Wednesday, November 20, 2024
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Research on Shoes : जूतों का गलत चयन भी बना सकता है बीमार

काशी हिंदु विश्वविद्यालय के एक शोधार्थी ने इस विषय पर शोध किया तो मिली कई हैरान करने वाली जानकारियां

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गलत तरह से जूते पहनने की वजह से हो सकती है ऑर्थराइटिस सहित कई समस्याएं

नई दिल्ली। Research on Shoes : क्या आप भी जूते खरीदते समय केवल ब्रांड और डिजाइन पर ही ध्यान देते हैं। क्या आप भी जूतों को खरीदते हुए अपने पैरों के आराम पर ध्यान नहीं देते। तो जरा सतर्क हो जाएं क्योंकि गलत तरीके से जूते पहनने से ऑर्थराइटिस सहित कई अन्य बीमारियां भी हो सकती है। यह हैरान करने वाली जानकारी काशी विश्वविद्यालय में किए गए एक शोध के दौरान सामने आए हैं।

बीएचयू के फिजिकल एडुकेशन विभाग में किए गए इस शोध (Research on Shoes) में पता चला है कि असामान्य जूतों की वजह से 23 प्रतिशत खिलाडी समय से पहले अनफिट हो जाते हैं। यह शोध बीएचयू के कला संकाय के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन के छात्र सौरभ मिश्रा ने किया है। सौरभ के मुताबिक उन्होंने अपने शोध के दौरान यह पता किया कि लोग जूतों का चुनाव किस आधार पर करते हैं और लोगों के पैरों के दर्द में जूतों के चुनाव की क्या भूमिका है।

उन्होंने इस विषय पर सर्वे आयोजित किया। इस सर्वे में 1500 खिलाडियों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 15 से 25 साल तक थी। यह सर्वे प्रश्नों के आधार पर किए गए। सौरभ के मुताबिक सर्वे में यह बात सामने आई है कि शरीर के संतुलन और पैरों के आर्क के मुताबिक जूतों का चयन नहीं करने की वजह से पैरों में समस्याएं शुरू हो जाती है और यह आगे चलकर पैरों के विकास में बाधा बनती है। इसकी वजह से आर्थराइटिस, घुटनों में समस्या नॉकनिक, फ्लैट फिट और बोलैग उभरने लगता है। इस वजह से 23 प्रतिशत युवा खिलाडी समय से पहे ही अनफिट हो जाते हैं।

स्पोर्टस शूज पर किया पहली बार रिसर्च| Research on Shoes

Research on Shoes : जूतों का गलत चयन भी बना सकता है बीमार
Research on Shoes : जूतों का गलत चयन भी बना सकता है बीमार | Photo : freepik

सौरभ के मुताबिक ज्यादातर लोग जूतों का चयन सेल और ब्रांड के आधार पर करते हैं। उन्होंने यह रिसर्च 2019-2020 में मास्टर्स के डिजर्टेशन में शुरू की थी। वह अभी पीएचडी कर रहे हैं। सौरभ के मुताबिक स्पोर्ट्स शूज पर की गई यह पहली रिसर्च है। सौरभ के मुताबिक अक्सर यह देखा जाता है कि पैरेंट्स बच्चों को बडे जूते दिलाते हैं, ताकि उन्हें जल्दी-जल्दी जूते न खरीदना पडे लेकिन ऐसा करने से बच्चों के पैरों का विकास प्रभावित होता है और आगे चलकर उन्हें कई तरह की समस्याएं भी हो सकती है।

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विदेशों में अलग है जूते खरीदने का पैमाना

सौरभ के मुताबिक चैन्न्ई में सेंट्रल लेदर इंस्टीट्यूट सीएसआईआर की लैब में इंडियन फुटवियर साइजिंग पर स्टडी (Research on Shoes) कर रही है। उन्होंने कहा कि इस स्टडी में भी स्पोर्टस शूज को शामिल किया जाए। विदेशों में जूते बेचने वाली कंपनियां पैरों के आधार पर जूते तैयार करती है। भारत में ऐसा नहीं होता है। हालांकि, पैरों के आधार पर जूते तैयार करना थोडा महंगा पडता है लेकिन ऐसा करके कई तरह की समस्याओं से बचा जा सकता है।

फुट माफोलॉजी के तहत किया जा रहा है रिसर्च

इस रिसर्च कार्य में फिजिकल एजुकेशन विभाग के प्रोफेसर बीसी कापरी सौरभ मिश्रा के गाइड हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के रिसर्च (Research on Shoes) फुट माफोलॉजी के तहत किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर कोई खिलाडी या आम इंसान इस बात पर विशेष ध्यान देते हैं कि जूते सुंदर और सस्ते होने चाहिए लेकिन जूते खरीदते वक्त बारीकी से उसे देखना चाहिए।

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जूते अपने शरीर के वजन के आधार पर खरीदने चाहिए। आप जिस जूते को खरीद रहे हैं, उसे आप कितनी देर तक पहन सकते हैं, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए। प्रोफेसर कापरी के मुताबिक लोग जब घर पहुंचते हैं, तो सबसे पहले जूते उतारते हैं और खुद को रिलैक्स करते हैं। जबकि, जूते आराम के लिए होते हैं और इसके साथ कंफर्टेबल होना जरूरी है। यही कारण है कि सुंदरता और ब्रांड के बजाए आरामदायक जूते खरीदने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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