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कैैंसर की दवाओं को जीएसटी हटाने के पक्ष में संसदीय समिति

नई दिल्ली : कैंसर की दवाओं को जीएसटी से मुक्त कर उसे अधिसूचित श्रेणी के रोगों में शा​मिल करने का बडा सुझाव एक संसदीय समिति ने सरकार को दिया है। कहा गया है कि ऐसा करने से कैंसर का उपचार कराने वाले आर्थिक रूप से लाचार मरीजों को काफी राहत मिलेगी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक समिति ने कैंसर की दवाओं और रेडिएशन के दौरान प्रयोग होने वाले उपकरणों की कीमत पर भी अंकुश लगाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कैंसर कोेे अधिसूचित रोगों की श्रेणी में शामिल करने पर जोर दिया। कहा गया कि ऐसा करने से देश पर इसके प्रभाव का आकलन करना आसान हो जाएगा।

यहां बता दें कि नियमों के मुताबिक अधिसूचित रोगों के बारे में सरकारी प्राधिकार को जानकारी साझा करने का प्रावधान है। इस बाबत तो आंकडे या जानकारी उपलब्ध कराई जाती है, उसके जरिए प्राधिकार को स्थिति का आकलन करने में मदद मिलती है। सूत्र बताते हैं कि समिति के सदस्यों ने स्वास्थ्य मंंत्रालय से कहा कि देश में कैंसर का उपचार महंगा है और आम इंसान की पहुंच से दूर है। नतीजतन, इसके उपचार की कीमत को सख्ती से नियंत्रित किया जाना चाहिए।

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समिति की ओर से कहा गया कि सरकार ऐसे उपायों की तलाश करे, जिससे इसके उपचार में काम आने वाली दवाओ को जीएसटी से बाहर रखना संभव हो सके और उपचार आम आदमी के लिए भी सुलभ और किफायती साबित हो। इस दौरान अधिकारियों ने समिति को जानकारी दी कि औषधि विनियामक ( औषधि कीमत प्राधिकार) अब तक 86 दवाओं की कीमत तय कर चुकी है।

वहीं 49 दवाओं का कारोबार लाभ व्यवहारिक बनाया गया है। इसके अलावा कैंसर उपचार में काम आने वाली दवाओं के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कमी की गई है। सूत्र बताते हैं कि ​ अधिकारियों ने सीमिति को यह भी जानकारी दी कि सरकार देशभर में सर्विकल कैंसर से बचाव के उपयोग में आने वाले एचपीवी टीके को लागू करने की योजना बना रही है। इस मामले में विनियामक मंजूरी दे दी गई है लेकिन अभी यह मामला विचारधीन है।


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