हेल्थ रिपोर्ट 2022 : हेल्थ के मामले में दुनिया में किस तरह की रही हलचल
उचित मैच वाले डोनर के अभाव में जीवन रक्षक साबित हो रही है स्वैप सर्जरी (swap surgery)
नई दिल्ली।टीम डिजिटल :
लिवर की समस्या (liver problems) से जूझ रहे मरीजों के लिए जब लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) ही अंतिम विकल्प रह जाए तो सबसे बडी चुनौती मैच वाले डोनर की तलाश ही होती है। देश में पर्याप्त तादाद में अंगदान नहीं होने का खामियाजा ऐसे मरीजों को अपनी जान गंवाकर भुगतनी पडती है। हालांकि, चिकित्सा विज्ञान के विकास के साथ इस चुनौती को भी दरकिनार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। ताजा प्रयासों के तहत विशेषज्ञों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिससे काफी हदतक डोनर की तलाश पूरी हो सकती है।
एक साथ तीन मरीजों की बचाई जान


गुरूग्राम स्थित मेदांता अस्पताल के विशेषज्ञों ने लिवर ट्रांसप्लांट की दिशा में एक नई उपलब्धि हासिल की है और इस दौरान उन्होेंने एक नहीं बल्कि तीन मरीजों के जीवन को बचाने में कामयाबी हासिल की है, जो जीवन की आशा खो चुके थे। लिवर की बीमारी के अंतिम स्टेज में पहुंच चुके तीन मरीजों के लिए ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प रह गया था लेकिन मैच वाला डोनर नहीं मिल पा रहा था। डोनर की तलाश पूरी करने में करीब एक वर्ष का समय भी लग सकता था लेकिन इतना समय इन तीनों मरीजों के पास नहीं था।
ऐसे में इन मरीजों के लिए स्वैप सर्जरी की तकनीक और मेदांता के विशेषज्ञ संकटमोचक बनकर उभरे। अस्पताल की लिवर ट्रांसप्लांट टीम की इस उपलब्धि को दुर्लभ बताया जा रहा है। वहीं यह भी दावा किया जा रहा है कि देश में पहली बार थ्री-वे लिवर ट्रांसप्लांट स्वैप, या पेयर्ड एक्सचेंज किया गया। जिसके द्वारा टर्मिनल लिवर रोग से पीड़ित तीन मरीजों का एक साथ जीवनरक्षक लिवर ट्रांसप्लांट किया जा सका। इन तीन ट्रांसप्लांट्स में मुख्य सर्जन डॉ. एएस सोइन, डॉ. अमित रस्तोगी, और डॉ. प्रशांस भांगुई की भूमिका रही।
तीन अजनबियों के बीच पूरी की गई थ्री वे स्वैप की प्रक्रिया


अस्पताल के मुताबिक थ्री-वे स्वैप (three-way swap) का इस्तेमाल मध्य प्रदेश के बिज़नेसमैन संजीव कपूर, उत्तर प्रदेश के बिजनेसमैन सौरभ गुप्ता और दिल्ली की गृहणी आदेश कौर पर किया गया। इन सभी का जीवन टर्मिनल लिवर फेल्योर के कारण खतरे में था और उनकी जान बचाने के लिए तुरंत लिवर ट्रांसप्लांट किया जाना जरूरी था। वो इस स्थिति में नहीं थे कि डोनर का इंतजार किया जाए। इसमें एक साल तक का समय लग सकता था। तीनी मरीजों के लिए उनके परिवार में ही जीवित डोनर थे लेकिन उनमें से कोई भी उचित मैच वाला नहीं था। इन तीनों ने जीवित बचने की उम्मीद खो दी थी।
2009 में शुरू किया था लिविंग डोनर ऑर्गन स्वैप कॉन्सेप्ट


मेदांता के चीफ लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन, डॉ. अरविंदर सोयन ने कहा कि ‘‘हमने 2009 में दो मरीज और डोनर जोड़ों के बीच लिविंग डोनर ऑर्गन स्वैप (living donor organ swap) (या पेयर्ड एक्सचेंज) का कॉन्सेप्ट शुरू किया था। इस तरह के एक्सचेंज से उन मरीजों का जीवन बचाने में मदद मिलती है, जिनके रिश्तेदार, चिकित्सा की दृष्टि से स्वस्थ होने के बाद भी ब्लड ग्रुप और/या लिवर के आकार की असमानता के कारण डोनेट करने में असमर्थ होते हैं। पिछले 13 सालों में 46 बार टू-वे स्वैप (92 ट्रांसप्लांट) करने के बाद हमने थ्री-वे स्वैप चेन के कॉन्सेप्ट का विस्तार किया है, जिसमें तीन डोनर-मरीज जोड़े होते हैं।
यह तीन ट्रांसप्लांट एक साथ तीन डोनर्स और तीन मरीजों में सर्जरी के जरिए की गई। 55 डॉक्टर्स और नर्सों ने 12 घंटों तक 6 ऑपरेटिंग रूम्स में एक साथ काम करते हुए लिवर ट्रांसप्लांट की प्रकिया को अंजाम दिया। संजीव की डोनर (उसकी पत्नी) ब्लड ग्रुप कंपैटिबल थी लेकिन उनका आंशिक लिवर संजीव के लिवर के आकार से मैच नहीं हो रहा था। दूसरी तरफ, सौरभ की डोनर (उसकी पत्नी) और आदेश का डोनर (उसका बेटा), दोनों ब्लड ग्रुप कंपैटिबल नहीं थे।
इस तरह प्लान किया गया पेयर्ड एक्सचेंज
पेयर्ड एक्सचेंज (paired exchange) इस तरह प्लान किया गया था, जिससे कि तीनों मरीजों को ब्लड ग्रुप कंपैटिबल लिवर पर्याप्त मात्रा में मिल सका। सैद्धांतिक रूप से यह चेन चार, पांच, या उससे भी ज्यादा डोनर-मरीज पेयर्स तक बढ़ाई जा सकती है। एक सेंटर में इतने सारे लिवर ट्रांसप्लांट एक साथ करने की लॉजिस्टिक की चुनौती के कारण अब हम ऐसे प्रोटोकॉल्स का विकास कर रहे हैं, जो एक ही शहर में 2 या 3 अलग-अलग केंद्रों में लिवर एक्सचेंज की लंबी श्रृंखला प्राप्त कर सकें।
सर्जरी से पहले एनेस्थेसिया टीम ने किया था डमी प्रयोग
इस जटिल प्रक्रिया में डॉ. निकुंज गुप्ता ने एनेस्थेसिया टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने बताया कि एनेस्थेसिया किसी भी लिवर ट्रांसप्लांट में मुख्य भूमिका निभाता है। सभी 6 डोनर्स और रेसिपिएंट्स को सर्वश्रेष्ठ एनेस्थेटिक केयर प्रदान करने के लिए स्टाफिंग, टाईमिंग और घटनाक्रम की बहुत सतर्कता से योजना बनाई और एक दिन पहले डमी प्रयोग करके उसकी पुष्टि की। सर्जरी के दिन, हर काम योजना के अनुरूप चला, हर ऑपरेटिंग रूम में हमारी टीम के 2-3 सदस्य मौजूद रहे और सर्जरी के दौरान सर्वश्रेष्ठ फ्लुड, रेस्पिरेटरी एवं ड्रग मैनेजमेंट करते रहे।
किडनी ट्रांसप्लांट में भी पेयर्ड एक्सचेंज प्रोगाम की हो रही है तैयारी
मेदांता के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. नरेश त्रेहन ने इसे एतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि इस उपलब्धि के बाद हम अपने पेयर्ड एक्सचेंज प्रोग्राम को लिवर और किडनी तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जीवन-रक्षक ट्रांसप्लांट प्रदान कर सकें।
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