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रोबोटिक सर्जरी : गुर्दे की गांठ से पीडित किशोरी को मिला नया जीवन

नई दिल्ली : रोबोटिक सर्जरी कर के डॉक्टरों ने एक 15 वर्षीय किशोरी को बचा लिया। लडकी गुर्दें की गांठ से पीडित थी और सर्जरी की प्रक्रिया बेहद जटिल साबित हो रही थी। हैरान करने वाली बात यह है कि मरीज को जन्म से ही सिर्फ एक किडनी था और उसके बाद उस किडनी में गांठ होने की वजह से उसकी ​जिंदगी खतरे में पड गई थी। डॉक्टरों के मुताबिक सर्जरी के दौरान लडकी की किडनी से 10.10 सेटीमीटर की गांठ ( रेनल सिस्ट) निकाली गई है। गांठ का आकार एक टेनिस बॉल के बराबर था।

इस सर्जरी को बीएलके-मैक्स अस्पताल के विशेषज्ञों ने अंजाम दिया। सर्जरी को इसलिए चुनौतीपूर्ण बताया जा रहा है क्योंकि गांठ हटाने के दौरान डॉक्टरों को ये भी सुनिश्चित करना था कि किडनी या ब्लड वेसल्स और यूरेटर को नुकसान न पहुंचे। दरअसल, इस केस में रेनल वेसल्स और यूरेटर अजीब तरह से गांठ से जुड़े थे। ऐसे में अगर इनमें से किसी भी अंग पर असर पड़ता तो मरीज के लिए मुश्किल हो सकती थी1

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यह सर्जरी डॉ. सुरेंद्र डबास के नेतृत्व में की गई है। डॉ. डबास बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में सर्जिकल ऑनकॉलजी एंड रोबोटिक सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रमुख और सीनियर डायरेक्टर हैं। डॉक्टर के मुताबिक 15 साल की दीपाली का जन्म सिर्फ एक ही किडनी के साथ हुआ था। उसके शरीर के बाएं हिस्से में दो किडनियां आपस में जुडी हुई थी और दाएं तरफ का हिस्सा खाली था। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में एब्सेंट राइट किडनी कहा जाता है।

जब लडकी को बीएलके अस्पताल में लाया गया तो उसने डेढ वर्ष से इस समस्या से खुद को पीडित बताया। जब मरीज की सीटी स्कैन की गई तो आंतों के बाएं हिस्से में सींग जैसा आकार नजर आया। डॉक्टर के मुताबिक रोबोटिक तकनीक का उपयोग करते हुए गांठ के आसपास की संरचनाओं, रक्त वाहिकाओं और यूटेरस को सुरक्षित करते हुए सर्जरी टीम ने अपना काम किया और गांठ को सफतापूर्वक हटाने में कामयाबी मिली।

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इस दौरान मरीज को ब्लड लॉस भी काफी कम हुआ। रोबोटिक सर्जरी के कारण मरीज की रिकवरी भी जल्दी हुई और सर्जरी के बाद चौथे दिन ही उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। डॉक्टर के मुताबिक जिस पैरा पेल्विक गांठ का ऑपरेशन किया गया वो दरअसल किडनी के हीलियम (बीच वाला सामने वाला हिस्सा) पर होती है लेकिन धीरे-धीरे ये पेल्विस, रक्त वाहिकाओं और अन्य हिस्सों तक बढ़ती जाती है। इस गांठ के चलते यूरोनेफ्रोसिस, रेनो-वस्क्यूलर, हाइपरटेंशन की दिक्कत हो जाती है, जिससे किडनी फेल होने का खतरा बना रहता है।


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