New Discovery of Scientists : ऑटोइम्यून डिऑर्डर और एचआईवी-एड्स के प्रभावी उपचार को ढूंढने की दिशा में बडी कामयाबी
नई दिल्ली : New Discovery of Scientists : वैज्ञानिकों ने ऑटोइम्यून डिऑर्डर (Autoimmune disorders) और एचआईवी (HIV) -एड्स के प्रभावी उपचार को ढूंढने की दिशा में बडी कामयाबी का दावा किया है। यह जानकारी इजराइल के तेल अवीव यूनिवर्सिटी से निकलकर सामने आई है, जहां अध्ययनकर्ताओं ने एक ऐसी दवा बनाने का दावा किया है, जिसकी महज एक खुराक से ही शरीर में मौजूद एचआईवी वायरस को खत्म किया जा सकेंगा। वहीं, यह भी दावा किया गया है कि यह दवा ऑटोइम्यून डिसॉर्डर्स और कैंसर जैसी बीमारियों पर भी प्रभावी साबित होगी।
यहां बता दें कि एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम, ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी (एचआईवी) वायरस से होने वाली बीमारी है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह वायरस चिम्पांजी से इंसान में 20वीं सदी में संक्रमित हुआ था। यह वायरस मरीज के सीमेन, वजाइनल फ्लुइड और खून के संपर्क में आने से फैल सकता है। अभी तक इसका प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है।
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वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने जीन एडिटिंग तकनीक की मदद से इस वैक्सीन को विकसित किया है। फिलहाल इसका परीक्षण चूहों पर किया गया है। वैक्सीन में टाइप बी वाइट ब्लड सेल्स (सफेद रक्त कोशिकाओं) का इस्तेमाल किया गया है। यह इम्यून सिस्टम में एचआईवी वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडीज विकसित करने में सक्षम है।
यहां बता दें कि एचआईवी वायरस से संक्रमित होने के बाद इंसान के शरीर का इम्यून सिस्टम धीरे-धीरे बीमारियों से लडने की क्षमता खो देता है। यह इतना कमजोर हो जाता है कि संक्रमित इंसान के लिए मामूली समझी जाने वाली बीमारियां भी जानलेवा हो जाती हैं। ज्यादातर एचआईवी संक्रमित इंसानों में सामन्य रूप से टीबी का संक्रमण पाया जाता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इस दवा से बनने वाली एंटीबॉडीज सुरक्षित और शक्तिशाली हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि यह संक्रामक बीमारियों के अलावा कैंसर और बाकी ऑटोइम्यून बीमारियों से निजात दिलाने में काम आ सकता है।
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ऐसे काम करती है यह वैक्सीन :
शोधकर्ताओं के मुताबिक टाइप बी वाइट ब्लड सेल्स ही हमारे शरीर में वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ इम्यूनिटी तैयार होती है। ये नसों के जरिए अलग-अलग अंगों में पहुंचते हैं। अब वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी CRISPR का इस्तेमाल करते हुए इनमें बदलाव करने में कामयाबी हासिल कर ली है। इससे जैसे ही बदल चुके सेल्स से वायरस का सामना होता है, वैसे ही सेल्स उस पर हावी हो जाते हैं।
क्या है CRISPR टेक्नोलॉजी?
CRISPR एक जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी है। इसकी मदद से वायरस, बैक्टीरिया या इंसानों के सेल्स को जेनेटिकली बदलना संभव है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगले कुछ सालों में AIDS, कैंसर और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स का प्रभावी और स्थाई उपचार बाजार में उपलब्ध हो सकता है।
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