यूरोप और अफ्रिका में प्रचलित है Mediterranean Food
नई दिल्ली। क्या मेडिटेरेनियन फूड (Mediterranean Food) एंकिलोजिंग स्पॉडिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) प्रबंधन (Management) के लिहाज से ठीक है? यह जानना इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि मेडिटेरेनियन डाइट को सूजनरोधी (anti inflammatory) और दर्द में राहत देने वाली (pain reliever) डाइट के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
ऐसे में इस बात की पुष्टि करना जरूरी हो जाता है कि क्या वास्तव में यह डाइट एंकिलोजिंग स्पॉडिलाइटिस और अर्थराइटिस प्रबंधन (Arthritis Management) के लिए फायदेमंद है। हम यहां आपको मेडिटेरेनियन फूड (Mediterranean Food) के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कर रहे हैं। जो आपको इसे अपनाने या न अपनाने का निर्णय करने में मदद कर सकती है।
Ankylosing Spondylitis में कई तरह से फायदेमंद
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग में एम.डी. वरिष्ठ संकाय संपादक डॉ. रॉबर्ट एच. शिमरलिंग ने रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) पर मेडिटेरेनियन फूड के प्रयोग को फायदेमंद बताया है। एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण और कारण भी रूमेटाइड अर्थराइटिस के काफी हदतक मिलते-जुलते हैं। ऐसे में एएस मरीजों के लिए मेडिटेरेनियन डाइट को अपनाना फायदेमंद साबित हो सकता है।
डॉ. रॉबर्ट के मुताबिक, इस बात के कुछ हदतक प्रमाण मिले हैं कि मेडिटेरेनियन फूड (Mediterranean Food) या डाइट में सूजन रोधी गुण होते हैं। यह आहार कुछ प्रकार की गठिया जैसे रूमेटोइड अर्थराइटिस में होने वाले सूजन और जोडों में दर्द को कम करने में सहायक हो सकता है। इस आहार में अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, लाल मांस और वसा के अस्वास्थ्यकर स्रोतों को शामिल नहीं किया जाता है।
वहीं, इसमें फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, नट्स, बीन्स और जैतून के तेल को प्राथमिकता दी जाती है। यह गाउट जैसी अर्थराइटिस के मामले में भी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। जो खाद्य पदार्थ यूरिक एसिड (गाउट का कारण) बढ़ाते हैं, उनमें लाल मांस, समुद्री भोजन, शराब और उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप वाले खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ शामिल होते हैं।
ऐसे आहार मोटापे को बढाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जबकि, अनियंत्रित वजन ऑस्टियोआर्थराइटिस के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है। जबकि, सूजन और दर्द वाली क्रॉनिक बीमारियों में भी मेडिटेरेनियल फूड के प्रयोग से राहत मिलने के प्रमाण हैं। हालांकि, इस विषय पर अभी और शोध और अध्ययन करने की जरूरत है।
कैसे इस्तेमाल में आया यह Mediterranean Food ?
मेडिटेरेनियन डायट का इतिहास 1960 के दशक से संबंधित है। इस दौर यह मेडिटेरेनियन फूड इटली और यूनान के देशों में पारंपरिक तौर पर अपनाई जाती थी। अध्ययनकर्ताओं ने यह पाया कि अमेरिका के मुकाबले इटली और यूनान के लोग अपने देश के पारंपरिक भोजन खाने के कारण कई तरह की बीमारियों से दूर रहते हैं। इस विशेषता के कारण इटली और यूनान में अपनाई जाने वाली आहार शैली अध्ययनकर्ताओं के नजर में आई और इसपर शोध और अध्ययन का कार्य शुरू हो गया।
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मेडिटेरियन शब्द का अर्थ होता है, पानी से घिरी हुई जमीन। इटली और यूनान मेडिटेरेनियन समुद्र से घिरे हुए देश हैं। मेडिटेरेनियन समुद्र अटलांटिक सागर का ही एक हिस्सा है। इसलिए ऐसे देशों के निवासी, जो आहार शैली अपनाते हैं, उसे मेडिटेरेनियन डायट (Mediterranean diet) कहा जाने लगा। मेडिटेरेनियन क्षेत्र में रहने वाले लोगों की यह विशेषता है कि वे ताजा भोजन, संपूर्ण अनाज और लेग्यूम्स आदि अपने आहार में शामिल करते हैं। इसके अलावा यह फैट और फिश का भी सेवन करते हैं।
मेडिटेरेनियन डायट (Mediterranean diet) में इन खाद्य पदार्थ का होता है इस्तेमाल
फल और संपूर्ण अनाज
अनेक प्रकार की सब्जियां
गुड फैट्स, जैसे- नट्स, बीज और ऑलिव ऑयल
व्हाइट और रेड मीट काफी कम मात्रा में
कुछ मात्रा में डेयरी और मछली
अंडे
रेड वाइन
कैसे काम करता है Mediterranean Diet ?
यह डाइट स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है। इससे वजन नियंत्रित रहता है। हमारे शरीर में जो भी न्यूट्रिएंट्स जाते हैं, हमारा शरीर उलब्धता के मुताबिक उनकी मात्रा डिवाइड कर उसका उपयोग करता है। मेडिटेरेनियन डायट में न्यूट्रिएंट्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स की मौजूदगी होती है। यह हमारे शरीर में एंटी-इंफ्लमेटरी, एंटी वायरल, एंटीम्यूटाजेनिक, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीथ्रॉम्बिक और वासोडायलेटरी इफेक्ट्स के तौर पर कार्य करता है।
शरीर के लिए कौन से न्यूट्रिएंट्स जरूरी है?
प्रोटीन
कार्बोहाइड्रेट्स
फैट
विटामिन
मिनरल्स
पानी
phytonutrients क्या है ?
फाइटोन्यूट्रिएंट्स को फाइटो केमिकल्स भी कहा जाता है। यह हमारे शरीर को बीमारियों से लडने में मदद करता है। फाइटोन्यूट्रिएंट्स पौधों में पाए जाते हैं। यह पेडों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण तत्व हैं क्योंकि यह पेड़ों को फंफूद, कीड़ों-मकौड़ों और जर्म्स से बचाते हैं। पौधों में लगभग 25,000 तरह के फाइटोन्यूट्रिएंट्स की मौजूदगी होती है। अगर हम पौधों से प्राप्त आहार खाते हैं, तो हमें किसी भी न्यूट्रिएंट्स की सप्लीमेंट लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मेडिटेरेनियन डाइट में प्रचूर मात्रा में फाइटोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं।
Mediterranean diet में शामिल होते हैं यह खाद्य पदार्थ
फल (Fruits)
सेब, केला, संतरें, पीयर, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, अंजीर, खजूर, तरबूज, खरबूज, आड़ू आदि।
सब्जियां (Vegetables)
टमाटर, ब्रॉकली, केल, पालक, प्याज, गोभी, गाजर, खीरा, स्प्राउट आदि।
नट्स और बीज (Nuts and seeds)
बादाम, अखरोट, हेजलनट्स, काजू, सनफ्लावर के बीज, कद्दू के बीज आदि।
लेग्यूम्स (Legume)
बीन्स, मटर, लेंटिल्स, दालें, चना आदि।
संपूर्ण अनाज (Whole grains)
ओट्स, ब्राउन राइस, राई, जौ, मक्का, गेंहू, होल ग्रेन ब्रेड और पास्ता, बकव्हीट आदि।
तना (Tubers)
आलू, शकरकंद, शलजम, जिमीकंद या सूरन आदि।
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मछली और सी फूड (Fish and seafood)
सैलमन, सार्डिंस, ट्राउट, टूना, श्रिम्प, घोंघा, क्रैब्स आदि।
पोल्ट्री (Pletry)
चिकन, बतख आदि।
अंडे (Egg)
मुर्गी और बतख के अंडे।
डेयरी (Dairy)
चीज, योगर्ट, दही, पनीर आदि।
हर्ब्स और मसाले (Herbs and spices)
लहसुन, तुलसी, पुदीना, रोजमेरी, दालचीनी, काली मिर्च, जायफल आदि।
हेल्दी फैट्स (Healthy fats)
एक्सट्रा वर्जिन ऑलिव आयल, ऑलिव, एवोकैडो और एवोकैडो ऑयल।
मेडिटेरेनियन डाइट वालों को कैलोरी कैलकुलेट करने की नहीं पडती जरूरत
जब भी आप कोई डाइट प्लान फॉलो करते हैं, तब आपको कैलोरी काउंट करने की जरूरत पडती है। मेडिटेरेनियन डाइट में ऐसा कुछ नहीं करना पडता है। आप इस आहार शैली में बताए गए सभी खाद्य पदार्थों का मन के मुताबिक उपयोग कर सकते हैं। इस इसमें थोडा बदलाव करने पडेंगे।
आपको बटर की जगह ऑलिव ऑयल, रेड मीट के जगह फिश और चिकन, मीठे पकवानों की जगह आप फ्रूट्स, फ्रेश सब्जियां और बीन्स खाने पडेंगे। आप मेडिटेरेनियन डाइट के तहत नट्स भी खा सकते हैं लेकिन आपको रोजाना एक मुट्टी भर ही नट्स खाना है। आप सामान्य मात्रा में आप रोटी, ब्रेड भी खा सकते हैं। इस डाइट के तहत रेड वाइन भी ली जा सकती है लेकिन एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस वाले लोग रेड वाइन का प्रयोग न करें तो बेहतर है।
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