Robotic Surgery : महज 45 मिनट में पूरी कर ली सर्जरी
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Robotic Surgery : गॉल ब्लैडर की जटिल सर्जरी कर बचाई मरीज की जान- चिकित्सा विज्ञान और तकनीक का मेल नई उपलब्धियों की वजह बन जाता है। आमतौर पर ऐसी उपलब्धियां जो सोचने में असंभव सी लगती है लेकिन चिकित्सा विज्ञान और तकनीक से यह संभव हो जाता है। ताजा मामला शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल से जुडा हुआ है।
जहां डॉक्टरों ने रोबोट (Robot) की मदद से गॉलब्लैडर की एक जटिल सर्जरी ( complicated gallbladder surgery) को सफलतापूर्वक अंजाम देने का दावा किया है। खास बात यह रही कि यह सर्जरी महज 45 मिनट में पूरी कर ली गई।
बेरियाट्रिक एंड मिनीमल इन्वेसिव सर्जरी (Bariatric & Minimally Invasive Surgery) , जीआई ओंकोलॉजी और रोबोटिक विभाग के प्रिंसिपल डायरेक्टर और एचओडी डॉ. प्रदीप जैन के मुताबिक हाल में एक 36 वर्षीय महिला की जटिल गॉलब्लैडर रिमूवल सर्जरी (Gallbladder Removal Surgery) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
यह काफी दुर्लभ और जटिल किस्म की सर्जरी (rare and complex surgeries) थी, जिसे मात्र 45 मिनट में पूरा कर लिया गया। जबकि मरीज़ पिछले साल अगस्त से गॉलब्लैडर में पथरी (Gallbladder stone) की समस्या से पीड़ित थीं। मरीज़ ने उल्लेखनीय रूप से काफी जल्दी स्वास्थ्य लाभ किया। सर्जरी के एक दिन के बाद ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
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लैपरोस्कोपी बीच में छोड आई थी मरीज
अस्पताल के मुताबिक इससे पहले, मरीज़ दिल्ली-एनसीआर के एक निजी अस्पताल में गॉलब्लैडर निकालने के लिए लैपरोस्कोपी करवाने गई थीं लेकिन यह सर्जरी बीच में ही रोक देनी पडी क्योंकि उनका गॉलब्लैडर आसपास फैली छोटी और बड़ी आंत में बुरी तरह से फंसा हुआ था। इसके अलावा बाइल डक्ट भी फंसी हुई थी।
अगले 8-9 महीनों के दौरान दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों में बहुत से अन्य विशेषज्ञों से भी मरीज ने परामर्श लिया लेकिन रोग के दुर्लभ मामले के कारण हर किसी ने उन्हें लैपरोस्कोपिक सर्जरी (laparoscopic surgery) नहीं करवाने का परामर्श दिया। आखिरकार, मरीज फोर्टिस अस्पताल लाई गई। अस्पताल में उनका सीटी स्कैन और पैट स्कैन किया गया। जिसके बाद मेडिकल टीम ने रोबोटिक असिस्टैंट (robotic assistant) से उनका गॉलब्लैडर निकालने का फैसला किया।
तनाव और अवसाद से प्रभावित थी मरीज
डॉ. प्रदीप जैन के मुताबिक ”जब मरीज़ को अस्पताल लाया गया, तब वह काफी तनाव और अवसाद की स्थिति में थी। उनके दो छोटे बच्चे हैं और उन्हें कई अस्पतालों ने यह कह दिया था कि अधिक जोखिम के चलते उनकी लैपरोस्कोपिक सर्जरी नहीं की जा सकती। उनके गॉलब्लैडर की दीवार भी सख्त हो गई थी। जिससे कैंसर की आशंका बनी हुई थी।
डॉ. जैन के मुताबिक ऑर्गेन अगर वास्तव में कैंसर प्रभावित होता, तब मरीज के बचने की संभावना बेहद कम होती। यहां एक और चुनौती यह थी कि अगर मरीज का समय रहते उपचार नहीं किया जाता तो उनका गॉल ब्लैडर आसपास के अंगों से चिपक सकता था।
फैसिलिटी डायरेक्टर दीपक नारंग के मुताबिक ”पारंपरिक सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी (robotic surgery) काफी फायदेमंद होती है। इसके प्रयोग से लचीले उपकरणों के साथ बाइल डक्ट को ठीक प्रकार से देखना और स्पेश्यलाइज़्ड तकनीकों का भी लाभ मिलता है। पारंपरिक लैपरोस्कोपी के लिहाज़ से पहले जो सर्जरी बेहद मुश्किल मानी जा रही थी, वह सफल रही।
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देश की 6 प्रतिशत आबादी गॉलस्टोन्स से पीडित
भारत में 6.12 प्रतिशत आबादी गॉलस्टोन्स (gallstones) से पीड़ित है। इनमें 3 प्रतिशत पुरुष और 9.6 प्रतिशत महिलाएं हैं। हालांकि, कुछ मामलों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। वहीं, बहुत से मामले बिना किसी निदान के तब तक छूटे रहते हैं, जब तक कोई गंभीर लक्षण सामने नहीं आता।
यदि इलाज न किया जाए तो गॉलस्टोन बढ़ सकता है और आगे चलकर कैंसरकारी भी हो सकता है। इनकी वजह से बाइल डक्ट भी प्रभावित हो सकता है। जो कई प्रकार की जटिलताओं जैसे कोलेडोकोलिटियासिस (choledocholithiasis,), कोलाइटिस (Colitis) तथा पैंक्रियाटाइटिस (pancreatitis) का भी कारण बन सकता है। गॉलब्लैडर कैंसर (gall bladder cancer) भी काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि इसमें स्पष्ट रूप से लक्षण दिखायी नहीं देते और निदान में भी देरी हो सकती है।
Robotic Surgery : गॉलब्लैडर की जटिल सर्जरी कर बचाई मरीज की जान
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