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दिल्ली में केंद्र सरकार संचालित पहला अस्पताल बना सफदरजंग जहां हुई रोबोट से किडनी प्रत्यारोपित
नई दिल्ली : दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पहली बार रोबोटिक तकनकी का इस्तेमाल करते हुए किडनी प्रत्यारोपित की गई। किडनी 17 वर्षीय एक किशोर में प्रत्यारोपित की गई, जो पिछले दो वर्षों से किडनी की खराबी का सामना कर रहा था। उसे उसकी 41 वर्षीय मां ने किडनी डोनेट किया।
दाता से प्राप्त किडनी को दा विंची रोबोटिक सिस्टम का उपयोग करके प्रत्यारोपित किया गया। दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा संचालित सफदजरंग पहला ऐसा अस्पताल बन गया है, जहां विशेषज्ञों ने रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सफल किडनी प्रत्यारोपित किया है।
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यह प्रक्रिया यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के यूनिट II द्वारा की गई, जिसका नेतृत्व प्रो. पवन वासुदेव ने किया। ट्रांसप्लांट सर्जरी टीम में डॉ. पवन वासुदेव, डॉ. नीरज कुमार और डॉ. संदीप कुमार और एनेस्थेटिक टीम में डॉ. कविता शर्मा, डॉ. रणजू गांधी और डॉ. भाव्य कृष्ण शामिल थे। नेफ्रोलॉजी टीम में डॉ. राजेश कुमार, डॉ. पल्लवी प्रसाद और डॉ. साहिल अरोड़ा शामिल थे।
दाता सर्जरी के एक दिन के बाद से ही सक्रिय हो गई और 2 दिनों में पूरी तरह से ठीक हो गई। प्राप्तकर्ता में किडनी प्रत्यारोपण के बाद किडनी की कार्यप्रणाली सामान्य रूप से हो रही है। सर्जरी के चार दिन के बाद किशोर बेहतर महसूस कर रहा है और उसकी किडनी सामान्य रूप से काम कर रही है।
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डॉ. पवन वासुदेव ने बताया कि रोबोट उन्नत उपकरणों से लैस है और थर्ड डायमेंशन तकनीक से दृश्यों को दिखाता है। न्यूनतम ऊतक की चोट के साथ बहुत सटीक सर्जरी मेें मदद करता है। उन्होंने बताया कि वे प्रत्यारोपण प्रक्रिया के महत्वपूर्ण चरणों को अधिक सटीक और सुरक्षित रूप से करने में सक्षम थे, जिसके परिणामस्वरूप दाता के साथ -साथ प्राप्तकर्ता के लिए सर्जरी की प्रक्रिया बेहतर और असान तरीके से पूरी कर ली गई।