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एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस और हृदय रोग में गहरा है नाता

एएस के साथ हृदय रोग न हो इसके लिए रहें सतर्क 

नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS) के साथ अन्य कई बीमारियों का जोखिम जुडा हुआ है। इसमें से एक प्रमुख समस्या हृदय रोग (Ankylosing Spondylitis and Heart Disease) भी है। एएस के साथ हृदय रोग की चपेट में आना बडी कठिनाई साबित हो सकती है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि Ankylosing Spondylitis से पीडित मरीज वह सभी प्रयास करते रहें, जिससे हृदय रोग का जोखिम (heart disease risk with AS) कम हो सकता है। 
विशेषज्ञों के मुताबिक एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS) के मरीज पौष्टिक आहार का पालन करने के साथ अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव कर हृदय रोग के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। 

एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस और हृदय रोग 

एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस और हृदय रोग में गहरा है नाता
एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस और हृदय रोग में गहरा है नाता
एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस (AS) प्रमुख रूप से स्पाइन को प्रभावित करता है लेकिन यह हृदय के आसपास की रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित कर सकता है। एएस के साथ हृदय रोग वाले मरीजों में कई हार्ट कंडिशन अधिक सामान्य पाया गया है। 
  • ऑरटाइटिस (Aortitis) : महाधमनी(Aorta) का काम शरीर की धमनियों में रक्त प्रवाह करना है। इसकी सूजन की वजह से Aorta वाल्व में रिसाव हो सकता है। इसे ठीक करने के लिए सर्जरी करवाना पड सकता है।
  • अरेथमिया (Arrhythmia) : अरेथमिया में दिन की धडकन अनियंत्रित और अनियमित हो जाती है। धडकन बहुत तेज़ होने को टैचीकार्डिया या बहुत धीमी होने को ब्रैडीकार्डिया कहते हैं।
  • कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) : इसमें हृदय कमजोर हो जाता है और हृदय के लिए शरीर के बांकी हिस्सों में रक्त प्रवाहित करने में समस्या होने लगती है। अगर इस समस्या का समय रहते उपचार नहीं कराया जाता तो कार्डियोमायोपैथी अन्य कई समस्याओं की वजह भी बन सकता है। जिसमें हृदय का अचानक रुकना (कार्डियक अरेस्ट), हृदय की विफलता और रक्त के थक्के बनना शामिल हैं।
  • इस्केमिक (Ischemic) हृदय रोग: इस समस्या में हृदय में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है। यह समस्या रक्त वाहिकाओं (कोरोनरी धमनी रोग) में अवरोध होने की वजह से होता है।
  • कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस (Costochondritis) : पसलियों को उरोस्थि (breastbone) से जोड़ने वाले cartilage (उपास्थि) में सूजन कोई हृदय रोग नहीं है लेकिन यह कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस सीने में दिल के दर्द जैसे लक्षण को पैदा कर सकता है।

 

एएस बढाता है हृदय रोग का जोखिम

यह जानना बडा रोचक है कि हृदय रोग एएस के विकास को नहीं बढाता है लेकिन एएस हृदय रोग की संभावना को बढाता है। वर्ष 2017 के एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ कि सामान्य आबादी के मुकाबले एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित लोगों में हृदय संबंधी घटनाओं का जोखिम 30% से 50% अधिक होता है। 

इन कारणों से भी बढता है हृदय रोग का खतरा 

  • व्यायाम की कमी: एएस के कारण शारीरिक श्रम और खासतौर से व्यायाम की प्रवृत्ति में कमी होती है।
  • दर्द की दवा: दर्द को कम या नियंत्रित करने के लिए चिकित्सक अक्सर गैर-स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) निर्धारित करते हैं। इन दवाओं के लंबे समय तक उपयोग करने की वजह से हृदय संबंधित समस्याओं का खतरा बढ सकता है।
  • सूजन: एएस AORTA के आसपास जो सूजन पैदा करता है, वह हृदय रोग का कारण बनाता है। 

एएस के साथ अगर यह समस्या भी है तो रहें सतर्क 

एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस और हृदय रोग में गहरा है नाता
एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस और हृदय रोग में गहरा है नाता
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल
  • उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप)
  • मोटापा
  • धूम्रपान करने की आदत 
वर्ष 2020 के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई कि हृदय रोग के लिए उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल और मोटापा जिम्मेदार है। सामान्य आबादी की तुलना में एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) से पीड़ित लोगों में यह समस्याएं आम थी। 

हृदय रोग में उपचार (Treatment of Heart Disease)

एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस और हृदय रोग में गहरा है नाता
एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस और हृदय रोग में गहरा है नाता
  • पेसमेकर : हृदय को ठीक से धड़कने में मदद करता है
  • इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर : हृदय की लय की निगरानी करने वाला डिवाइस जो ज़रूरत पड़ने पर स्वचालित रूप से जीवन रक्षक उपचार भी करता है
  • शल्य चिकित्सा
  • एंजियोटेंसिन :   परिवर्तित एंजाइम (एसीई) अवरोधक, बीटा-ब्लॉकर्स और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा 
  • एंजियोप्लास्टी : हृदय की ओर जाने वाली अवरुद्ध रक्त वाहिकाओं को खोलने की एक प्रक्रिया 

एएस के साथ हृदय रोग है तो इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज 

एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस और हृदय रोग में गहरा है नाता
एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस और हृदय रोग में गहरा है नाता
  • सीने में दर्द जो ठीक न हो रहा हो
  • सांस लेने में परेशानी
  • जबड़े या बांह के नीचे दर्द
  • दिल की धड़कन के तरीके में परिवर्तन
  • चक्कर आना
  • अत्यधिक थकान

सावधानी और निगरानी से करें बचाव 

  • स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें
  • पर्याप्त नींद लें
  • नियमित व्यायाम करें
  • नियमित रूप से रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, और रक्त (ट्राइग्लिसराइड्स) में वसा के स्तर की जांच करवाएं।
  • जांच में गडबडी सामने आने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें।
  • धुम्रपान या शराब से दूरी बनाएं

इन्हें आहार में शामिल करें 

  • साबुत अनाज
  • दाने और बीज
  • सब्जियां और फल
  • उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ जैसे मछली, लीन मीट, अंडे और फलियां
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