शीघ्र पहचान के लिए (NCD) अभियान तेज
Non-Communicable Disease Screening, Lifestyle related diseases, NCD : भारत (India) में जीवनशैली से संबंधित बीमारियों (Lifestyle related diseases) की चुनौतियों को सरकार गंभीरता से ले रही है। ऐसी बीमारियों की शीघ्र पहचान के लिए बाकायदा एक अभियान के तहत गैर-संचारी रोगों की जांच (Non-Communicable Disease Screening) को तेज कर दी गई है।
30 से अधिक आयु वाले लोगों की जांच
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने 30 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में मधुमेह (diabetes), उच्च रक्तचाप (high blood pressure) और तीन सामान्य कैंसर (Cancer) – मौखिक, स्तन और गर्भाशय-ग्रीवा – जैसी प्रचलित बीमारियों की जांच से संबंधित एक विशेष अभियान शुरू किया है।
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जिसका लक्ष्य कमजोर आबादी को 100% कवरेज देना है। यह अभियान गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण (Prevention and control of non-communicable diseases) के उद्देश्य के लिए चलाए जा रहे, राष्ट्रीय कार्यक्रम (NP-NCD) का ही हिस्सा है। जिसके अंतर्गत 31 मार्च तक 50 करोड़ लोगों की एनसीडी स्क्रीनिंग (non-communicable diseases Screening) का लक्ष्य तय किया गया है।
एनसीडी से हर साल 41 मिलियन मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, एनसीडी (non-communicable diseases) प्रत्येक वर्ष 41 मिलियन लोगों की मौत की वजह बन रहा है। यह आंकडा वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौत का 74% है।
इनमें चार प्रमुख एनसीडी हृदय संबंधी हैं, जिनमें कैंसर (Cancer), पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियां (Chronic respiratory diseases) और मधुमेह (diabetes) हैं। इसके पीछे चार सामान्य कारणों को जिम्मेदार माना गया है। अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, तंबाकू का सेवन और शराब का सेवन।
2017 में ही सामने आया था चौंकाने वाला अनुमान
भारत में ऐसी बीमारियों का नवीनतम डेटा असानी से उपलबध नहीं है लेकिन वर्ष 2017 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट (Indian Council of Medical Research Report) में जो अनुमान सामने आया था, उससे इन बीमारियों का प्रभाव समझा जा सकता है।
2017 की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया था कि भारत में एनसीडी के कारण होने वाली मौतों (Deaths due to NCDs in India) का अनुपात 1990 में 37.9% से बढ़कर 2016 में 61.8% हो गया।
इस रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि 2016 में हृदय संबंधी रोगों (cardiovascular diseases) के 54.5 मिलियन मामले, इस्केमिक हृदय रोगों (ischemic heart diseases) के 23.8 मिलियन मामले, स्ट्रोक (Stroke) के 6.5 मिलियन मामले, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के 55 मिलियन मामले, अस्थमा (Asthma) के 38 मिलियन मामले और मधुमेह (diabetes) के 65 मिलियन मामले सामने आए थे।
घर-घर जाकर होगी जांच
स्वास्थ्य मंत्रालय के इस अभियान के तहत प्रशिक्षित मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ASHA), सहायक नर्सिंग मिडवाइफरी (ANM) और फ्रंटलाइन कार्यकर्ता अधिकतम स्क्रीनिंग कवरेज सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर जांच करेंगे।
केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र संचालित सभी स्वास्थ्य केंद्रों में ब्लड प्रेशर मॉनिटर (Blood Pressure Monitor), ग्लूकोमीटर (Glucometer) और आवश्यक दवाओं सहित आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करने को भी कहा है।
प्रतिदिन अपडेट लेगा मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, “राज्य और केंद्र शासित प्रदेश रोजाना शाम 6 बजे तक स्वास्थ्य मंत्रालय को इससे संबंधित अपडेट देंगे। इसके जरिए निरंतर निगरानी और तकनीकी सहायता सुनिश्चित की जाएगी।”
‘वास्तविक समय पर निगरानी तय करने के लिए स्क्रीनिंग (Screening), उपचार और फॉलो-अप के डेटा (Treatment and follow-up data) को प्रतिदिन एनसीडी पोर्टल (non-communicable diseases Portal) पर अपलोड करने के निर्देश भी दिए गए हैा। जिसकी मदद से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।