Sunday, April 13, 2025
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Lupus and Symptoms : ल्यूपस के दुर्लभ लक्षण क्या हैं, ऐसे करें पहचान

क्रॉनिक ऑटोइम्यून बीमारी है ल्यूपस

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Lupus and Symptoms को शीघ्र पहचान लेना है जरूरी

नई दिल्ली। Lupus and Symptoms : ल्यूपस एक क्रॉनिक ऑटोइम्यून बीमारी (Autoimmune Disease) है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमलावर हो जाती है।

डॉक्टरों के मुताबिक ल्यूपस का निदान करने के लिए इसके लक्षणों (Lupus and Symptoms) की शीघ्र पहचान जरूरी है। इसके लिए प्रयोगशाला परीक्षणों के साथ ऑटोइम्यून डिसफंक्शन (autoimmune dysfunction) के लक्षणों की भी पडताल की जाती है। ल्यूपस के सामान्य लक्षणों में जोड़ों का दर्द और सूजन, त्वचा पर चकत्ते और थकान शामिल हो सकते हैं।

वर्ष 2018 में प्रकाशित एक सर्वेक्षण में यूनाइटेड किंगडम में सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (Systemic Lupus Erythematosus) के साथ रहने वाले व्यक्तियों में विशिष्ट ल्यूपस लक्षणों (Lupus and Symptoms) की व्यापकता की जांच की गई। यह ल्यूपस का सबसे आम रूप है। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले 2,527 उत्तरदाताओं में से 91 प्रतिशत ने थकान और कमजोरी होने की जानकारी दी। वहीं, 77.4 प्रतिशत ने जोड़ों में दर्द या सूजन होने की जानकारी को साझा किया।

ल्यूपस के दुर्लभ लक्षण (Lupus and Symptoms)

 ल्यूपस के दुर्लभ लक्षण क्या हैं, ऐसे करें पहचान
ल्यूपस के दुर्लभ लक्षण क्या हैं, ऐसे करें पहचान | Photo : freepik

एनजाइना

एनजाइना (angina) सीने में दर्द या बेचैनी पैदा करता है। ऐसा तब होता है जब, हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं मिलता है। एनजाइना एक विश्वसनीय स्रोत की बीमारी नहीं है, बल्कि यह कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) जैसी अंतर्निहित हृदय समस्या का एक लक्षण है।

ल्यूपस वाले मरीजों के सर्वेक्षण में, एनजाइना से प्रभावित केवल 5.5 प्रतिशत उत्तरदाता ही पाए गए। हालांकि, 2022 की एक मिनी-समीक्षा में यह भी कहा गया है कि एनजाइना सामान्य आबादी की तुलना में ल्यूपस वाले लोगों में अधिक होता है। यूनाइटेड किंगडम की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के मुताबिक, एनजाइना एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें भारीपन, दर्द या सुस्ती महसूस हो सकती है। इसका तेज दर्द बांहों, पीठ, गर्दन या जबड़े तक फैल सकता है और शारीरिक गतिविधि से यह और अधिक बिगड़ भी सकता है।

एनजाइना के लक्षण

  • सांस फूलना
  • जी मिचलाना
  • निचली छाती या पेट में दर्द
  • थकान

स्ट्रोक या मिनी स्ट्रोक

स्ट्रोक (stroke) तब होता है जब मस्तिष्क तक ऑक्सीजन युक्त रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं में से एक अवरुद्ध हो जाती है या फट जाती है। मस्तिष्क को कार्य करने के लिए आवश्यक रक्त और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और मस्तिष्क कोशिकाएं मरने लगती हैं। जबकि, मिनी-स्ट्रोक या ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (transient ischemic attack) मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में एक अस्थायी रुकावट होती है। इसके लक्षण स्ट्रोक के समान हो सकते हैं लेकिन केवल कुछ मिनटों तक ही रह सकते हैं। सर्वेक्षण उत्तरदाताओं में से 7.3 प्रतिशत ने स्ट्रोक या मिनी-स्ट्रोक के इतिहास की जानकारी शेयर की।

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स्ट्रोक के लक्षण

  • चेहरे का एक तरफा झुकना या सुन्न होना
  • शरीर के एक तरफ कमजोरी या सुन्नता
  • बोलने या भाषण समझने में कठिनाई
  • संतुलन या समन्वय की हानि
  • गंभीर सिरदर्द

गर्भावस्था हानि

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के विश्वसनीय स्रोत के मुताबिक, ल्यूपस से पीड़ित अधिकांश महिलाएं जो गर्भधारण करती हैं, उनके स्वस्थ गर्भधारण और बच्चे होते हैं। हालांकि, सीडीसी यह भी अनुशंसा करता है कि ल्यूपस से प्रभावित किसी महिला को गर्भधारण से पहले 6 महीने या उससे अधिक समय तक बीमारी को अच्छी तरह से प्रबंधित किया जाना चाहिए।

इसके अलावा अगर ल्यूपस प्रभावित महिला रेमिशन पीरियड (remission period) में हो तो यह उसके लिए गर्भधारण करने का सबसे बेहतर और सुरक्षित मौका साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान सक्रिय ल्यूपस फ्लेयर (lupus flare) होने से गर्भावस्था की हानि या मृत बच्चे का जन्म होने के जोखिम को बढाने वाला साबित हो सकता है। सर्वेक्षण में ल्यूपस से पीड़ित लगभग 18 प्रतिशत महिलाओं ने गर्भावस्था के नुकसान का अनुभव को शेयर किया।

इन महिलाओं को गर्भधारण करने से पहले हो सकता है जोखिम

  • उच्च रक्तचाप
  • दिल की धड़कन रुकना
  • फेफड़ों की बीमारी
  • गुर्दा रोग
  • क्रोनिक किडनी विफलता
  • प्रीक्लेम्पसिया का इतिहास, एक ऐसी स्थिति जो गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप का कारण बनती है
  • पिछले 6 महीनों के भीतर स्ट्रोक

गुर्दे से संबंधित समस्याएं

ल्यूपस फाउंडेशन ऑफ अमेरिका (एलएफए) के अनुसार, ल्यूपस किडनी की बीमारी का कारण भी बन सकता है। इसे ल्यूपस नेफ्राइटिस (lupus nephritis) कहा जाता है। एलएन में, किडनी सूज जाते हैं और इसकी कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। जिससे रक्त में अपशिष्ट उत्पादों (waste products) का निर्माण होता है और शरीर के ऊतकों में तरल पदार्थ जमा होने लगते हैं। जिन लोगों में एलएन विकसित होता है, उनके लिए यह स्थिति आमतौर पर ल्यूपस के लक्षणों की शुरुआत के 5 साल के भीतर पैदा होती है। सर्वेक्षण में, ल्यूपस से पीड़ित 17.5 प्रतिशत व्यक्तियों ने गुर्दे की समस्याओं को अनुभव करने की जानकारी साझा की।

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एलएन के संभावित लक्षण

  • पैरों, टखनों, टांगों या चेहरे पर सूजन
  • बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में
  • झागदार मूत्र
  • उच्च रक्तचाप

खून की समस्या

सर्वेक्षण में, 27.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने ल्यूपस के लक्षण के रूप में रक्त समस्याओं की सूचना दी। एलएफए के मुताबिक , ल्यूपस लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी), सफेद रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) और प्लेटलेट्स की संख्या को प्रभावित कर सकता है।

ल्यूपस के कारण होते हैं दो प्रकार रक्त विकार

एनीमिया

इसमें आरबीसी या हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है। यह शरीर मेें ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में मदद करता है। आरबीसी या हीमोग्लोबिन कम होने पर थकान, कमजोरी और सांस लेने में तकलीफ महससू हो सकती है।

थ्रोम्बोसिस

इसमें अत्यधिक मात्रा में रक्त का थक्का जमने लगता है। इसमें प्लेटलेट का स्तर भी बहुत अधिक हो जाता है। इसके लक्षणों में थक्के की जगह पर सूजन दर्द और कोमलता शामिल है। बड़े रक्त के थक्के स्ट्रोक का कारण भी बन सकते हैं।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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