Thursday, November 21, 2024
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Liver Cancer कोर्स 2023 आयोजित

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आईएलबीएस ने आयोजित किया International Liver Cancer Course 2023

नई दिल्ली। आईएलबीएस (ILBS) ने Liver Cancer कोर्स 2023 आयोजित किया है। यह पहला आयोजन है जिसे लिवर कैंसर प्रबंधन क्षेत्र में बहुविषयक मास्टरक्लास बताया जा रहा है। इस कार्यक्रम में दुनिया भर से 600 से अधिक संकाय और प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।

तेजी से बढ रहे है Liver Cancer के मामले

लिवर कैंसर दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले ट्यूमर में से एक है और यह दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों का तीसरा सबसे आम कारण है। दुनिया के लगभग एक चौथाई लिवर कैंसर मरीज एशिया में हैं और इसका कारण हेपेटाइटिस बी और सी से लेकर मधुमेह, फैटी लीवर और शराब है। आईएलबीएस (ILBS) के निदेशक प्रोफेसर एसके सरीन (Professor SK Sarin) ने भारत में लिवर रोग (liver disease) के कारणों में बदलती प्रवृत्ति के बारे में विस्तार से बताया।

उन्होंने आईएलबीएस डब्ल्यूएचओ सहयोगी केंद्र (ILBS WHO Collaborating Center) का डेटा दिखाते हुए कहा कि आज भारत में लिवर कैंसर के 100 मरीजों में से 40 को मधुमेह है। इसलिए, सभी मधुमेह रोगियों को नियमित रूप से लिवर की जांच करानी चाहिए। इसके अलावा, मोटापा, फैटी लीवर, अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन और हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित लोगों को नियमित रूप से  लिवर कैंसर की जांच कराने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, उन्होंने एचसीसी के शीघ्र निदान और प्रबंधन पर भी जोर दिया।

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इम्यूनोथेरेपी है उपयोगी

लिवर कैंसर कोर्स 2023 आयोजित
लिवर कैंसर कोर्स 2023 आयोजित | Photo : Twitter @ ILBS_India

बहु-विषयक आईएलसी पाठ्यक्रम (Multidisciplinary ILC Course) ने लिवर कैंसर के रोगियों में प्रतिक्रिया और परिणाम को बेहतर बनाने में इम्यूनोथेरेपी (immunotherapy) के व्यापक प्रभाव को सामने लाया है। बैठक में हेपेटोलॉजिस्ट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, सर्जन, रेडियोलॉजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और लिवर देखभाल के क्षेत्र में ट्रांसलेशनल शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

एचसीसी में तरल बायोप्सी (रक्त का उपयोग करके) सहित यकृत बायोप्सी की भूमिका प्रस्तुत की गई और गर्म (treatment responsive) और ठंडे (treatment non-responsive) ट्यूमर में वर्गीकरण प्रस्तुत किया गया। PIVKA II, ग्लाइपिकन 3 जैसे नए रक्त परीक्षण और विकसित हो रहे नए बायोमार्कर, प्रोफेसर ओमाटा (जापान) द्वारा प्रस्तुत किए गए।

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इसके अलावा नई एब्लेशन थेरेपी (ablation therapy) प्रोफेसर शिना (जापान) और इम्यूनोथेरेपी (प्रो. फैबियो, इटली) द्वारा प्रस्तुत की गईं। चेन्नई के ट्रांसप्लांट सर्जन प्रो. रिले ने सिरोसिस और गैर-सिरोसिस पृष्ठभूमि वाले एचसीसी वाले रोगियों के लिए दृष्टिकोण के बारे में बताया। उन्होंने उन्नत एचसीसी के मामले में स्थानीय क्षेत्रीय चिकित्सा की भूमिका के बारे में भी बताया।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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