Friday, January 24, 2025
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Mechanical Heart Implant : मरीज के सीने में धड़का  ‘मैकेनिकल हार्ट’

यह कमाल दिल्ली कैंट (Delhi Cantt) स्थित Army Hospital (Research and Referrals) में किया गया है। जहां किसी सरकारी संस्थान में पहली बार (first time in a government institution) मरीज में मैकेनिकल हार्ट प्रत्यारोपण (Mechanical heart transplantation) सफलतापूर्वक किया गया है।

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भारत (India) में पहली बार किया गया ‘Mechanical Heart Implant’ प्रत्यारोपित

Mechanical heart implant surgery at Army Hospital Delhi Cantt. Health News Delhi : भारतीय सर्जन ने हार्ट प्रत्यारोपण के क्षेत्र में नया इतिहास (New history in the field of heart transplantation) रच दिया है। यह कमाल दिल्ली कैंट (Delhi Cantt) स्थित Army Hospital (Research and Referrals) में किया गया है। जहां किसी सरकारी संस्थान में पहली बार (first time in a government institution) मरीज में मैकेनिकल हार्ट प्रत्यारोपण (Mechanical heart transplantation) सफलतापूर्वक किया गया है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के साथ सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं (AFMS) के लिए भी हृदय प्रत्यारोपण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ है।

HeartMate 3 डिवाइस का किया उपयोग  

मरीज में पहली बार Left Ventricular Assist Device (LVAD) इम्प्लांट को HeartMate 3 डिवाइस का उपयोग करते हुए प्रत्यारोपित किया गया है। ऐसा किसी सरकारी चिकित्सा संस्थान में पहली बार किया गया।

पूर्व सैनिक की पत्नी को मिला ‘मैकेनिकल हार्ट’

Mechanical Heart Implant : मरीज के सीने में धड़का  'मैकेनिकल हार्ट'
Mechanical Heart Implant : मरीज के सीने में धड़का  ‘मैकेनिकल हार्ट’
मैकेनिकल हार्ट (LVAD) का प्रत्यारोपण 49 वर्षीय महिला मरीज में किया गया, जो पूर्व सैनिक की पत्नी हैं। पिछले दो वर्षों से महिला हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर रही थी। LVAD को सामान्य भाषा में ‘मेकैनिकल हार्ट’ (Mechanical heart implant) कहते हैं। गंभीर हार्ट फेल्योर (Severe heart failure) से जूझ रहे मरीजों के लिए यह इंप्लांट (Mechanical heart implant) जीवनदायिनी साबित होती है। रक्षा मंत्रालय (defence ministry) के मुताबिक,  यह डिवाइस हार्ट फेल्योर के अंतिम चरण के मरीजों के लिए जीवन की नई आशा साबित होती है।

क्या है HeartMate 3?

What is HeartMate 3?

HeartMate 3 LVAD एक अत्याधुनिक डिवाइस (state of the art devices) है। जिसे उन्नत तकनीक की मदद से मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह डिवाइस (Mechanical heart implant) हृदय स्वास्थ्य को सुधारने के लिए उपयोग किया जाता है। बेहद एडवांस स्टेज की हार्ट डिजीज में प्रयोग होने वाली यह तकनीक मरीजों के लिए आशा की किरण साबित होती है। यह डिवाइस ऐसे मरीजों के लिए डिजाइन किया गया है, जो हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) के लिए इंतजार कर रहे होते हैं।

मरीज के स्वास्थ्य में हो रहा है सुधार 

महिला मरीज, जिसमें मैकेनिकल हार्ट (Mechanical heart implant) प्रत्यारोपित किया गया है। उसकी हालत में अब सुधार हो रहा है। मरीज को चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है। इस सफलता से आर्मी हॉस्पिटल (R&R) और सर्जरी करने वाली टीम बेहद उत्साहित है। सर्जरी की सफलता अस्पताल की उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा टीम और उनकी कार्यकुशलता को स्पष्ट करती है। अस्पताल ने अपनी इस उपलब्धि से यह साबित किया है कि हार्ट से संबंधित चिकित्सा और सर्जरी (Heart-related medicine and surgery) में वह अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं (State-of-the-art medical facilities) प्रदान करने में अग्रणी है।

भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के लिए भी उपलब्धि महत्वपूर्ण 

आर्मी हॉस्पिटल (Army Hospital Delhi) की मौजूदा उपलब्धि (Current achievements of Army Hospital) भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के लिए भी गर्व का विषय है। इससे यह साबित होता है कि अब सरकारी संस्थान भी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवा और सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं। आर्मी अस्पताल की यह उपलब्धि अन्य सरकारी अस्पतालों को भी नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगी।

क्या है मैकेनिकल हार्ट?

What is a mechanical heart?

मैकेनिकल हार्ट, (Mechanical heart implant)  एक उपकरण है जो हृदय की पंपिंग प्रक्रिया (pumping process of the heart) सुचारु रखने में सहायता करता है। इसे हृदय के वाल्व को बदलने में भी इस्तेमाल किया जाता है। मैकेनिकल हार्ट, टाइटेनियम और कार्बन जैसी मज़बूत सामग्री से बना हुआ होता है।

कितने तरह के होते हैं मैकेनिकल हार्ट?

How many types of mechanical heart are there?

  • Total artificial heart
  • Ventricular assist devices (VAD),
  • Mechanical heart valves

मैकेनिकल हार्ट के फायदे क्या हैं?

What are the advantages of a mechanical heart?

  • यह लंबे समय तक काम कर सकता है।
  • यह मज़बूत और टिकाऊ होता है।
  • यह रक्त घटकों को अधिक नुकसान नहीं पहुंचाता।

मैकेनिकल हार्ट के इस्तेमाल से जुड़ी सावधानियां

  • इसके इस्तेमाल के लिए रक्त पतला करने वाली दवाओं (Anticoagulants) का सेवन करना जरूरी होता है।
  • इसके इस्तेमाल के बाद, नियमित रूप से रक्त परीक्षण कराना जरूरी होता है।
  • इसके इस्तेमाल के बाद, संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक लेनी पड़ सकती है।

पहली बार मैकेनिकल हार्ट का प्रयोग कब और कहां किया गया था?

When and where was the mechanical heart used for the first time?

इंसान में यांत्रिक हृदय (mechanical heart in humans) को पहली बार वर्ष 1966 में प्रत्यारोपित (transplant) किया गया था। यह कमाल माइकल ई. डेबकी (Michael E. DeBakey) नाम के विशेषज्ञ ने किया था। उन्होंने मरीज की महाधमनी (aorta) और माइट्रल वाल्व (mitral valve) को बदलने के लिए बांए वीएडी (Left VAD) को स्थापित किया था। जिससे मरीज को हृदय-फेफडे की मशीन (heart-lung machine) से अलग करना संभव हो पाया था। वीएडी के पंप प्रवाह के 10 दिनों के बाद मरीज का हृदय सामान्य रूप से काम करने लगा। जिसके बाद मरीज से वीएडी को हटा दिया गया।

1970 के दशक में सिंथेटिक सामग्री (Synthetic Materials) को विकसित किया गया। जिससे स्थाई कृत्रिम हृदय (permanent artificial heart) के विकास में काफी सहायता मिली। अमेरिकी चिकित्सक रॉबर्ट के. जर्विक (American physician Robert K. Jarvik) ने ऐसा ही एक उपकरण विकसित किया। जिसे अमेरिकी सर्जन विलियम सी. डेव्रीस (American surgeon William C. DeVries) ने एक मरीज में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया था। वर्ष 2001 में अमेरिकी सर्जनों की एक टीम ने पूरी तरह आत्मनिर्भर कृत्रिम हृदय (fully self-contained artificial heart) एबियोकोर (Abiocor) प्रत्यारोपित किया था।  

वर्ष 2008 में एक पूर्णतः कार्यात्मक कृत्रिम हृदय (fully functional artificial heart) विकसित किया गया। इसे एक फ्रांसीसी कंपनी ने विकसित किया था। जिसकी स्थापना हृदय रोग विशेषज्ञ एलेन कार्पेंटियर (Cardiologist Alain Carpentier) ने की थी। डिवाइस को विशेष रूप से डिजाइन किए गए बायोसिंथेटिक पदार्थ (Biosynthetic substances) से कवर किया गया था। जिससे रक्त के थक्के बनने से रोका जा सके और प्रतिरक्षा अस्वीकृति (immune rejection) की संभावना कम हो।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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