute for Global Health) की डॉ. कैरिना होखम ने कहा, “आकार और भौगोलिक दायरे दोनों के संदर्भ में, भारत में हेमोडायलिसिस प्राप्त करने वाले रोगियों के बीच जीवित रहने के परिणामों (Survival outcomes among kidney failure patients receiving hemodialysis in India) की जांच करने के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है।
यह जनसंख्या स्वास्थ्य परिणामों की जांच के लिए नियमित रूप से एकत्र किए गए स्वास्थ्य डेटा का उपयोग करने की शक्ति को दर्शाता है। यह डेटा के प्रकार के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिसे व्यापक रूप से समझने के लिए एकत्र किया जाना चाहिए कि कौन से कारक डायलिसिस पर जीवित रहने को प्रभावित करते हैं (What factors affect survival on dialysis?)।
सरकारी मदद से स्थिति में हुई सुधार
शोध के व्यापक निहितार्थों पर जोर देते हुए द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया के कार्यकारी निदेशक और इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (International Society of Nephrology) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विवेकानंद झा ने कहा, “राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम और राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी (National Dialysis Program and subsidies provided by state governments) ने लोगों तक पहुंच में सुधार किया है।” देश में डायलिसिस, और लाखों भारतीय अब यह जीवनरक्षक उपचार (Life saving treatment of kidney disease) प्राप्त कर सकते हैं।
हम सरकार से किडनी रोग की रोकथाम (Kidney disease prevention) के लिए समर्थन और डायलिसिस से जुड़ी प्रमुख जटिलताओं (Major complications related to dialysis), जैसे हृदय रोग (Heart Disease) और खनिज हड्डी रोग (mineral bone disease) के दीर्घकालिक प्रबंधन में सुधार को शामिल करने के लिए कवरेज बढ़ाने पर विचार करने का आग्रह करते हैं। हम राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (National Dialysis Program) के साथ डायलिसिस रजिस्ट्री (dialysis registry) को जोड़ने का भी आग्रह करते हैं।
द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की सीनियर रिसर्च फेलो और सांख्यिकीविद् डॉ. अर्पिता घोष ने कहा, “हम यह मापने के लिए निकले हैं कि केंद्रों के बीच अस्तित्व में भिन्नता को केंद्र-स्तरीय कारकों द्वारा किस हद तक समझाया जा सकता है। यह राष्ट्रीय डायलिसिस रजिस्ट्री में एकत्र की जाने वाली जानकारी (Information collected in the National Dialysis Registry) के प्रकारों के बारे में सोचने के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षण अभ्यास रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक प्रभावी गुणवत्ता सुधार प्रणाली स्थापित की जा सके।
क्या है हेमोडायलिसिस ? | What is Hemodialysis?
हेमोडायलिसिस एक महत्वपूर्ण चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उपयोग गुर्दे की विफलता (kidney failure/Kidney disease) वाले व्यक्तियों के इलाज (Treatment of persons with kidney failure) के लिए किया जाता है। जब गुर्दे आपके रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को प्रभावी ढंग से फ़िल्टर करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो हेमोडायलिसिस की मदद ली जाती है।
भारत में वैश्विक स्तर पर दीर्घकालिक डायलिसिस रोगियों की संख्या (Number of long term dialysis patients) सबसे अधिक है। वर्ष 2018 में अनुमानित 175,000 व्यक्तियों में से एक (One of the estimated 175,000 people in 2018) है। डायलिसिस रोगियों (kidney failure dialysis patients) की संख्या बढ़ रही है। आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) के अंतर्गत आने वाली सभी प्रक्रियाओं में से सरकार डायलिसिस प्रक्रियाओं पर सबसे अधिक पैसा खर्च करती है।
इस बोझ के बावजूद, भारत में डायलिसिस रोगियों के नैदानिक परिणामों पर डेटा सीमित (Data on clinical outcomes of dialysis patients in India) है। पिछले अध्ययन या तो छोटे, एकल-केंद्रीय या 10 वर्ष से अधिक पुराने थे। इस अध्ययन से पहले, हेमोडायलिसिस रोगियों में जीवित रहने के लिए कोई राष्ट्रीय बेंचमार्क (National benchmark for survival in hemodialysis patients) नहीं था, और किसी भी अध्ययन ने डायलिसिस केंद्रों के बीच जीवित रहने के अंतर की जांच नहीं की थी।