अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के समूह ने कहा Male Infertility की समस्या से शीघ्र निपटने की जरूरत
अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के एक समूह ने Male Infertility (पुरुष बांझपन) को लेकर चिंता जताई है। समस्या की गंभीरता को देखते हुए वैज्ञानिकों के समूह ने चेतावनी भी जारी करते हुए कहा है कि इस समस्या का शीघ्रता से समाधान ढूंढा जाना चाहिए। अगर यही स्थिति बनी रही तो पुरुष बांझपन के उपचार का बोझ महिलाओं पर पड सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक पुरुष बांझपन के कारणों को लेकर सीमित जानकारियां हैं। वहीं, इसके उपचार 50 वर्ष पुराने हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरुष बांझपन के उपचार की दिशा में नई खोज की आवश्यता है।
Male Infertility का महिलाओं को भुगतना पडता है खामियाजा
मेडिकल जर्नल नेचर रिव्यूज़ यूरोलॉजी में प्रकाशित एक नए शोध में शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि ज्ञान की कमी के कारण अक्सर पुरुष बांझपन का बोझ महिलाओं पर पडता है। यूनिवर्सिटी डी मॉन्ट्रियल (University de Montreal) की प्रोफेसर और शोध समूह की सदस्य सारा किमिंस ने कहा, “बड़ी समस्या यह है कि हमें पुरुष बांझपन (Male Infertility) के पीछे जिम्मेदार कारणों की जानकारी नहीं है।
जबकि, इसका वर्तमान निदान और उपचार कारण-आधारित नहीं हैं।” सारा के मुताबिक, यदि आप बांझ पुरुष हैं, तो उपचार के कुछ ही विकल्प उपलब्ध हैं, और इसका निदान वास्तव में पुरानी प्रक्रियाओं पर आधारित है। यह जानकर हैरानी होगी कि पुरुष बांझपन (Male Infertility) से संबंधित निदान की प्रक्रिया में विगत 50 वर्षों से अधिक समय से किसी तरह का परिवर्तन ही नहीं हुआ है। “तो ऐसे में इलाज की पीडा महिलाओं के हिस्से आती है, चाहे वह उनकी प्रजनन क्षमता का मुद्दा हो या न हो।”
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छह दंपतियों में से एक को प्रभावित करती है बांझपन की समस्या
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के मुताबिक बांझपन की समस्या छह दंपतियों में से एक को प्रभावित करता है। इन सभी मामलों में से आधे मामलों में पुरुष बांझपन (Male Infertility) से पीडित होते हैं। अध्ययनों से यह पता चलता है कि व्यवहारिक और पर्यावरणीय कारक पुरुष प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। सारा के मुताबिक, पुरुषों में अंतःस्रावी अवरोधकों के रूप में ज्ञात हार्मोन-बाधा रसायनों के संपर्क में वृद्धि हो रही है। इसके पीछे मोटापा, अल्प खुराक, तनाव, भांग का उपयोग, शराब का सेवन, धूम्रपान और वेपिंग है।
वैज्ञानिकों ने पुरुष प्रजनन की समस्या के लिए 10 सिफारिशें पेश की
मेलबर्न विश्वविद्यालय में विज्ञान संकाय की डीन मोइरा ओ’ब्रायन के नेतृत्व में 25 वैज्ञानिकों के एक समूह ने अपने रिसर्च पेपर के माध्यम से पुरुष बांझपन (Male Infertility) की समस्या से निपटने के लिए 10 सिफारिशें पेश की है। इसमें प्रमुख तौर पर यह सलाह दी गई है कि सामाजिक अभियानों के माध्यम से पुरुषों में बांझपन की समस्या के प्रति जागरुकता फैलाई जानी चाहिए।
वैज्ञानिकों का मत है कि पुरुषों को उन व्यवहारों और जीवनशैली की आदतों के बारे में शिक्षित किया जाए, जिससे उन्हें संतान पैदा करने की संभावनाओं को अधिकतम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही इन अभियानों के माध्यम से पुरुषों को बांझपन के लिए जिम्मेदार कारणों के प्रति भी सचेत कराने पर बल दिया गया है। सारा के मुताबिक, “हम वास्तव में चाहेंगे कि लड़कों और युवाओं को यह शिक्षा स्कूल में मिले, जब वे छोटे हों।” ” इससे प्रजनन क्षमता को प्रभावित होने से बचाने में मदद मिलेगी।”
फैमिली डॉक्टर भी उठाएं जिम्मेदारी
वैज्ञानिकों के मुताबिक पुरुषों में बांझपन की समस्या (Male Infertility) से बचने में फैमिली डॉक्टर भी काफी मददगार हो सकते हैं। डॉक्टरों को अपने पुरुष रोगियों के साथ उन कारकों पर चर्चा करने में भूमिका निभानी चाहिए, जिससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है।
सारा के मुताबिक, अक्सर डॉक्टर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization) को पुरुष बांझपन के लिए आसान समाधान के रूप में देखते हैं। हालांकि, वे यह भूल जाते हैं कि इस प्रक्रिया को पुरुषों की बांझपन की वजह से महिलाओं पर अपनाया जाता है। जबकि, प्रजनन से संबंधित समस्या का सामना महिला नहीं बल्कि पुरुष कर रहे होते हैं। सारा के मुताबिक “यह वास्तव में अनुचित और असमान है कि हमारे पास जोड़े के बेहतर इलाज के लिए कुछ भी उपलब्ध नहीं है।”
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जागरुकता ही मौजूदा और बेहतर विकल्प
सारा के मुताबिक, वर्तमान में जागरुकता फैलाकर पुरुष बांझपन (Male Infertility) की रोकथाम का महत्वपूर्ण जरिया है। पुरुष प्रजनन क्षमता (male fertility) प्रभावित क्यों होते हैं, इसके पीछे किस तरह के कारक मौजूद हैं, पुरुष बांझपन स्थाई है या नहीं? इन सब के विषय में ज्यादा जानकारी न होना इसके निदान और उपचार के मामले में बडी बाधा साबित हो रही है। सारा किमिंस के मुताबिक, औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले ऐसे पुरुष जिन्हें रासायनों के बीच काम करना पडता है, उन्हें इस बात की जानकारी पहले से होनी चाहिए कि रासायनिक संपर्क से उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। उन्हें इससे बचने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए।
फैमिली प्लानिंग से पहले अपने प्रजनन स्वास्थ्य को सुधारें
वैज्ञानिकों की सलाह है कि फैमिली प्लानिंग करने की सोच रहे युवाओं को इससे पहले अपने प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। बेहतर खान-पान, व्यायाम और अच्छी नींद लेकर वे अपनी प्रजनन क्षमता (male fertility) को बेहतर बना सकते हैं। इससे अनजाने में होने वाले नुकसान से भी वे बच सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि फैमिली प्लानिंग के एक या दो महीने पहले ही किसी दंपति को इन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। पुरुषों को इसे उपाए के तौर पर कम, जिम्मेदारी के रुप में लेने की जरूरत है क्योंकि संतान के रुप में इसका असर उन्हें आजीवन प्रभावित कर सकता है।
बांझ पुरुषों में कैंसर और हृदय रोग की अधिक होती है संभावना
वैज्ञानिकों के समूह ने अध्ययनों के जरिए यह पता लगाया है कि बांझ पुरुषों में कैंसर और हृदय रोग का जोखिम अधिक होता है। प्रजनन क्षमता (male fertility) के प्रभावित होने की वजह से आपके आने वाली पीढियों के बच्चों को स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड सकता है। यह समस्याएं जेनेटिक से लेकर ऑटोइम्यून श्रेणी की भी हो सकती हैं।
पुरुष बांझ नहीं है लेकिन उसके शुक्राणु की अगर गुणवत्ता प्रभावित है, तो संभव है कि इसका असर पैदा होने वाले शिशु के स्वास्थ्य पर भी पड सकता है। प्रजनन क्षमता प्रभावित होने की वजह से मोटापे से लेकर न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों तक कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने वाले बच्चे को भी हो सकती है। यह भी संभव है कि आपकी संतान भी आपके तरह कमजोर प्रजनन क्षमता वाला ही हो। यही कारण है कि पुरुषों को इसे उपचार के साथ एक जिम्मेदारी की तरह समझना चाहिए क्योंकि इससे अपनी प्रजनन क्षमता की रक्षा करने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य भी जुडा हुआ होता है।
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