आंत में मौजूद बैक्टीरिया की बनावट कोरोना (Corona) की गंभीरता को प्रभावित कर सकती है
नॉटिंघम। टीम डिजिटल : कोरोना (Corona) की गंभीरता का आंत के बैक्टीरिया से सीधा संबंध (The severity of corona is directly related to the bacteria of the intestine) है। ताजा अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि आंत में मौजूद बैक्टीरिया की बनावट से कोरोना की गंभीरता प्रभावित हो सकती है।
नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी (Nottingham Trent University) के सैमुअल जे. व्हाइट और फिलिप बी. विल्सन के मुताबिक, जीवाणु,कवक और विषाणु सहित सूक्ष्म जीवों का एक विशाल संयोजन हमारी आंत में रहता है। सामूहिक रूप से, हम इसे माइक्रोबायोम (microbiome) कहते हैं। इनके छोटे आकार के बावजूद, इन सूक्ष्म जीवों का हमारे स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। वास्तव में, शरीर के अंगों और प्रणालियों के साथ व्यापक संबंध के कारण माइक्रोबायोम को अकसर “दूसरा मस्तिष्क” कहा जाता है।
कोरोना संक्रमण के बाद भी इसलिए रहते हैं लक्षण
विशेष रूप से हमारी आंत में सूक्ष्म जीवों की एक भूमिका प्रतिरक्षा कार्य की मदद करने की होती है। ये स्थानीय और प्रणालीगत सूजन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा प्रतिरक्षा प्रणाली हमें हानिकारक रोगजनकों से बचाती है। अनुसंधान से पता चला है कि आंत में जीवाणु की बनावट कोविड Covid) संक्रमण की गंभीरता को प्रभावित कर सकती है। इसी के साथ यह साक्ष्य भी है कि कोविड संक्रमण आंत में जीवाणु के संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जो यह समझाने का एक तरीका हो सकता है कि कुछ लोगों में कोविड संक्रमण के बाद लगातार लक्षण क्यों बने रहते हैं।
पेट में बैक्टीरिया की खराब संरचना संक्रमण की संवेदनशीलता को बढाता है
हमारी आंत में मौजूद सूक्ष्म जीव फेफड़ों सहित पूरे शरीर में हमारी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक संकेत प्रदान करते हैं। एक “स्वस्थ” आंत माइक्रोबायोम में जीवाणु की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होती है, हालांकि यह हर व्यक्ति में समान नहीं होती।
अध्ययनों में पहले पता चला है कि एक स्वस्थ आंत माइक्रोबायोम प्रतिरक्षा कोशिकाओं और संदेशों को विनियमित करके श्वसन संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में सुधार कर सकता है। दूसरी तरफ, साक्ष्य से पता चलता है कि पेट के जीवाणुओं की एक खराब संरचना फेफड़ों में इन्फ्लूएंजा संक्रमण की संवेदनशीलता को बढ़ाती है, और चूहों में फेफड़ों से रोगाणुओं की निकासी को कम करती है।
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अध्ययन में सामने आया हैरान करने वाला साक्ष्य
कोविड (Covid) के मामले में भी ऐसा ही प्रतीत होता है कि पेट के माइक्रोबायोम की संरचना रोग की गति को प्रभावित कर सकती है। अनुसंधान में कोविड रोगियों में माइक्रोबायोम प्रोफाइल और सूजन संकेतकों के स्तर के बीच एक संबंध दिखा है, जहां आंत जीवाणु के खराब संयोजन वाले रोगियों में बहुत अधिक सूजन के लक्षण दिखाते हैं। इससे पता चलता है कि माइक्रोबायोम प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर प्रभाव के माध्यम से कोविड संक्रमण की गंभीरता को प्रभावित करता है।
माइक्रोबायोम असंतुलन को बिगाड सकता है कोरोना
कोविड संक्रमण हमारे आंत जीवाणु की संरचना को प्रभावित कर सकता है। विशेष रूप से, ऐसा लगता है कि कोविड किसी व्यक्ति के माइक्रोबायोम में “अच्छे” और “बुरे” सूक्ष्म जीवों के बीच संतुलन को बिगाड़ सकता है। अध्ययनों में कोविड रोगियों और स्वस्थ लोगों के बीच आंत्र माइक्रोबायोम में महत्वपूर्ण अंतर दिखा। हमें कोविड रोगियों में आंत में जीवाणुओं की विविधता में कमी देखने को मिली।विशेष रूप से, वैज्ञानिकों ने कोविड रोगियों में सहभोजी जीवाणु के रूप में जाने जाने वाले समूह में कमी देखी, जो रोगजनकों के हमले को रोकने में मदद करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली का सहयोग करते हैं। यह कोविड के बाद अन्य संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है। इस “असंतुलन” को डिस्बिओसिस कहा जाता है, और ये परिवर्तन संक्रमण के 30 दिन बाद भी रोगियों में मौजूद देखे गए हैं।
खुद को कोविड और अन्य संक्रमणों से बचाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ कैसे रखें ?
विटामिन ए, सी, डी और ई के साथ-साथ आयरन, जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड सहित कुछ पोषक तत्व विषाणु संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। विटामिन, खनिज और आहार फाइबर से भरपूर भूमध्यसागरीय आहार आंत में सूजन-रोधी प्रभाव डालता है। दिलचस्प बात यह है कि जीवाणु का एक प्रकार जिसे फेकैलिबैक्टीरियम प्रूस्निट्ज़ी के नाम से जाना जाता है, प्रतिरक्षा नियमन के लिए महत्वपूर्ण है। यह अकसर पश्चिमी आहार में कम होता है, लेकिन भूमध्यसागरीय आहार में प्रचुर मात्रा में होता है। आदर्श रूप से आपको बहुत अधिक परिष्कृत अनाज, शक्कर और पशु वसा से बचना चाहिए, जो शरीर में सूजन को बढ़ा सकते हैं।
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