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वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में की नए अंग की खोज 

चेहरे के भीतर मिला नया अंग 

नई दिल्ली। टीम ​डिजिटल : वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में नए अंग की खोज (new organ discovery) की है। यह नया अंग इंसानी चेहरे के भीतर नई ग्रंथी के तौर पर मिला है। 
नए अंग की खोज को नीदरलैंड के ऑन्कोलॉजिस्टों ने अंजाम दिया है। विशेषज्ञों ने इसे ट्यूबरियल ग्रंथियां करार दिया है। इस खोज से संबंधित शोध को पीयर रिव्यूड जर्नल रेडियोथेरेपी एंड ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। यहां बता दें कि जो विशेषज्ञ कैंसर का उपचार और निदान करने में दक्ष होते हैं उन्हें ऑन्कोलॉजिस्ट कहा जाता है। 


अधिक जानने की जिज्ञासा से नए अंग तक पहुंचे 

सिर और गर्दन में कैंसर की प्रक्रियाओं के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए शोधकर्ताओं ने रेडियोएक्टिव ग्लूकोज के साथ मानव शरीर को स्कैन करना शुरू किया। इस दौरान चेहरे के अंदर कुछ असामान्य सी दिखने वाली कोशिकाएं नजर आई। 

नए अंग की खोज के लिए 100 शरीरों का किया स्कैन 

वैज्ञानिकों के मुताबिक इस खोज के लिए पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी और कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन की प्रक्रिया अपनाई गई। ऑन्कोलॉजिस्ट ने लगभग 100 रोगियों और शवों को स्कैन किया। इस दौरान उन्होंने देखा कि चेहरा का कुछ हिस्सा लगातार चमक रहा है। पहले उन्हें लगा कि यह किसी तरह की चूक है लेकिन आगे जब जांच की तो पाया कि यह मानव शरीर के नए हिस्से हैं, जिसकी जानकारी अभी तक किसी को भी नहीं थी। 

ट्यूबरियल ग्रंथियों का कार्य

वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में की नए अंग की खोज 
वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में की नए अंग की खोज
ट्यूबरियल ग्रंथियां मुंह के भीतर लार के उत्पादन में मदद करती है। नया अंग तीन मुख्य लार ग्रंथियों के समान आकार का पाया गया है और वे नासॉफिरिन्क्स के दोनों ओर मौजूद हैं। वैज्ञानिकों के मुताकि इस खोज का मुख्य उद्देश्य कैंसर के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना था। 

कैंसर के उपचार में अधिक सावधानी बरतने की सलाह 

वैज्ञानिकों के मुताबिक कैंसर के उपचार में अब और अधिक सावधानी बरतने की जरूरत पडेगी। कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने वाली रेडियोथेरेपी नई लार ग्रंथियों के साथ जटिलताएं पैदा कर सकती हैं। ऐसे में डॉक्टरों को चेहरे के इस नए हिस्से में मार्क बनाने से बचने की जरूरत होगी। पहले से यह धारणा चली आ रही है कि नासॉफिरिन्क्स में लार या म्यूकस ग्रंथियां बहुत छोटी हैं। यह पूरे म्यूकोसा में एक तरह से फैली हुई हैं।
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