Rare Diseases : Aiims New Delhi को पांच वर्ष में जारी हुई यह रकम
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Rare Diseases : Aiims Delhi को इलाज के लिए मिले 23 करोड़ – देश में दुर्लभ बीमारियों (Rare Diseases) से पीडित मरीजों के उपचार के लिए केंद्र सरकार ने एम्स दिल्ली (Aiims New Delhi) को 23 करोड़ से अधिक धनराशि प्रदान की है। एम्स दिल्ली (Aiims Delhi) को यह राशि पांच वर्षों में दी गई है। यह जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत दाखिल किए गए आवेदन के जवाब में सामने आई है।
दुर्लभ बीमारियों (Rare Diseases) के लिए दिए गए करीब 90 करोड़
देश में दुर्लभ बीमारियों (Rare Diseases in india) के उपचार के लिए करीब 90 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। यह रकम इन बीमारियों के उपचार (Treatment of Rare Diseases) के लिए कई उत्कृष्ठा केंद्रो (सीओई) को जारी किया। दुर्लभ बीमारियों के उपचार में यह रकम पांच वर्षों में जारी की गई है। एम्स दिल्ली इन आठ सीओई में से एक है।
आंकड़ों में दुर्लभ बीमारियों (Rare Diseases) के उपचार के लिए एम्स को मिली रकम
- 2019- एक करोड़
- 2020- शून्य
- 2021-4.10 करोड़
- 2022- 7.12 करोड़
- 2023- 10.93 करोड़
स्रोत : आरटीआई
आंकड़ों में देशभर के केंद्रों को मिली राशि
- 2019-20 : 1.30 करोड़
- 2020-21 : 10 करोड़
- 2021-22 : 3.15 करोड़
- 2022-23 : 34.99 करोड़
- 2023-24 (अभी तक) : 40 करोड़
स्रोत : आरटीआई (दुर्लभ रोग प्रकोष्ठ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग)
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एम्स ने किया 34 दुर्लभ रोगियों का उपचार
जानकारी के मुताबिक एम्स (Aiims Delhi) ने केंद्र सरकार द्वारा दुर्लभ बीमारियों के उपचार (treatment of rare diseases) के लिए जारी राशि का उपयोग करते हुए 34 दुर्लभ रोगियों (Rare Diseases Patients) का उपचार किया है। वर्ष 2021 में केंद्रीय निधि की राशि का उपयोग करते हुए एम्स ने 22 और 2022 में 12 दुर्लभ रोगियों को उपचार प्रदान किया है। यह आरटीआई (RTI) नोएडा के सामाजिक कार्यकर्ता अमित गुप्ता ने दाखिल की थी।
इन दुर्लभ बीमारियों से पीडित मरीजों को मिला उपचार
प्राप्त जानकारी के मुताबिक दुर्लभ बीमारियों (Rare Diseases) से पीडित 34 मरीजों को गौचर, एमपीएस दो, एटिपिकल एचयूएस, डीएमडी, टायरोसिनेमिया टाइप-1, एड्रेनोलुकोडिस्ट्रॉफी, लारन्स सिंड्रोम, ग्रिसेली सिंड्रोम टाइप-2, सीवियर कंबाइंड इम्यूनोडिफीसिअन्सी सिंड्रोम का उपचार दिया गया।
कुछ अन्य बीमारियों में भी सहायता के लिए उठ रही है मांग
केंद्र या राज्य सरकार सूची में शामिल दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए राशि (fund for treatment of rare diseases) जारी करती हैं लेकिन कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं, जिन्हें अबतक दुर्लभ बीमारियों की सूची में शामिल नहीं किया गया है।
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जबकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ ऑटोइम्यून रूमेटिक डिजीज (autoimmune rheumatic disease), (जैसे एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस) को दुर्लभ बीमारियों (Rare Diseases) की सूची में शामिल करने की लगातार वकालत कर रहे हैं। दुर्लभ बीमारियां आबादी में न्यूनतम स्तर पर प्रभावित करती है लेकिन इनका प्रभाव किसी भी मरीज या उनके परिवार पर बडा ही व्यापक होता है।
इन बीमारियों में नियमित और लंबे उपचार की आवश्यकता पडती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकडों के मुताबिक एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाटिस (Ankylosing Spondylitis) जैसी बीमारियों भारत में प्रति एक हजार आबादी में से एक या दो व्यक्ति को प्रभावित करती है लेकिन अगर हम इस बीमारी के प्रभाव का आकलन करें तो यह किसी भी मरीज और परिवार को सामाजिक, आर्थिक और मानसिक स्तर पर प्रभावित करता है। खासबात यह है कि एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS) 15-35 वर्ष की युवा आबादी को प्रभावित करती है।
जबकि, इस रोग के उपचार के लिए इंसारेंस कवर भी नहीं दी जाती है। महंगा होने के कारण मरीजों को उपचार या तो बंद करना पडता है या फिर चुनौतीपूर्ण आर्थिक स्थिति का सामना करना पडता है। नतीजतन महज 30-40 वर्ष की आयु में ही मरीज विकलांग हो जाता है।
Rare Diseases : Aiims Delhi को इलाज के लिए मिले 23 करोड़
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