जीन थेरेपी की मदद से Paralysis को ठीक करने में मिल सकती है मदद
नई दिल्ली। Paralysis : क्या इंसान के रोगग्रस्त या चोटिल स्पाइनल कॉर्ड को रीजेनरेट (Regenerate spinal cord) किया जा सकता है? अगर ऐसा हुआ तो स्पाइन इंजरी की वजह से लकवाग्रस्त (Paralysis) हो चुके लोगों को फिर से सक्रिय जीवन जीने का मौका मिल जाएगा, जो एक तरह से उनके लिए पुनर्जन्म लेने जैसा होगा।
लंबे समय से वैज्ञानिक स्पाइन इंजरी (spine injury) के कारण लकवाग्रस्त हो चुके मरीजों को फिर से सक्रिय करने का उपचार तलाश रहे हैं। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों को बडी कामयाबी मिली है। जिसके बाद स्पाइनल कॉर्ड को रीजेनरेट करने की आशा को बल मिलता हुआ दिख रहा है। यह अध्ययन स्पाइनल कार्ड को जीन थेरेपी की मदद से रीजनेनेरेट करने की कोशिश (Attempt to regenerate spinal cord with the help of gene therapy) पर आधारित था।
न्यूरोरेस्टोर, स्विट्जरलैंड (Neurorestore, Switzerland) के शोधकर्ताओं ने अपनी जीन थेरेपी (gene therapy) को लेकर बडा खुलासा किया है। उन्होंने चूहों पर किए गए अध्ययन में यह पाया है कि चोटिल स्पाइनल कॉर्ड में तंत्रिका पुनर्विकास (nerve regrowth) संभव है। इसके अलावा तंत्रिकाओं को उनके मूल हिस्सों के साथ दोबारा जोडा जा सकता है। चूहों में ऐसा करने से उनमें गतिशीलता (mobility) बहाल करने में कामयाबी हासिल हुई है।
रीढ की हड्डी के गंभीर चोटों से जुडे मामलों में रिजेनरेशन की प्रक्रिया के लिए इस तरह की रणनीतियों की आवश्यकता होती है, जिससे तंत्रिका तंतुओं (nerve fibers) के रिजेनरेट करना संभव हो जाए लेकिन मोटर फ़ंक्शन को सफलतापूर्वक बहाल करना अब भी एक पहेली बन कर रह गई है।
अध्ययन के वरिष्ठ लेखक मार्क एंडरसन (mark anderson) कहते हैं, “पांच साल पहले, हमने यह साबित किया था कि शारीरिक रूप से संपूर्ण रीढ़ की हड्डी की चोटों के दौरान तंत्रिका तंतुओं को पुनर्जीवित (regenerate nerve fibers) किया जा सकता है।” “लेकिन हमने यह भी महसूस किया कि यह मोटर फ़ंक्शन को बहाल करने के लिए पर्याप्त नहीं था क्योंकि नए फाइबर को चोट वाले स्थानों से जोडा नहीं जा सका। एंडरसन न्यूरोरेस्टोर में सेंट्रल नर्वस सिस्टम रीजेनरेशन (Central Nervous System Regeneration in NeuroRestore) के निदेशक और वाइस सेंटर फॉर बायो एंड न्यूरोइंजीनियरिंग में वैज्ञानिक हैं।
न्यूरोरेस्टोर की गेम-चेंजिंग डिस्कवरी यूसीएलए (UCL) और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) के साथियों के साथ मिलकर काम करते हुए, वैज्ञानिकों ने जिनेवा में ईपीएफएल (EPFL) के कैंपस बायोटेक सुविधाओं में अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया। जिससे गहन विश्लेषण कर यह पता लगाया जा सके कि इस तरह के मामलों में किस प्रकार का न्यूरॉन (neuron) शामिल है। आंशिक रूप से रीढ़ की हड्डी की चोट के बाद प्राकृतिक रूप से रीढ़ की हड्डी को रिपेयर करने के तरीकों की तलाश की जा सके।
Also Read : Stem Cell Research की बदौलत शतायु होगा इंसान, बीमारियां नहीं बन सकेंगी समस्या
अध्ययन के पहले लेखक जॉर्डन स्क्वैयर (Jordan Square) के मुताबिक “एकल-कोशिका परमाणु आरएनए अनुक्रमण (Single-cell nuclear RNA sequencing )का उपयोग करके हमारी टिप्पणियों ने न केवल उन विशिष्ट अक्षतंतुओं (specific axons) को उजागर किया जिन्हें पुनर्जीवित होना चाहिए, बल्कि यह भी पता चला है कि इन अक्षतंतुओं को मोटर फ़ंक्शन को बहाल करने के लिए अपने प्राकृतिक लक्ष्यों से फिर से जुड़ना होगा।”
अध्ययनकर्ताओं की टीम का अध्ययन से जुडा निष्कर्ष साइंस जर्नल के सितंबर 2023 अंक में प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों की इस खोज ने बहुआयामी जीन थेरेपी (multidimensional gene therapy) के डिजाइन से जुडी कई महत्वपूर्ण जानकारियों का खुलासा किया है।
गेम-चेंजर साबित हो सकती है न्यूरोरेस्टोर की खोज
वैज्ञानिकों ने चूहों में पहचाने गए न्यूरॉन्स में उनके तंत्रिका तंतुओं (nerve fibers) को पुनर्जीवित करने के लिए विकास कार्यक्रमों को सक्रिय किया। घाव कोर (wound core) के माध्यम से न्यूरॉन्स के विकास का समर्थन करने के लिए विशिष्ट प्रोटीन को अपग्रेड किया। इसके बाद पुनर्जीवित तंत्रिका तंतुओं को चोट के नीचे उनके प्राकृतिक लक्ष्यों की ओर आकर्षित करने के लिए मार्गदर्शन अणुओं को प्रशासित किया।
स्क्वेयर के मुताबिक, “जब हमने एक चिकित्सीय रणनीति तैयार की, जो आंशिक चोटों के बाद स्वचालित रूप से होने वाली रीढ़ की हड्डी की मरम्मत तंत्र को दोहराती है, तो हम प्रकृति से प्रेरित हुए।” शारीरिक रूप से लाचार हो चुके पूर्ण रीढ़ की हड्डी की चोट वाले चूहों ने चलने की क्षमता हासिल कर ली। जिससे चाल पैटर्न प्रदर्शित हुआ।
इससे न्यूरोट्रॉमा के बाद मोटर फ़ंक्शन को बहाल करने में पुनर्योजी उपचारों (regenerative therapies) के सफल होने की पूर्व की अज्ञात स्थिति का पता चला। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उनकी जीन थेरेपी (gene therapy) रीढ़ की हड्डी
की विद्युत उत्तेजना (electrical stimulation) से जुड़ी अन्य प्रक्रियाओं के साथ समान रूप से कार्य करेगी। जीन थेरेपी को इंसान पर लागू करने से पहले अभी इसकी राह में कई बाधाओं को दूर किया जाना है। वैज्ञानिकों ने अपने परीक्षण के जरिए आने वाले कुछ वर्षों में इस उपलब्धि को हासिल करने की दिशा में पहला कदम उठाया है।
[table “5” not found /]