Friday, October 18, 2024
HomeNewsDelhiMemory Care : अल्जाइमर में योग का प्रभाव, दिल्ली एम्स में होगी...

Memory Care : अल्जाइमर में योग का प्रभाव, दिल्ली एम्स में होगी रिसर्च-स्टडी

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

एम्स ( Delhi Aiims) विशेषज्ञ : अल्जाइमर से बचना है तो 40 की उम्र के आसपास Memory Care जरूरी

नई दिल्ली। Memory Care : एम्स (Delhi Aiims) के विशेषज्ञ अल्जाइमर में योग के प्रभाव (Effect of yoga in Alzheimer’s) पर शीघ्र ही रिसर्च-स्टडी करने जा रहे हैं। एम्स में होने वाली इस स्टडी में 40 वर्ष के आसपास बढ रहे भूलने की बीमारी, अल्जाइमर पर योग करने के क्या फायदे (What are the benefits of doing yoga in Alzheimer’s) हो सकते हैं, यह पता लगाया जाएगा।

एम्स (Delhi Aiims) विशेषज्ञों की मानें तो भूलने की बीमारी आमतौर पर सामान्य है लेकिन 40-50 वर्ष की उम्र वाले व्यक्ति में बार-बार भूलने की समस्या दिखने लगे तो यह ब्रेन में मौजूद किसी गंभीर बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं। अल्जाइमर भी इन्हीं में से एक बीमारी है। खास बात यह है कि कोई भी 40-50 वर्ष की उम्र वाला व्यक्ति अगर बार-बार भूलने की समस्या से पीडित हो तो एम्स के इस रिसर्च-स्टडी का हिस्सा बन सकता है।

उम्र के साथ होता है मस्तिष्क में बदलाव

Memory Care : अल्जाइमर में योग का प्रभाव, दिल्ली एम्स में होगी रिसर्च-स्टडी
Memory Care : अल्जाइमर में योग का प्रभाव, दिल्ली एम्स में होगी रिसर्च-स्टडी | Photo : freepik

एम्‍स दिल्‍ली (Delhi Aiims) के न्‍यूरोलॉजी विभाग की प्रोफेसर मंजरी त्रिपाठी के मुताबिक शरीर के अन्य हिस्सों की तरह ही मस्तिष्क में भी उम्र के साथ बदलाव आते हैं। उम्र बढने के साथ कई लोगों में मेमरी लॉस की समस्या उभरने लगती है। कई बार ऐसे लोग अपने किसी परिचित का नाम भी भूल जाते हैं। उन्हें नाम याद करने के लिए दिमाग पर अत्यधिक जोर डालना पडता है। कई बार लोग जाने-पहचाने रास्तों को भी भूल जाते हैं। कई बार ऐसे लक्षण सामान्य भी होते हैं लेकिन अगर यह समस्या 40-50 वर्ष की आयु में बार-बार हो तो यह लक्षण अल्जाइमर जैसे रोग का भी हो सकता है।

माइल्ड कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट का रहता है जोखिम

भूलने से संबंधित ऐसे लक्षणों को लेकर तबतक गंभीरता नहीं बरती जाती है, जबतक कि प्रभावित इंसान की दिनचर्या इससे प्रभावित नहीं हो जाती। यह वह स्टेज है, जहां से ऐसे लक्षणों के आधार पर तत्काल सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। 40 वर्ष और आसपास के उम्र में ऐसे लक्षण माइल्ड कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट (एमसीआई) भी हो सकता है। समय रहते ऐसी बीमारियों को पहचान कर इसका उपचार कराया जाए तो इन बीमारियों को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। एमसीआई के लक्षण सामान्य लग सकते हैं लेकिन अगर लापरवाही बरती गई तो कुछ समय में अल्‍जाइमर्स-डिमेंशिया या ब्रेन के अन्‍य गंभीर डिसऑर्डर्स में भी तब्दील हो सकता है।

Also Read : Healing Meditation : इस तरह अगर किया ध्यान दिमाग-शरीर को मिलेगा दोहरा लाभ

एमसीआई के लक्षण

  • चीज़ें अक्सर भूल जाना।
  • अपॉइंटमेंट या सामाजिक कार्यक्रमों में जाना भूलना।
  • विचार करने की शक्ति का खोना।
  • किसी किताब या फ़िल्म की कहानी याद न आना।
  • कही गई बातों को याद रखने में परेशानी।
  • फैसले लेने, किसी कार्य को पूरा करने या निर्देशों का पालन करने में समस्या।
  • जाने-पहचाने हुए रास्तों को ढूढने में कठिनाई।
  • सटीक फैसले न लेकर खराब फैसले लेना।
  • डिप्रेशन, एंग्‍जाइटी, तनाव, गुस्‍सा और किसी चीज में रुचि न होने जैसी समस्या । .

एमसीआई का इन्हें ज्यादा खतरा

  • डायबिटीज का मरीज
  • स्‍मोकिंग की आदत वाला व्यक्ति
  • हाई बीपी या हाई कॉलेस्‍ट्रॉल से पीडित मरीज
  • अनिद्रा, डिप्रेशन या एंग्‍जाइटी वाले लोग
  • व्‍यायाम या सामाजिक गतिविधियों में हिस्‍सा न लेने वाले लोग

एम्‍स विशेषज्ञ मानते हैं योग हो सकता है कारगर

एम्‍स के न्‍यूरोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रेन से संबंधित कई बीमारियों में योग कारगर साबित हो सकता है। एम्स में पहले हो चुकी एक स्टडीज में यह पता चला है कि अनिद्रा में योग निद्रा बेहद कारगर है। विशेषज्ञों को उम्मी है कि एमसीआई में योग और ध्‍यान की कई अवस्‍थाएं कारगर साबित हो सकती है।

एम्‍स की स्‍टडी में करा सकते हैं नामांकन

एम्‍स के एनाटॉमी विभाग की प्रोफेसर रीमा दादा के मुताबिक एमसीआई और अल्‍जाइमर्स जैसे रोगों पर पहले की कई स्टडीज में योग के उपयोगी होने का पता चला है। इस बार अल्‍जाइमर्स डिमेंशिया में योग की अवस्‍थाओं, सूक्ष्‍म व्‍यायाम, डीप ब्रीदिंग, नाड़ी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, पांच आसन और ध्‍यान पर रिसर्च-स्‍टडी की जाएगी। एमसीआई या मेमोरी डिफेक्‍ट वाले 45 साल से ऊपर के मरीज इस स्टडी में शामिल होने के लिए नामांकन करवा सकते हैं।

[table “9” not found /]
[table “5” not found /]

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India Web Team
Caas India Web Teamhttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article