जेब्रा को ढूंढने के लिए पांडा नामक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग
नई दिल्ली।टीम डिजिटल :
यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा हेल्थ एंड पेन मेडिसिन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक ऐसा तरीका विकसित किया है, जिससे दुर्लभ रोग (Rare Disease) के मरीजों की खोज आसान हो जाएगी। पांडा (Panda) की मदद से दुर्लभ रोग “ज़ेब्रा” (Zebra) से पीडित मरीजों का निदान और तेजी से इलाज की प्रक्रिया को बल मिलेगा।
क्या है जेब्रा :
विशेषज्ञों ने रोगी मेडिकल रिकॉर्ड में दुर्लभ “ज़ेब्रा” (Zebra) खोजने के लिए पांडा नामक कृत्रिम बुद्धि-संचालित (Artificial intelligence) एल्गोरिदम के एक सेट विकिसत किया है। स्वास्थ्य देखभाल से जुडे संगठनों में दुर्लभ बीमारियों को कई बार ‘ज़ेब्रा’ कहते हैं। यह बीमारियां बेहत असामान्य और अप्रत्याशित होती हैं। यूएस में 200,000 से कम लोगों को प्रभावित करने वाली कोई भी बीमारी को दुर्लभ बीमारी मानी जाती है। दुनिया भर में लगभग 7,000 ज्ञात दुर्लभ बीमारियां हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में ऐसी बीमारियों से प्रभावित लोगों की कुल संख्या लगभग 10% है।
[irp posts=”7981″ ]
फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में मेडिसिन कॉलेज के प्रोफेसर जियांग बियान के मुताबिक दुर्लभ बीमारियों के लक्षण अक्सर अस्पष्ट और हैरान करने वाले होते हैं। इसका निदान इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि इन बीमारियों के प्रति जागरूकता की कमी होती है और इससे कम संख्या में लोग प्रभावित होते हैं।
बियान के मुताबिक दुर्लभ बीमारियों वाले मरीजों के निदान में वर्षों का समय लग सकता है और इसके उपचार में भी इसी तरह देरी होती है। बियान पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में यूएफ हेल्थ और पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं की एक टीम का हिस्सा है। यह टीम चेतावनी प्रणाली विकसित करने के लिए कृत्रिम बुद्धि और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का उपयोग कर रही है। यह प्रणाली डॉक्टरों के लिए अलार्म की तरह काम करेगा। इसकी मदद से डॉक्टर यह समझ जाएंगे कि किसी मरीज में दर्लभ रोग की संभावना है और उनकी जांच की दिशा भी तय हो सकेगी।
[irp posts=”7973″ ]
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ से शोधकर्ताओं की टीम को $4.7 मिलियन की फंडिंग की गई है। शोधकर्ता मशीन लर्निंग द्वारा संचालित एल्गोरिदम का एक सेट विकसित करेंगे। जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता का एक रूप है। इससे स्पोंडिलोआर्थराइटिस, जिसमें सोरियाटिक गठिया और एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) शामिल हैं, इसका भी पता लगाना आसान हो जाएगा। रोगियों के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड में पहले से उपलब्ध जानकारी से प्राप्त संभावनाओं को खंगाला जाएगा ताकि रोगियों के जल्द निदान होने की संभावना को बेहतर किया जा सके।
Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website.