प्रशंसकों से शेयर किया Rare Auto immune Disorder Guillain-Barré syndrome होने की जानकारी
नई दिल्ली। दुर्लभ ऑटो इम्यून डिसऑर्डर (Rare Auto immune Disorder) गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain Barre syndrome) की चपेट में आने की वजह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इस गायक ( international level singer) को दो हफ्ते बिस्तर पर गुजारने पडे। बीमारी के निदान के बाद इसे प्रबंधित करने के कई चिकित्सकी उपाए किए गए। अब गायक की हालत स्थिर है। गायक सुफजान स्टीवंस (singer sufjan stevens) की हालत में सुधार हो रहा है।
गायक सुफजान स्टीवंस ग्रैमी और ऑस्कर के लिए नामांकित किए जा चुके हैं। संगीतकार ने बुधवार को अपनी वेबसाइट पर प्रशंसकों के साथ इस जानकारी को साझा किया। उन्होंने बताया कि वह अपने नवीनतम एल्बम जेविलिन (latest album javelin) के प्रचार गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं।
पिछले महीने हुई समस्या के बाद Guillain-Barré syndrome (GBS) का पता चला
गायक सुफजान स्टीवंस के मुताबिक, पिछले महीने जब एक सुबह वह नींद से उठे, तब वह चलने में असमर्थन थे। उनके हाथ और पैर सुन्न हो गए थे और उसमेें झुनझुनी महसूस हो रही थी। इस दौरान उन्हें काफी कमजोरी का भी अहसास हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे शरीर में मूवमेंट ही नहीं रह गया हो। इस बीच उनका भाई उन्हें डॉक्टर के पास लेकर गए। जिसके बाद कई तरह की एमआरआई, ईएमजी, कैट स्कैन, एक्स-रे, स्पाइनल टैप्स, इको-कार्डियोग्राम जैसी कई तरह की मेडिकल जांच के बाद न्यूरोलॉजिस्ट ने एक ऑटोइम्यून विकार (Rare Auto immune Disorder) होने की जानकारी दी।
स्टीवंस ने कहा कि उन्होंने इम्यूनो-हीमोग्लोबिन इन्फ्यूजन सहित कई तरह के अन्य उपचार के बाद दो सप्ताह बिस्तर पर ही बिताना पडा। अब उनकी स्थिति स्थिर बनी हुई है। स्थिति सफलतापूर्वक स्थिर हो गई। उन्हें 8 सितंबर को एक्यूट रिहैब में स्थानांतरित किया गया। जहां उन्हें शारीरिक क्षमता को दोबारा हासिल करने और दोबारा चलना सीखने के लिए गहन फिजियोथेरेपी (physiotherapy) और ऑक्यूपेशनल थेरेपी (occupational therapy) दी जा रही है।
प्रशंसकों को जल्द वापसी का दिया भरोसा
विशेषज्ञों के मुताबिक, जीबीएस (Guillain Barre syndrome) से पीड़ित ज्यादातर लोग एक साल के अंदर अपने आप दोबारा चलना सीख जाते हैं। इसलिए स्टीवंस को भी उम्मीद है कि वह जल्द वापसी करेंगे। उन्होंने अपने प्रशंसकों और देखभाल करने वाले लोगों के प्रति आभार जताते हुए लिखा कि “मैं बेहतर होने के लिए पूरा प्रयास कर रहा हूं। मुझे इस समस्या से उबारने के लिए एक कुशल टीम काम कर रही है। मैं शीघ्र स्वस्थ होकर वापसी करना चाहता हूं।
क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम ?
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain Barre syndrome) एक दुर्लभ किस्म की ऑटोइम्यून विकार है, जिसमें अपने ही शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमलावर हो जाती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी पैदा हो जाती है। इस वजह से कई बार लकवा भी हो जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर लोग जीबीएस से पूरी तरह उबर जाते हैं। वहीं कुछ लोगों की तंत्रिका से संबंधित क्षति स्थाई भी हो सकती है। जीबीएस के कुछ दुर्लभ मामलों में मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, जीबीएस 100,000 लोगों में से किसी 1 को प्रभावित करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रत्येक वर्ष अनुमानित 3,000 से 6,000 लोगों में जीबीएस विकसित होता है।
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जीबीएस के लक्षण
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण कुछ हफ्तों से लेकर कई वर्षों तक रह सकते हैं।
पैर की उंगलियों, टखनों या कलाइयों में चुभन या चुभन जैसी अनुभूति
शरीर के ऊपरी हिस्सों तक फैलने वाली पैरों की कमजोरी
हृदय गति का तेज होना
तेज दर्द, जिसमें ऐंठन जैसा महसूस होता हो
मूत्राशय और आंतों की कार्यप्रणाली पर नियंत्रण खोना
चलने में अस्थिरता या सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में असमर्थता
बोलने, चबाने या निगलने में कठिनाई
निम्न या उच्च रक्तचाप
सांस लेने में तकलीफ़
क्यों होता है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम ?
विशेषज्ञों के मुताबिक जीबीएस का सटीक कारण अभी ज्ञात नहीं है। इसे ट्रिगर करने लिए कुछ अन्य स्वास्थ्य स्थितियों को जिम्मेदार माना जाता है। इनमें कुछ संक्रमण भी शामिल हैं। सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जीबीएस विकसित होने से पहले दो-तिहाई लोग कई सप्ताह पहले दस्त या श्वसन संबंधी बीमारी से गुजरने हैं। यह दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी जीबीएस फ्लू, एप्सटीन बर्र वायरस, जीका वायरस और साइटोमेगालोवायरस से संक्रमित लोगों में भी पाया जाता है।
क्या है जीबीएस का उपचार
गुइलेन-बैरे का इलाज ज्यादातर प्लाज्मा एक्सचेंज की प्रक्रिया के तहत की जाती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें रक्त के तरल हिस्से को बदल दिया जाता है। इस विकार का इलाज आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी के जरिए किया जाता है। यह थेरेपी रक्त दाताओं से स्वस्थ एंटीबॉडी का एक मिश्रण है।
जीबीएस निदान के छह महीने बाद लगभग 80 प्रतिशत व्यस्क स्वतंत्र रूप से चलने लगते हैं। वहीं, निदान के एक वर्ष बाद लगभग 60 प्रतिशत की मोटर शक्ति (motor power) पूरी तरह से ठीक हो जाती है। इसके अलावा लगभग 5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत व्यस्कों में दोबारा शारीरिक शक्ति बहाल होने की प्रक्रिया बहुत धीमी और अधूरी होती है। यहां एक बात खास है कि बच्चों में जीबीएस विकसित होने के मामले दुर्लभ हैं। अगर बच्चे इससे प्रभावित होते हैं, तो व्यस्कों की तुलना में यह ज्यादा तेजी से और पूरी तरह से रिकवर हो जाते हैं।
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