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Latest Research : बार-बार खुल जाती है नींद तो हो जाएं सतर्क 

अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे 

Connection between sleep and diseases

नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
क्या आपकी भी नींद बार-बार खुल जाती है। ताजा अध्ययन (Latest Research) में बार-बार नींद खुलने की समस्या (Connection between sleep and diseases) को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। यह एक ऐसी बीमारी के आगमन का संकेत है, जिससे आपका शरीर काफी हदतक प्रभावित हो सकता है। इसका यह मतलब भी कतई नहीं है कि आप डर जाएं। बल्कि आप जागरूक रहे और किसी तरह की समस्या का सामना आपको न करना पडे, इसलिए यहां हम आपसे यह जानकारी साझा कर रहे हैं। 
इंसान के शरीर के लिए नींद बेहद जरूरी है। जब आप सो रहे होते हैं तो शरीर में रिपेयरिंग की प्रक्रिया होती रहती है। शरीर अपने क्षतिग्रस्त सेल्स और टिश्यू की मरम्मत करता है और अगले दिन जब आप उठते हैं तो आपकी थकान गायब हो जाती है और आप तरोताजा महसूस करते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रत्येक दिन कम से कम सात या आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। 

अध्ययन में नीदं और डायबिटीज के मिला कनेक्शन (Connection between sleep and diseases)

Latest Research : बार-बार खुल जाती है नींद तो हो जाएं सतर्क 
Latest Research : बार-बार खुल जाती है नींद तो हो जाएं सतर्क
हाल ही में सामने आए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि जिन लोगों की बार-बार नींद खुलती है तो उन्हें टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) का खतरा हो सकता है। नींद और डायबिटीज के इस कनेक्शन का खुलासा यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने किया है। 
नींद के विभिन्न पहलू डायबिटीज के जोखिम के साथ जुडे हुए हैं। अधिकतर लोग नींद के घंटों का ध्यान रखते हैं। जबकि यह भी देखना जरूरी है कि स्लीप एक्सपीरियंस कैसा रहा। सरल भाषा में कहें तो नींद अच्छी तरह आई या नहीं यह देखना भी महत्वपूर्ण है। नींद की गुणवत्ता बेहतर होने से स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर होती है। जबकि, बार-बार नींद टूटने से स्लीप क्वालिटी खराब हो जाती है। 
  •   डॉ. लीसा मैट्रिकियानी, शोधकर्ता 

कार्डियोमेटाबॉलिक हेल्थ पर पडता है नींद का असर 

Latest Research : बार-बार खुल जाती है नींद तो हो जाएं सतर्क 
Latest Research : बार-बार खुल जाती है नींद तो हो जाएं सतर्क
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक ताजा अध्ययन में यह सामने आया है कि जिन लोगों को सोने में समस्या होती है, उनकी कार्डियोमेटाबॉलिक हेल्थ (cardiometabolic health) प्रभावित हो सकती है। इससे इन्फ्लेमेशन, कोलेस्ट्रॉल और वजन बढ़ने की समस्या का भी सामना करना पड सकता है। इन सभी समस्याओं की वजह से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक खराब नींद और डायबिटीज रिस्क के बीच सीधा कनेक्शन है। 

ऐसे किया अध्ययन 

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में ऑस्ट्रेलिया के 1000 वयस्कों को शामिल किया था। इनकी औसत आयु 44.8 साल थी। अध्ययन में नींद आने में परेशानी, नींद की अवधि, टाइमिंग, एफिशिएंसी और लेंथ वेरिएबिलिटी जैसे तथ्यों को शामिल किया गया और इससे संबंधित आंकडों को एकत्र किया गया। इन आंकडों के विश्लेषण के बाद ही शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं। अध्ययन में यह भी पता चला है कि जिन लोगों को नींद की समस्या होती है, उनका बॉडी मास इंडेक्स, कोलेस्ट्रॉल और इन्फ्लेमेशन का स्तर ज्यादा होता है। इससे टाइप 2 डायबिटीज को जोखिम काफी बढ जाता है। बताया गया है कि यह अपने आप में पहला अध्ययन हैं, जिसमें नींद और डायबिटीज के बीच के कनेक्शन को उजागर किया गया है। 
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