हेल्थ रिपोर्ट 2022 : हेल्थ के मामले में दुनिया में किस तरह की रही हलचल
अंगदान को महादान कहा जाता है क्योंकि यह दान जिंदगी बचाता है। किसी की जिंदगी बचाना सबसे बडी इंसानियत है। देश में अंगदान को लेकर कई भ्रांतियां हैं। इन्हें दूर करने और लोगों को अंगदान के प्रति जागरुक करने के लिए सरकार लगातार अभियान चला रही है। इसी बीच दिल्ली से एक अच्छी खबर आई है। मौजूदा वर्ष में दिल्ली में अंगदान की कवायद में बढोत्तरी नजर आ रही है।
नई दिल्ली : राष्ट्रीय अंग और उत्तक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) के प्रयास से इस वर्ष दिल्ली में अंगदान की प्रक्रिया और प्रत्यारोपण में तेजी आई है। महज साढे पांच माह में ही ब्रेन डेड करार दिए जा चुके 11 लोगों का न केवल अंगदान किया गया बल्कि उनसे प्राप्त अंग से 33 लोगों की जिंदगी बचाने में कामयाबी हासिल हुई। इस कवायद से कई ऐसे लोगों की जिंदगियां भी रोशन हुई, जो लंबे समय से अंधेपन का सामना कर रहे थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आम लोगों में अंगदान के प्रति जागरुकता अधिक हो और भ्रांतियां दूर हो तो कई जिंदगियों को असमय मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है। यहां बता दें कि लिवर, किडनी, फेफडे और हार्ट की बीमारियों से पीडित हजारों की तादाद में मरीजों की सिर्फ इसलिए मौत हो जाती है क्योंकि समय पर प्रत्यारोपण के लिए उन्हें डोनर या अंग नहीं मिलता। अंगदान ब्रेन डेड या सडक दुर्घटना में मारे गए लोगों का किया जा सकता है।
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अगर सडक दुर्घटना में मौत के आंकडों की अंगदान से तुलना करें तो महज दो प्रतिशत ही अंगदान हो पाते हैं। विशेषज्ञों ने इसके पीछे जागरुकता की कमी बताई है। ज्यादातर ब्रेन डेड हो चुके और सडक दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों के परिजन अंगदान के लिए राजी नहीं होते। लोगों के इस उदासीनता के पीछे सही जानकारी का आभाव और धार्मिक भ्रांतियों को बताया गया है। लोग अगर इसके लिए जागरुक हो जाएं तो भारी संख्या में अंगदान किए जा सकते हैं और इतनी ही बडी तादाद में लोगों की जान भी बचाई जा सकती है।
अगर सिर्फ दिल्ली की ही बात करें तो यहां प्रत्येक वर्ष करीब 1500 लोगों की सडक हादसे में मौत हो जाती है। इनमें अधिकतर संख्या युवाओं की है। इसी साल जनवरी से मई के बीच सडक दुर्घटना में 505 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। जबकि, अंगदान महज दो प्रतिशत लोगों का ही किया गया है। अंगदान का एक फायदा यह भी है कि इससे किडनी रैकेट जैसी मानव तस्करी की घटनाओं पर भी नकेल कसने में मदद मिल सकेगी।
अंगदान के लिए अस्पतालों को किया जा रहा है प्रेरित :
राष्ट्रीय अंग और उत्तक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) अस्पतालों को लगातार अंगदान के लिए प्रेरित कर रहा है। नोटो का यह प्रयास है कि अस्पतालों को प्रेरित कर ब्रेन डेड लोगों का अंगदान करवाया जा सके। दिल्ली में इस वर्ष 11 कैडेवर डोनरों के अंगदान करने से दो मरीजों को फेफडा, छह मरीजों को हार्ट, 11 मरीजों को लिवर और 14 मरीजों को किडनी मिल पाया। इन सभी मरीजों में सर्जरी के माध्यम से डोनेट ऑर्गन प्रत्योरोपित कर दिए गए और इन सभी की जान बचा ली गई।
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किन अंगों के कितने प्रत्यारोपण :
अंग | प्रत्यारोपण की संख्या |
दिल | 06 |
फेफडा | 02 |
लिवर | 11 |
किडनी | 14 |
कहां हुए कितने प्रत्यारोपण :
हार्ट :
एम्स दिल्ली – दो
राजस्थान – एक
मुंबई – तीन
फेफड़ा :
एम्स- एक
किम्स हैदराबाद- एक
लिवर :
आइएलबीएस – छह
एम्स – दो
आर्मी अस्पताल – एक
निजी अस्पताल – दो
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