स्पाइन में स्थाई क्षति (Permanent Damage to the Spine) का कारण है सिन्डेस्मोफाइट्स
Ankylosing Spondylitis and Syndesmophytes in Hindi : एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (HLA B@7) और सिन्डैस्मोफाइट्स के बीच काफी गहरे लिंक (Link) हैं। रीढ की हड्डी में स्थाई क्षति इसी की वजह से होती है।
सिन्डेस्मोफाइट्स का निर्माण रीढ़ की हड्डी के स्नायुबंधन (ligaments) में होता है। जिसके कारण कशेरुकाएं (vertebrae) आपस में जुड जाती हैं। जिसे आम भाषा में बोनी फ्यूजन (bony fusion) या जोडों का फ्यूज होना भी कहते हैं। हड्डियों की ये असामान्य वृद्धि (abnormal bone growth) कभी-कभी अन्य कारणों से भी हो सकती है। हालांकि, सिन्डेस्मोफाइट्स एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की प्रमुख विशेषता है।
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हम यहां आपको सिंडेस्मोफाइट्स और एएस (Ankylsoing Spondylitis) के बीच के संबंधों को बता रहे हैं। जिसमें हम इसके संभावित कारणों और इसके विकसित होने के संकेतों और डॉक्टर द्वारा इसके निदान की प्रक्रिया पर चर्चा कर रहे हैं। सिंडीस्मोफाइट्स एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के मरीजों में होने वाला एक प्रमुख परिवर्तन है। जिसके कारण दर्द, रीढ़ में कठोरता (stiffness in spine) और गतिशीलता की हानि (loss of mobility) हो सकती है।
सिंडेस्मोफाइट्स (Syndesmophytes) का कारण (Cause) नहीं जानते वैज्ञानिक
शोधकर्ता यह तो जानते हैं कि सिंडेस्मोफाइट्स एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की एक प्रमुख पहचान है लेकिन वह अबतक यह पता नहीं कर पाए हैं कि हड्डियों में होने वाली यह अनिश्चित वृद्धि क्यों विकसित होती है। 2020 के एक अध्ययन के लेखकों के मुताबिक, ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) के रूप में जाना जाने वाला प्रणालीगत हड्डी का नुकसान (systemic bone loss) और नई हड्डी का निर्माण (new bone formation) दोनों ही समस्या एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के मरीजों में पाई जाती है।
पहले शोधकर्ताओं ने यह अनुमान लगाया था कि सूजन की वजह से हड्डी नष्ट हो जाती है, जिसके बाद हड्डी की मरम्मत (bone repair) करने और रीढ़ को स्थिरता (spine stability) प्रदान करने के लिए नई हड्डी या सिंडेस्मोफाइट्स के निर्माण की प्रक्रिया (Process of formation of syndesmophytes) शरीर में अपने आप शुरू हो जाती है। हालांकि, 2020 के अध्ययन में पाया गया कि अस्थि खनिज घनत्व (bone mineral density) और सिंडेस्मोफाइट्स के निर्माण के बीच किसी तरह का संबंध नहीं है।
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उसी वर्ष के एक अन्य शोध में यह सामने आया कि एडवांस स्टेज के एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस मरीजों में सिंडेस्मोफाइट्स की प्रगति (Advanced Stage Ankylosing Spondylitis Patients) के जोखिम कारकों में वृद्धावस्था और लंबे समय से बीमारी होना शामिल है। एएस से पीड़ित व्यक्ति अक्सर पीठ से जुड़े लक्षणों का अनुभव करता है, जिसमें कठोरता और गति की सीमित सीमा (limited range of motion) शामिल है।
2 वर्षों में ही विकसित होने लगती है सिंडेस्मोफाइट्स
कुछ शोध से हैरान करने वाले संकेत मिलते हैं। जिससे यह पता चलता है कि 2 वर्षों के दौरान ही लगभग 29-37 प्रतिशत एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस मरीजों में नए सिंडेस्मोफाइट्स (Syndesmophytes in Ankylosing Spondylitis Patients) विकसित होने लगते हैं। इसका मतलब यह है कि लगभग दो-तिहाई लोगों को इस समय सीमा में सिंडेस्मोफाइट्स विकसित होने लगता है। जैसे-जैसे इस स्थिति का विकास होता है, रीढ की हड्डियां आपस में जुडनी शुरू हो जाती है। जिसके बाद एक मरीज अपने शरीर में लचीलापन और गतिशीलता में आने वाली कमी को महसूस करने लगता है।
Ankylosing Spondylitis : रीढ की हड्डी में फ्रैक्चर के खतरे को बढा सकता है सिंडेस्मोफाइट्स
एडवांस स्टेज के वैसे एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस वाले मरीज, जिनकी गतिशीलता काफी कम हो चुकी है और वे अपनी गतिशीलता भी काफी हदतक खो चुके हैं, ऐसे मरीजों में सिडेस्मोफाइट्स की वजह से रीढ की हड्डी में फ्रैक्चर का खतरा (Risk of spinal fracture) बढ सकता है। फ्रैक्चर की वजह से तंत्रिकाओं का भी नुकसान (nerve damage) पहुंच सकता है।
गिरने के बाद अगर ऐसा अनुभव हो तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं
- रीढ़ की हड्डी में नया या बिगड़ा हुआ दर्द
- बांहों में सुन्नता या झुनझुनी
- पैरों में सुन्नता या झुनझुनी
- गर्दन का असंतुलित होना
कैसे पता चलता है सिंडेमोफाइट्स है या नहीं ?
एक डॉक्टर सिंडेस्मोफाइट्स का पता लगाने के लिए एक्स-रे या एमआरआई स्कैन जैसे इमेजिंग परीक्षणों का उपयोग कर सकते है। हालांकि एक्स-रे में बीमारी के शुरुआती चरणों में कोई वृद्धि नहीं दिखाई देगी। कई बार सिंडैस्मोफाइट्स का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन भी किया जा सकता है।
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एक मरीज खुद से इसकी पहचान करने के लिए अपने शरीर की गतिशीलता और लचक की निगरानी खुद भी रख सकता है। अगर प्राकृतिक गतिशीलता में किसी तरह की कमी हो या अचानक शरीर की लचक में रूकावट आने लगे तो एक एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस मरीज को तत्काल अपने रूमेटॉलाजिस्ट (rheumatologist) से संपर्क करना चाहिए।