Psoriasis से बचने का तरीका है बेहतर जानकारी और जागरुकता
सोरायसिस (Psoriasis) के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इनमें से एक प्रमुख कारण तनाव (Stress triggers psoriasis) भी हो सकता है। मानसिक या भावनात्मक तनाव सोरायसिस के जोखिम को बढा सकता है।
एम्स दिल्ली (Aiims Delhi) के त्वचा विज्ञान विभाग में प्रोफेसर (डॉ) सुजय खंडपुर के मुताबिक देशभर की कुल आबादी में से लगभग 2.8 प्रतिशत लोग सोरायसिस (Psoriasis) से पीडित हो सकते हैं। हांलाकि, इनकी वास्तविक संख्या कितनी है, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस बीमारी के पीछे पर्यावरणीय कारक या प्रदूषण जिम्मेदार है या नही, इस बारे में ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है। देश के अलग-अलग अस्पतालों में उपचार के लिए आने वाले मरीजों के आधार पर अलग-अलग शहरों में इसका डाटा दर्ज किया जाता है।
छूने से नहीं फैलता है Psoriasis
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का यह अनुमान है कि सोरायसिस के उपचार के लिए जिस तरह के शोध, अध्ययन औश्र तकनीक की जरूरत है, उसमें हम काफी पीछे हैं। त्वचा पर होने वाली इस समस्या की वजह से मरीज का पूरा जीवन प्रभावित हो सकता है। खास बात यह है कि यह बीमारी छूने या हाथ मिलाने से नहीं फैलती है। बावजूद इसके मरीजों को कई तरह के स्टिग्मा का सामना करना पड़ता है। यह बीमारी मरीज को भावनात्मक, मानसिक स्वास्थ्य और रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है। सोरायसिस को लेकर एक बडी समस्या यह है कि कुछ मरीज निराश होकर इसके उपचार को बीच में ही छोड देते हैं, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता पर असर पडता है।
क्यों होता है ज्ञात नहीं है कारण
डॉक्टर और वैज्ञानिक अब तक सोरायसिस (Psoriasis) के मूल कारण का पता नहीं लगा सके हैं लेकिन कुछ खास वजहों को चिन्हित किया गया है जो इस बीमारी के लक्षणों को बढाने में भूमिका निभाते हैं। सोरायसिस ऑटोइम्यून इंफ्लेमेट्री डिजीज है। आमतौर पर यह कहा जाता है कि सोरायसिस परिवार में किसी एक सदस्य को हुआ है तो दूसरे सदस्य भी इसके जोखिम के दायरे में आते हैं लेकिन जिन परिवारों में सोरायसिस की कोई हिस्ट्री नहीं है, उनमें भी सोरायसिस लोगों को पीडित कर सकता है।
Also Read : Healthy Food : ठंड में संक्रमण से बचाऐंगे ये 5 चीजों को प्रयोग
इन वजहों से हो सकता है Psoriasis
तनाव
सोरायसिस को ट्रिगर करने वाले प्रमुख कारणों में मानसिक तनाव की गिनती की जाती है। सोरायसिस (Psoriasis) फ्लेयर तनाव पैदा कर सकता है। विश्राम यानी रिलैक्सिंग तकनीक और तनाव प्रबंधन से सोरायसिस को रोकने में मदद मिल सकती है।
त्वचा पर चोट
सोरायसिस (Psoriasis) त्वचा के उन क्षेत्रों में हो सकता है, जो घायल या क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। खरोंच, सनबर्न, कीड़ो के काटने और टीकाकरण इन सभी वजहों से सोरायसिस विकसित हो सकता है।
संक्रमण
किसी भी तरह का संक्रमण सोरायसिस का कारण बन सकता है। कान के संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, टॉन्सिलिटिस या श्वसन संक्रमण के बाद सोरायसिस विकसित होने का इसके लक्षण के बिगडने का जोखिम रहता है।
मौसम
ठंड के मौसम में अक्सर सोरायसिस के लक्षण बिगड जाते हैं। प्राकृतिक धूप और उच्च आर्द्रता के कारण गर्म मौसम में सोरायसिस के लक्षणों में सुधार हो सकता है।
स्मोकिंग
सोरायसिस के लक्षणों को बिगाडने में स्मोकिंग एक आम ट्रिगर के रूप में जाना जाता है। इससे पीडित मरीजों को अक्सर स्मोकिंग से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
Also Read : Heart Attacks : आ गया है दिल का दुश्मन मौसम, हार्ट हेल्थ के प्रति रहें सतर्क
अन्य संभावित ट्रिगर
हालांकि ऐसे मामले बहुत कम ही पाए जाते हैं लेकिन सोरायसिस (Psoriasis) से पीड़ित कुछ लोगों में एलर्जी, कुछ खाद्य पदार्थ, शराब या पर्यावरणीय कारक लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं। अगर लक्षणों को बिगाडने वाले कारणों की सूची बना ली जाए तो फ्लेयर्स का अनुमान लगाना आसान होने के साथ उपचार में मदद मिल सकती है।
सोरायसिस से जुडे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
यह यहां आपको कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं, जो सोरायसिस (Psoriasis) के साथ आपके जीवन को आसान बनाने और गुणवत्ता बढाने में मदद कर सकती है। अपने लक्षणों को नियंत्रित रखने के लिए आपको यह जानना जरूरी है कि सोरायसिस की स्थिति में क्या करना आपके लिए सही है और क्या गलत है।
क्या करें (Dos)
त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें
यदि आप सोरायसिस (Psoriasis) से पीड़ित हैं तो सबसे पहले किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। अपने डॉक्टर को आप बताएं कि पहली बार आपको कैसे पता चला कि आप इस बीमारी से पीडित हैं। आपके लक्षण क्या हैं, ऐसी कौन सी स्थितियां है, जिससे आपके लक्षण बिगडते हैं। पहले आपने इसके लिए उपचार लिया है या नहीं। अगर लिया है तो उससे कितना फायदा मिला।
त्वचा पर नमी बनाएं रखें
आप अपनी त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए उसे मॉइस्चराइज़ करें। नहाने के दौरान या नहाने के बाद अपनी त्वचा पर त्वचा पर पर्याप्त मात्रा में मॉइस्चराइजिंग क्रीम या लोशन लगा सकते हैं। अगर ओवर-द-काउंटर मॉइस्चराइजिंग उत्पाद से मदद नहीं मिलती है तो अपने डॉक्टर से मॉइस्चराइजिंग क्रीम लिखवा सकते हैं, जिसमें दवा भी शामिल होती है। सर्दियों के दौरान मॉइस्चराइजिंग का विशेषतौर पर ख्याल रखें। माइस्च्राइज़ करने से त्वचा हाइड्रेटेड होती है और सोरायसिस (Psoriasis) की वजह से जमी पपडी नरम हो जाती है। जिससे आपको आराम मिलेगा। नियमित रूप से थोड़ी धूप जरूर सेकें। धूप की किरणों से सोरायसिस पर बेहतर असर होता है।
क्या न करें (Donts)
खुजली करने से बचें
सोरायसिस (Psoriasis) के घावों को खरोंचने या उसे साफ करने से बचें। ऐसा करने से स्थिति और अधिक बिगड सकती है। बहुत ज्यादा गर्म पानी से स्नान करने या अपघर्षक क्लीनर का उपयोग करने से भी सोरायसिस के लक्षण बिगड सकते हैं।
तनाव से बचें
सोरायसिस का सामना कर रहे लोगों में से कुछ लोग यह बताते हैं कि जब वे तनाव में होते हैं तो उनके लक्षण और बिगड जाते हैं। डॉक्टर भी सोरायसिस के मरीजों को तनाव से बचने की सलाह देते हैं। इससे बचने के लिए नियमित व्यायाम और अच्छी नींद बेहतर उपायों में से एक है।
Also Read : Dengue Fever : कठिन परिस्थिति में भी डेंगू मच्छर कैसे रहता है जिंदा, वैज्ञानिक ने उठाया रहस्य से पर्दा
Psoriasis ट्रिगर करने वाली स्थितियों को गंभीरता से लें
सोरायसिस के लक्षण जिन कारणों से बिगडते हैं, उन्हें नजरअंदाज न करें। यह समय के साथ बढने और घटने वाली बीमारी है लेकिन इसका प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है। आप एक खास उपाए अपना सकते हैं। गौर करें कि आपका सोरायसिस कुछ अवधि तक नियंत्रित रहने के बाद वापस आता है, तो ऐसा क्यों होता है, इसका पता लगाने के लिए विशेषज्ञ से मिलें। इस आधार पर आपके डॉक्टर तय कर सकेंगे कि इसका उपचार करने के लिए वो क्या कर सकते हैं।
आत्मविश्वास बनाए रखें
सोरायसिस (Psoriasis) के मामले में सबसे निराश करने वाला पहलू यह है कि जो उपचार एक मरीज के लिए बेहतर काम करता है, जरूरी नहीं है कि वही उपचार दूसरे मरीज के लिए भी फायदेमंद साबित हो। आपको अपने लिए बेहतर उपचारों की खोज करने या उसके बारे में पता करने में कुछ समय लग सकता है।
ऐसे में धीरज रखें और अपना आत्मविश्वास भी बनाए रखें। आपके निराश होने से सोरायसिस के लक्षण आपसे जीत सकते हैं। सोरायसिस के मामले में उपयार धीमा भले ही हो सकता है लेकिन कामयाब साबित भी हो सकता है। आपके लिए यह जरूरी है कि आप किसी विशेषज्ञ की राय को ही फॉलो करें। किसी के भी बताए क्रीम या लोशन का प्रयोग न करें।
सोरायसिस : लक्षण| symptoms of psoriasis
- त्वचा पर लाल रंग के पापड़ीदार और उभरे हुए चक्कते
- खोपड़ी, जननांगों, कानों के पीछे, हथेलियों या तलवों पर या फिर त्वचा के किसी भी हिस्से में चकतों का होना।
- चकतों में खुजली होना
- जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न
- नाखूनों में असामान्यताएं – गड्ढेदार, बदरंग, या टेढ़े-मेढ़े नाखून।
सोरायसिस : निदान
सोरायसिस का निदान (Diagnosis of Psoriasis) करते हुए चिकित्सक आपके त्वचा का परीक्षण करते हैं। अगर ऊपर बताए गए लक्षण दिखे तो जरूरी है कि तत्काल विशेषज्ञ से परामर्श लिया जाए। इसका निदान या उपचार त्वचा रोग विशेषज्ञ (Skin specialist) या रूमेटोलॉजिस्ट, त्वचा की जांच करते हुए रोग की गंभीरता का पता लगाते हैं। रोग की गंभीरता के आधार पर ही उपचार की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
सोरायसिस का निदान करना मुख्य रूप से एक क्लीनिकल प्रक्रिया है। ज्यादातर मामलों में यह पाया गया है कि मरीज़ की त्वचा पर लाल या लाल-भूरी रंग वाले रैशेज़ जिन पर गोलाकार, अंडाकार या कई बार अनियमित आकार के सिल्वर-व्हाइट रंग के चकत्ते भी उभर आते हैं। इनका आकार कई बार सिक्के की तरह होता है। कई बार यह पूरी पिंडली या जांघों पर भी उभर जाते हैं।
त्वचा पर उभरे ऐसे घाव तकलीफ भरे होते हैं। अक्सर इनमें तेज खुजली भी होती है। कई बार इनमें क्रैक्स भी पड जाते हैं। इस वजह से यह और भी ज्यादा तकलीफ देने लगते हैं। वैसे तो ये चकते कहीं भी हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर यह खोपड़ी, हथेलियों, एड़ियों, कुहनियों और घुटनों पर उभरते हैं। इसके अलावा कई बार ये पीठ, छाती और बाजुओं या पैरों पर भी विकसित हो सकते हैं। चेहरे पर ऐेसे चकतों का उभरना बहुत कम ही देखा गया है।
Also Read : Glowing Up Tips : मुरझाई त्वचा में जान डाल देते हैं इन 4 फलों के छिलके
सोरायसिस की वजह से नाखून भी प्रभावित होते हैं। सोरायसिस प्रभावित नाखून सख्त और बदरंग हो जाते हैं। कुछ मामलों में सोरायसिस का प्रभाव ज्वाइंट्स पर भी देखा गया है। इनकी वजह से खासतौर से उंगलियों के जोड में दर्द होता है।
डर्मेटोलॉजिस्ट सोरायसिस का पता लगाने के लिए कुछ जरूरी जांच की भी सलाह दे सकते हैं। इस दौरान डर्मेटोस्कोप जैसे उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ मामलों में स्किन बायप्सी
भी करना पड सकता है। यह जांच तब करवाई जाती है, जब सोरायसिस के लक्षण काफी असामान्य होते हैं।
सोरायसिस : उपचार| Psoriasis treatment
सोरायसिस से प्रभावित लोग अगर कुछ बातों का ध्यान रखें तो वह बेहतर जीवन जी सकते हैं। कई बार सोरायसिस पूरी तरह ठीक भी हो सकता है और दोबारा यह न उभरे इसके लिए कुछ विशेष सावधानी बरतने की भी जरूरत होती है। शरीर की कितनी सतह प्रभावित है, इसपर सोरायसिस की गंभीरता निर्धारित की जाती है। इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि इससे मरीज के जीवन की गुणवत्ता कितनी प्रभावित हो रही है।
सोरायसिस को पूरी तरह से खत्म् करना संभव नहीं है लेकिन उपलब्ध उपचारों के जरिए इसे लक्षणों को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है। इन उपचारोें से त्वचा सामान्य बनी रहती है। वहीं समस्या पैदा करने वाले लक्षण भी प्रभावित नहीं करते। सुधार को बनाए रखने के लिए चिकित्सकीय निगरानी में रहते हुए नियमित उपचार कराना सबसे जरूरी है।
उपचार में प्रयोग होने वाले तरीके
सोरायसिस के उपचार के लिए त्वचा पर लगाई जाने वाली दवाएं या मल्हम का उपयोग किया जाता है। इसके लिए कुछ खाने वाली दवाइयां भी दी जाती है। इसके अलावा फोटो-थेरेपी, जिसमें रोशनी की किरणों से सोरायसिस को प्रबंधित किया जा सकता है, यह उपचार विधि भी मरीजों पर आजमाया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सोरायसिस किस वजह से होता है?
विशेषज्ञों के मुताबिक सोरायसिस क्यों होता है, इसकी ठोस वजह अभी तक ज्ञात नहीं है। सोरायसिस की वजहों में से एक प्रमुख वजह तनाव को भी माना जाता है। यह एक ऑटोइम्यून इंफ्लेमेट्री डिजीज है। इम्यून सिस्टम के भ्रमित होकर त्वचा की टिश्यूज पर हमलावर होना सोरायसिस की एक वजह मानी जाती है। सोरायसिस के पीछे जेनेटिक वजह जैसे फैमिली हिस्ट्री भी जिम्मेदार हो सकते हैं। यह बीमारी क्यों होती है, इसे लेकर शोध और अध्ययन किए जा रहे हैं।
सोरायसिस कितने दिनों में ठीक हो जाता है?
त्वचा पर सोरायसिस जैसे लक्षणों वाली समस्या उपचार के बाद सामान्य रूप से दो से चार हफ्तों में ठीक हो जाती है। कई बार चोट, संक्रमण या अन्य वजहों से यह सोरायसिस में तब्दील हो सकती है। यह एक दीर्घकालिक बीमारी है। जिसके लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है।
क्या आयुर्वेद में सोरायसिस का प्रभावी उपचार है?
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ सोरायसिस के लिए कई औषधियों की मौजूदगी का दावा करते हैं। पंचकर्म पद्धति को भी सोरायसिस के लिए उपयोगी बताया जाता है लेकिन पूर्ण रूप से इस बीमारी को समाप्त करने का दावा अभी तक किसी ने नहीं किया है।
क्या होम्योपैथी में सोरायसिस का प्रभावी उपचार है?
होम्योपैथी में सोरायसिस का प्रभावी उपचार है या नहीं, इसके लेकर विशेषज्ञ एकमत नहीं हैं लेकिन होम्योपैथी में कुछ ऐसी खास दवा और मल्हम जरूर होने का दावा किया जाता है, जिससे सोरायसिस के लक्षणों और इससे होने वाली समस्याओं को बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है। विशेषज्ञों का दावा है कि इन दवाओं का दुष्प्रभाव नहीं होता है।
क्या एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीडित मरीजों को सोरायसिस भी हो सकता है?
हालांकि, ऐसे बेहद कम मामलों में ही देखा गया है कि एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाटिस के मरीज सोरायसिस से भी प्रभावित होते हैं। एएस के साथ सोरायसिस का जोखिम जरूर बना रहता है। विशेषज्ञ सोरायसिस को एएस के साथ होने वाली एसोसिएटेड बीमारियों की लिस्ट में शामिल रखते हैं।