Corona Vaccine और हृदय रोग के बीच क्या है संबंध
नई दिल्ली। टीम डिजिटल : Relation Between Heart Condition and Corona Vaccine: कोरोना के मामले भले ही दुनियाभर में कम होने लगे हों लेकिन इसका असर अब भी कायम है। कोरोना से प्रभावित हो चुके लोग इससे उबरने के बाद भी जोखिम के दायरे में हैं। पिछले कुछ समय से हृदय रोग से मौत के मामले बढने लगे हैं। जो विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय होने के साथ बडी चुनौती भी बन कर उभरी है। ऐसे में कोरोना वैक्सीन और हृदय रोग (Corona vaccine and heart disease) को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। इसी बीच एक ताजा अध्ययन के नतीजों ने दुनियाभर के लोगों को चौंका दिया है।
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैचीकार्डिया सिंड्रोम का खतरा
अमेरिका के लॉस एंजेलिस में स्थित सीडर-स्मिड्ट सिनाई के कार्डिएक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने हृदय रोग और कोरोना वैक्सीन के बीच के संबंध (The relationship between heart disease and the corona vaccine) को उजागर करते हुए बडा खुलासा किया है। ताजा अध्ययन से यह जानकारी सामने आ रही है कि कोरोना से पीड़ित हो चुके लोगों में हृदय संबंधी बीमारी का खतरा बढ़ गया है। इसके साथ ही हृदय रोग की स्थिति और कोरोना वैक्सीन के बीच एक नई कड़ी को भी ढूंढ निकाला है। इस अध्ययन को पीयर-रिव्यू जर्नल नेचर कार्डियोवास्कुलर में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है कि कोरोना वैक्सीन ले चुके कुछ लोगों में पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैचीकार्डिया सिंड्रोम (POTS) विकसित हो सकता है।
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पांच गुना बढ गया है POTS का जोखिम
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक अध्ययनकर्ताओं ने यह भी पाया है कि कोरोना वैक्सीन लगवा चुके लोगों में POTS को जोखिम पांच गुना अधिक हो जाती है। यह अध्ययन ऐसे समय आया है, जब पूरी दुनिया में कोराना से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने पर जोर दिया जा रहा है। अध्ययन में यह स्पष्ट किया गया है कि संक्रमण के बाद से ही लोगों में हृदय रोग विकसित होने की संभावना बढ जाती है।
जब हम कोरोना वैक्सीन और POTS के बीच एक संभावित संबंध को देखते हैं तो पाते हैं कि वैक्सीनेशन के माध्यम से कोरोना संक्रमण को रोकना ही बेहता विकल्प है क्योंकि यह POTS के जोखिम को कम करने का सबसे बेहतर उपाए है। इस अध्ययन में 2020 और 2022 के बीच 284,592 वैक्सीनेटेड लोगों को शामिल किया गया। साथ ही हृदय रोग के साथ कोरोना से संक्रमित 12,460 मरीजों को भी भी अध्ययन में शामिल किया गया था।
- एलन सी क्वान, अध्ययन के लेखक और सीडर-सिनाई में हृदय रोग विशेषज्ञ
POTS के लक्षण
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैचीकार्डिया सिंड्रोम (POTS) एक तंत्रिका तंत्र से जुडी हुर्ई समस्या है। यह आमतौर पर युवा महिलाओं को प्रभावित करती है। इससे पीडित व्यक्ति के 10 मिनट तक खड़े रहने के दौरान दिल की धड़कन में 30 बीट तक की वृद्धि पाई जाती है जो 120 बीट प्रति मिनट के स्तर तक पहुंच जाता है। इसके अलावा इसके अन्य लक्षणों में बेहोशी, चक्कर आना और थकान शामिल हैं। हालांकि गंभीर रूप से प्रभावित कुछ रोगियों में माइग्रेन, पेशाब में वृद्धि, पसीने से तर हाथ, चिंता और कपकपी जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं।
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