मानसिक समस्याओं (Depression) से अधिक जूझते हैं उच्च शिक्षा प्राप्त युवा
Depression : उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले लोगों में डिप्रेशन या मानसिक समस्याओं (Mental Problem) का जोखिम अधिक होता है। शिक्षाविदों के नेतृत्व में हाल ही में किए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
इंग्लैंड में किए गए इस अध्ययन में पाया गया है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं को अपने अन्य साथियों की तुलना में उदासी और चिंता जैसी समस्याएं अधिक होती है। इस अध्ययन को द लैंसेट में प्रकाशित किया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों में अवसाद (Depression) और चिंता के उच्च स्तर का प्रमाण मिलने का यह पहला मामला है।
अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ. जेम्मा लुईस के मुताबिक, “यूके में हाल के कुछ वर्षों में युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) समस्याओं में बढोत्तरी पाई गई है। ऐसे में छात्रों को सहयोग कैसे किया जाए, इस विषय पर फोकस किया गया। अध्ययन में यह साक्ष्य मिले हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों में अवसाद (Depression) और चिंता का खतरा उनके हमउम्र साथियों की तुलना में ज्यादा हो सकता है, जो उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर रहे हैं। ”
विशेषज्ञों के मुताबिक, “उच्च शिक्षा के पहले के कुछ वर्ष मानसिक विकास के लिहाज से विशेष होते हैं। यदि इस दौरान ही युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार या मजबूती करने की पहल की जाए तो उनके स्वास्थ्य के साथ शैक्षणिक उपलब्धियों में लंबा लाभ सुनिश्चित किया जा सकेगा।
ऐसे किया अध्ययन
इस अध्ययन में इंग्लैंड के कई युवाओं को शामिल करने के साथ उनसे प्राप्त जानकारियों का भी उपयोग किया गया। पहली स्टडी में 1989 से 90 के बीच जन्मे 4,832 युवाओं को शामिल किया गया। इनकी उम्र 2007 से 9 के बीच 18 से 19 वर्ष थी। दूसरे अध्ययन में 1998-99 में पैदा हुए 6,128 लोगों को शामिल किया गया। इनकी उम्र 2016 से 18 में (कोरोना महामारी से ठीक पहले) 18 से 19 साल थी। इन दोनों अध्ययनों शामिल युवाओं में से आधे से भी अधिक ने उच्च शिक्षा प्राप्त किया था।
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अध्ययन में शामिल युवा पिछले कुछ वर्षों से अवसाद (Depression), चिंता और सामाजिक शिथिलता जैसे लक्षणों का सामना कर रहे थे। अध्ययनकर्ताओं ने 18 से 19 वर्ष की आयु वाले छात्रों (विश्वविद्यालय और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रों सहित) और गैर-छात्रों के बीच अवसाद और चिंता के लक्षणों में कुछ असमानताएं पाई।
अध्ययन के परिणाम का विश्लेषण करने पर यह पता चला कि यदि उच्च शिक्षा लेने वालों में संभावित मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को खत्म करने की पहल की जाए तो 18 से 19 आयु वर्ग के लोगों में अवसाद और चिंता की घटनाओं को संभावित रूप से 6 प्रतिशत तक कम करने में सफलता मिल सकती है।
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इस अध्ययन के एक अन्य लेखक डॉ. टायला मैकक्लाउड के मुताबिक, “अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर यह कहना कठिन है कि छात्रों को अपने साथियों की तुलना में अवसाद और चिंता का जोखिम ज्यादा क्यों हो सकता है। संभव है कि शैक्षणिक या वित्तीय दबाव की वजह से ऐसा हो सकता है।
डॉ. टायला के मुताबिक, अध्ययनकर्ताओं को उम्मीद थी कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों का मानसिक स्वाथ्य उनके दूसरे साथियों के मुकाबले अधिक होगा क्योंकि ज्यादातर छात्रों की पृष्टभूमि बेहतर होती है। जो परिणाम प्राप्त हुए हैं, वे चिंता करने योग्य हैं। इस मामले में अभी और अध्ययन करने की जरूरत है।