कैफीन युक्त ड्रिंक, अस्वस्थ जीवनशैली, मोटापा, शराब बढाता है जोखिम
घुटने में होने वाली ओस्टियोआर्थ्राइटिस (Osteoarthritis) की समस्या बुजुर्गों में ज्यादा देखने को मिलती थी लेकिन अब युवा भी तेजी से इसकी चपेट में आने लगे हैं। वैसे तो जोड़ों का दर्द (Joint Pain) किसी भी उम्र के लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। अगर इस तरह के दर्द की चपेट में युवा आते हैं तो उन्हें कई कठिनाईयों का सामना करना पड सकता है।
40 वर्ष की उम्र में अब लोगों के हो रहे हैं घुटने खराब
मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (दिल्ली) के डॉयरेक्टर और यूनिट हेड डॉ. एल तोमर के मुताबिक, ‘‘ पिछले कुछ समय से मेरे पास 40 से 41 साल के कई युवा रोगी सलाह लेने आते है, जो घुटनों में गंभीर दर्द (knee osteoarthritis) से परेशान है। इस वजह से उन्हें काम करने में दिक्कत महसूस होती है। इलाज के मामले में भी युवा और बुजुर्गों में काफी अंतर पाया गया है। जहां बुजुर्गं पेन मैनेजमेंट पर ध्यान देते है। वही, युवा रोगियों का ध्यान जल्द रिकवरी पर होता है, ताकि वह शीघ्रता से काम पर लौट सके। इस अंधाधुंध प्रतियोगिता के दौर में वह काम से ज्यादा दूर नहीं रह सकते।‘‘
घुटने का दर्द करियर के लिए बडी बाधा
युवावस्था में ही घुटनों का दर्द होने से सबसे अधिक करियर प्रभावित होता है। इसके अलावा दर्द से परेशान मरीज़ को आर्थिक समस्या भी हो सकती है। इसका असर उनके परिवारिक और सामाजिक जीवन पर भी पड सकता है। डॉ. तोमर के मुताबिक, युवाओं में नी ओस्टियोआर्थ्राइटिस (knee osteoarthritis) के मामले बढ़ना काफी आश्चर्यजनक है क्योंकि शरीर का सबसे ज्यादा वज़न उठाने वाले घुटनों के जोड़ों को बीच का कार्टिलेज उम्र बढ़ने के साथ घिसता है।
नी आर्थराइटिस (knee osteoarthritis) होने की वजह घुटनों के जोड़ में शारीरिक आकार और बॉयोकेमिकल बदलाव हो सकता है। इससे जोड़ों के बीच गैप बनकर घर्षण होने लगता है, जिससे जोड़ डिजिनरेट होने लगते है लेकिन यह लक्षण बुजुर्गों में ज्यादा पाया जाता है। बुजुर्ग भी कई रिस्क कारणों जैसे : शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने, वज़न को नियंत्रित रखने, सूरज की प्रचुर मात्रा में रोशनी लेने और तंबाकू और शराब जैसी चीज़ों से दूर रहकर घुटनों के दर्द को पूरी तरह खत्म कर सकते है या फिर जोड़ों की उम्र बढ़ाई जा सकती है।
इसलिए बड रहे हैं युवाओं में नी ओस्टियोआर्थराइटिस (knee osteoarthritis) के मामले
डॉ. तोमर के मुताबिक, ‘‘ घुटनों के जोड़ में उम्र से पहले डिजिनरेटिव होने का सरल सा कारण अस्वस्थ जीवनशैली, मोटापा, सूरज की रोशनी प्रचुर मात्रा में न मिलना और तंबाकू या शराब जैसे नशे करना हो सकता है।‘‘ अमेरिकन जनरल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन का हवाला देते हुए डॉ. एल तोमर ने कहा कि युवा उम्र में हड्डियों की कमज़ोरी का कारण खासतौर से बचपन और किशोर उम्र में कैफीन युक्त ड्रिंक लेना हो सकता है।
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पबमेड3 में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक 90 प्रतिशत से ज्यादा टोटल बोन मिनरल कंटेंट (बीएमसी) 17 साल की उम्र से पहले बन जाता है। तकनीकी रूप से देखा जाएं तो अगर शुरूआती उम्र में ही जोड़ों को मज़बूत रखने वाले मिनरल नहीं लिए जाते तो शीघ्र ही जोड कमजोर होने लगते हैं।
कैसे होता है नी ओस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) का उपचार
युवा रोगियों में नी ओस्टियोआर्थ्राइटिस (Osteoarthritis) के उपचार की बात करें तो यह मरीज़ की बीमारी के स्टेज पर निर्भर करता है। डॉ. तोेमर के मुताबिक, ‘‘ शुरूआती स्टेज में हम दवाइयों और जीवनशैली में बदलाव की जरूरत पर ज़ोर देते है। आमतौर पर वज़न पर नियंत्रण करके, डॉक्टर द्वारा बताई कसरत और डाइट की मदद से बोन डेंसिटी में सुधार किया जाता है।
सप्लीमेंट की मदद से दर्द को कम किया जाता है और कई बार जोड़ों का डिजिनरेशन रूक भी जाता है। हालांकि, जिन मरीज़ों को गंभीर दर्द है और जीवनशैली में बदलाव या दवाइयों से आराम नहीं मिलता, उन एडवांस स्टेज ओस्टियोआर्थ्राइटिस (Osteoarthritis) रोगियों को लंबे समय तक टिके रहने वाले इलाज, नी रिप्लेसमेंट सर्जरी का सुझाव दिया जाता है।‘‘
पहले से एडवांस हुई है नी ओस्टियोआर्थराइटिस सर्जरी
आजकल आधुनिक तकनीकों जैसे कंम्यूटर नेविगेटिड नी ओर्थ्रोप्लास्टी और रोगी की स्थिति के अनुसार किए जाने वाले नी रिप्लेसमेंट काफी सुरक्षित और लंबे समय तक चलने वाले उपचार साबित हो रहे हैं। पबमेड में प्रकाशित लेख के अनुसार नी ओर्थ्रोप्लास्टी बहुत ही प्रभावी प्रक्रिया है, जिसमें मुश्किल से प्रतिवर्ष एक प्रतिशत असफलता या रिविज़न दर पाया गया है। इसमें 85 प्रतितशत मरीजों (Osteoarthritis) को लक्षणों में राहत मिल जाती है। हालांकि, नी रिप्लेसमेंट के इतने फायदों के बावजूद भारत में इसे वैकल्पिक प्रक्रिया ही माना जाता है। यह मरीज़ पर निर्भर करता है कि वह गंभीर दर्द के साथ जिंदगी बिताना चाहते है या जोड़ों का स्थायी इलाज करवाना चाहता है।
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जोडों की समस्या जानलेवा नहीं
डॉ. तोमर के मुताबिक, ‘‘ हमें यह समझना होगा कि हृदय या किसी महत्वपूर्ण अंग की सर्जरी जिंदगी बचाने की प्रक्रिया होती है लेकिन इसके विपरीत जॉइंट रिप्लेसमेंट किसी भी स्टेज पर किया जाएं, यह जीने मरने वाली प्रक्रिया तक नहीं पहुंचती। नी ओस्टियोआर्थराइटिस में चलना-फिरना लगभग नामुमकिन हो सकता है लेकिन यह जानलेवा नहीं बनता।
दरअसल, यह स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है जिससे मोटापा, हृदय से जुड़ी बीमारियां, बिस्तर पर लगातार कई दिन तक रहने से शरीर पर छाले पड़ना या दर्द रोकने के लिए एनलजिस्क दवाइयों से किडनी खराब हो सकती है। यह जिंदगी के लिए खतरा बन सकती है। इसलिए नी ओस्टियोआर्थराइटिस के एडवांस स्टेज वाले ऐसे मरीज जो अभी सक्रिय अवस्था में हैं, उन्हें दर्द को खत्म् करने के लिए स्थाई उपचार के रूप में नी रिप्लेसमेंट के बारे में विचार करनी चाहिए। यह न सिर्फ शरीर को लंबे समय तक स्वस्थ बनाएं रखने में मददगार है बल्कि एक सुरक्षित प्रक्रिया भी है।‘‘
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