हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एम शिवरंजनी संतोष (Doctor M. Shivaranjani Santosh) कर रही हैं भ्रामकता के खिलाफ सावधान
ORS Vs ORLS : डायरिया के उपचार (treatment of diarrhea) में सामान्य तौर पर ओआरएस के इस्तेमाल (Uses of ORS) की सलाह दी जाती है। ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन, (oral rehydration solution) डिहाइड्रेशन की स्थिति से बचाने (protect from dehydration) में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इन दिनों बाजार में ओआरएस (ORS) की जगह ओआरएसएल (ORSL) धडल्ले से बेचा जा रहा है। हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एम शिवरंजनी संतोष (Doctor M. Shivaranjani Santosh, Pediatrician, Hyderabad) ने ओआरएस की जगह ओआरएलएस की भ्रामकता (Fallacy of ORLS instead of ORS) के खिलाफ मोर्चा बुलंद किया है। वह लगातार लोगों को इस भ्रामकता के खिलाफ जागरुक करने मेें जुटी हुई हैं।
चार वर्षों से भ्रामकता के खिलाफ चला रही हैं अभियान
ओआरएसएल विभिन्न स्वादों में उपलब्ध है और टेट्रा पैक में पैक किया गया है। कई फार्मेसियों में यह बेचा जा रहा है। डॉ. शिवरंजनी (Doctor M. Shivaranjani Santosh) ने खुलासा किया कि दुर्भाग्यवश, इन्हें गलती से इलेक्ट्रोलाइट-समृद्ध पुनर्जलीकरण समाधान (Electrolyte-Rich Rehydration Solutions) के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
उत्पाद का नाम और संरचना विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ORS) से काफी मिलती-जुलती है। इसे डॉ. शिवरंजनी निराशाजनक मानती हैं। डॉ. शिवरंजनी के मुताबिक “ वे ओआरएसएल के खिलाफ चार साल का संघर्ष कर रही हैं। सरकार ने भी अनसुना कर दिया है। उन्होंने इसके खिलाफ कानूनी जंग भी शुरू की है। उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक सभी से संपर्क किया है। ”
ओआरएस बनाम ओआरएसएल | ORS vs ORLS
ओआरएस और ओआरएसएल के बीच अंतर (ORS Vs ORLS) करते हुए डॉ. शिवरंजनी कहती हैं, “ओआरएस, जिसे व्यापक रूप से ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन या ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट के रूप में जाना जाता है। यह दस्त के कारण होने वाले निर्जलीकरण (dehydration caused by diarrhea) के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।
भारत में इसकी पहचान डायरिया की आपात स्थिति (diarrhea emergency) से बचाने वाले एक उपाए के तौर पर स्थापित है। इसका उपयोग आर्थिक रूप से अक्षम व्यक्तियों से लेकर घर पर अस्थायी ओआरएस बनाने वाले मध्यम वर्ग तक होता है। लोग इसे बाजार से भी खरीदने का विकल्प चुनते हैं। जो किसी के लिए भी एक आसान विकल्प होता है।”
डॉ. शिवरंजनी के मुताबिक, ” इसके ठीक विपरीत तरल पदार्थ, ओआरएसएल, जिसे इलेक्ट्रोलाइट पेय (electrolyte drinks) के रूप में लेबल किया गया है। इसे इलेक्ट्रोलाइट्स और ऊर्जा को बहाल करने की क्षमता वाले सॉल्युशन (Solutions with the ability to restore electrolytes and energy) के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। विटामिन सी (Vitamin C), सोडियम (Sodium), पोटेशियम और क्लोराइड (potassium and chloride) जैसे आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स (essential electrolytes) से समृद्ध यह फलों का रस-आधारित पेय (fruit juice-based drinks) ओआरएस के तौर पर बेचा जा रहा है लेकिन दस्त के दौरान इसकी स्पष्ट रूप से अनुशंसा (recommendation) नहीं की जाती है।”
डॉ. शिवरंजनी के मुताबिक, ” भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के नियमों का अनुपालन करते हुए, सभी ओआरएसएल वेरिएंट को “भोजन” के रूप में वर्गीकृत किया गया है। जो “इलेक्ट्रोलाइट पेय” श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इनका उद्देश्य किसी बीमारी या विकार की रोकथाम, निवारण, उपचार या इलाज नहीं है।”
पैकेजिंग से पैदा हो रही है भ्रम की स्थिति
ओआरएस और ओआरएसएल को लेकर भ्रम उनके समान नामकरण और पैकेजिंग (Uniform naming and packaging) से उत्पन्न होता है। जिससे संभावित रूप से उपभोक्ता दस्त के इलाज के लिए ओआरएस समाधान (ORS solution for treating diarrhea) मांगते समय गलती से ओआरएसएल खरीद लेते हैं।
ORS Vs ORLS : डायरिया की स्थिति में ओआरएस ही बेहतर
ओआरएस और ओआरएसएल अलग-अलग उद्देश्यों के लिए बने अलग-अलग उत्पाद हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित ओआरएस (WHO recommended ORS), विशेष रूप से दस्त के कारण होने वाले निर्जलीकरण का इलाज (Treatment of dehydration caused by diarrhea) करने के लिए तैयार किया गया है।
जिसमें इलेक्ट्रोलाइट्स और ग्लूकोज के संतुलित मिश्रण (Balanced mixture of electrolytes and glucose) को निर्जलीकरण के दौरान शरीर के तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी (Loss of body fluids and electrolytes during dehydration) को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। इसमें 245 mmol/L की विशिष्ट ऑस्मोलैरिटी (measurement of solute) है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह स्थिति को खराब किए बिना पुनर्जलीकरण के लिए प्रभावी है।
दस्त के उपचार के लिए नहीं है ओआरएलएस
इसके ठीक उलट ओआरएलएस, अपने इस नाम के बावजूद, पुनर्जलीकरण पेय के एक ब्रांड के रूप में बेचे जा रहे हैं। यह ओआरएस के लिए डब्ल्यूएचओ-अनुशंसित अनुपात के अनुसार तैयार नहीं किया गया है। यह इलेक्ट्रोलाइट्स वाले फल-स्वाद वाले पेय के समान है और दस्त के कारण निर्जलीकरण का इलाज करने के लिए नहीं है। ओआरएसएल की ऑस्मोलैरिटी डब्ल्यूएचओ-अनुशंसित ओआरएस की तुलना में काफी अधिक (585 एमएमओएल/एल) है, जो इसे दस्त के कारण होने वाले निर्जलीकरण के इलाज के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता।
डॉ. शिवरंजनी (Doctor M. Shivaranjani Santosh) के मुताबिक, “यह उच्च सांद्रता (high concentration) के कारण यह दस्त के रोगियों की निर्जलीकरण आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा नहीं कर सकता और संभावित रूप से उन्हें नुकसान भी पहुंचा सकता है।” डॉक्टर के मुताबिक, “निर्जलीकरण के लिए उचित उपचार (Proper treatment for dehydration) सुनिश्चित करने के लिए इन उत्पादों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है। खासकर बच्चों, मधुमेह रोगियों (diabetic patients), वृद्ध लोगों में, जो निर्जलीकरण और दस्त के प्रतिकूल प्रभावों (adverse effects) के प्रति अधिक संवेदनशील (more sensitive) होते हैं।”
ORLS में अधिक होती है शुगर की मात्रा
डॉ. शिवरंजनी (Doctor M. Shivaranjani Santosh) के मुताबिक, ” ओआरएलएस में आवश्यक लवणों (essential salts) की अपर्याप्त पूर्ति और इन पेय पदार्थों में अत्यधिक चीनी सामग्री के कारण दस्त का बढ़ना प्राथमिक चिंताओं में से एक है। जो बच्चों को निर्जलीकरण के खतरों में डालती हैं। जिससे संभावित रूप से घातक परिणाम हो सकते हैं। इन फॉर्मूलेशन में अतिरिक्त चीनी के कारण दस्त का बने रहना (Persistent diarrhea due to sugar), एंटीबायोटिक दवाओं के अनुचित उपयोग (inappropriate use of antibiotics) में भी योगदान बढता है।”
Also Read : UTI : यूटीआई में गजब राहत पहुंचा सकता है यह 1 फल
डॉ. शिवरंजनी ने स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) और एफएसएसएआई (FSSAI) से फार्मेसियों में डब्ल्यूएचओ-अनुशंसित फॉर्मूला ओआरएस (WHO-recommended formula ORS) की विशेष उपलब्धता लागू करने का आग्रह किया। वे कहती हैं, “वास्तव में, हमें सभी बाल रोग विशेषज्ञों (Pediatricians) पर माता-पिता, मरीजों के लाभ के लिए अपने सभी क्लीनिकों और अस्पतालों में यह महत्वपूर्ण जानकारी डालने पर जोर देना चाहिए। इन उच्च चीनी वाले टेट्रा पैक (high sugar tetra packs) को स्कूल कैंटीन और स्कूलों के आसपास उपलब्ध कराना भी एक अच्छा विचार नहीं है।”
भ्रामकता से डटकर मुकाबला कर रही हैं डॉ. शिवरंजनी
ओआरएस के रूप में इन उत्पादों की गलत प्रस्तुति के खिलाफ डॉ. शिवरंजनी पिछले चार वर्षों से डटकर खडी हैं। उनकी सक्रिय भागीदारी कानूनी रूप से भी चल रही है। वर्ष 2022 में उन्होंने इन उत्पादों के भ्रामक विपणन (Misleading marketing of products) को चुनौती देते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय (Telangana High Court) में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है।
जागरूकता बढ़ाने और भ्रामक प्रथाओं से निपटने के अपने प्रयास में डॉ. शिवरंजनी ने वर्ष 2022 में नियामक कार्रवाई (regulatory action) की मांग की। उन्होंने विशेष रूप से ओआरएस के रूप में “फलों के रस” का विज्ञापन (Advertisement of “Fruit Juices” as ORS) करने वाली कंपनियों को लक्षित किया। जो डब्ल्यूएचओ मानकों को पूरा करने में विफल रहीं हैं। इस पहल में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्कालीन सचिव राजेश भूषण (Rajesh Bhushan, then Secretary, Ministry of Health and Family Welfare) के साथ पत्राचार भी शामिल है। जिससे महत्वपूर्ण न्यायिक जांच हुई।
Also Read : TB Free Campaign : दिल्ली में टीबी से बचाव के लिए वयस्को को लगेगा यह टीका, जानिए कैसे मिलेगा टीबी का टीका
8 अप्रैल, 2022 को, FSSAI ने खाद्य लेबल या विज्ञापनों में “ओआरएस” (“ORS” in food labels or advertisements) जैसे शब्दों के उपयोग को प्रतिबंधित करने का एक निर्देश जारी किया। हालांकि, 14 जुलाई को, FSSAI ने डॉ. शिवरंजनी को सूचित किया कि, कंपनियों की एक रिट याचिका के बाद, “पेटेंट महानियंत्रक के निर्णय तक वैध ट्रेडमार्क वाली इन कंपनियों को उनके संबंधित ट्रेडमार्क नामों के तहत ऐसे उत्पादों का निर्माण करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।”
डॉ शिवरंजनी (Doctor M. Shivaranjani Santosh) के मुताबिक, “उनके लगातार प्रयासों के बावजूद, स्पष्ट परिवर्तन करते हुए ओआरएसएल टेट्रा पैक्स पर एक अस्वीकरण (Disclaimer on ORSL Tetra Pack) लिखने के निर्देश दिए गए है। डॉक्टर का सवाल है कि, “अस्वीकरण कौन पढ़ता है? क्या कोई गरीब, अनपढ़ टेट्रा पैक पर दर्ज अस्वीकरण को पढने सक्षम है? भले ही वे ओआरएस खरीदने के लिए कुछ पैसे जुटाने में कामयाब हो जाएं लेकिन फार्मेसियों द्वारा उन्हें ये ओआरएसएल टेट्रा पैक ही दिए जाने की संभावना है।”
भारत में बच्चों की मौत का तीसरा सबसे बडा कारण है डायरिया
डॉ. शिवरंजनी ने स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि, डायरिया भारत में बच्चों की मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण (Diarrhea is the third leading cause of child death in India) है। इसमें 5 वर्ष से कम आयु वर्ग में 13 प्रतिशत मौतें होती हैं। ओआरएस, लाखों बच्चों के लिए जीवन रक्षक उपाय है। यह मृत्यु दर को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
डॉक्टर ने इस मुद्दे पर अपनी लडाई जारी रखते हुए लगातार प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से सपंर्क रखा हुआ है। डॉ. शिवरंजनी के मुताबिक , “ जैसा कि आप जानते हैं कि, डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित फॉर्मूला ओआरएस इस तरह तैयार किया गया है कि यह दस्त और उल्टी के दौरान शरीर में पानी और नमक की कमी (Lack of water and salt in the body during diarrhea and vomiting) को सही अनुपात में बहाल करता है।
डायरिया के दौरान यह बच्चों को खतरों से बचाता है। निर्जलीकरण की स्थिति में दौरे, गुर्दे की विफलता और मृत्यु होने की संभावना रहती है।” डॉ. शिवरंजनी के अनुसार, ” वे न्यायपालिका से इस मामले को गंभीरता से लेने की उम्मीद करती हैं। उन्होेंने एचआरडीए (HRDA) जैसे संगठनों और भारत में विभिन्न बाल चिकित्सा और डॉक्टरों के संघों (doctors’ associations) से इस मामले को उठाने का आह्वान किया है।”
डॉक्टरों को निभानी होगी महत्वपूर्ण भूमिका
डॉ. शिवरंजनी के मुताबिक “ इस मामले में (ORS Vs ORLS) हम डॉक्टरों की सबसे बड़ी भूमिका हो सकती है। कल्पना कीजिए कि सैकड़ों और हजारों मधुमेह रोगी इन ओआरएसएल टेट्रा पैक्स (ORSL Tetra Pack) को यह मानकर पी रहे हैं कि यह ओआरएस है। इससे लोगों की जान खतरे में पड सकती है। चूंकि इसका असर तुरंत नहीं होता, इसलिए लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। गरीब लोगों का जीवन खतरे में पड जाएगा। वहीं आर्थिक रूप से सक्षम लोगों के लिए गंभीर निर्जलीकरण की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की संभावना (Possibility of hospitalization in case of severe dehydration) बढेगी।”