हेल्थ रिपोर्ट 2022 : हेल्थ के मामले में दुनिया में किस तरह की रही हलचल
जेनेटिक बीमारियों (genetic disorder) की वजह से मानव स्वास्थ्य के लिए बडी चुनौती साबित हो रही है। इनमें से ज्यादातर बीमारियां असाध्य है और उसका कोई उपचार नहीं है। जिससे मरीजों को आजीवन मुश्किल भरा जीवन जीने को मजबूर होना पडता है।
दरअसल, दिल्ली-एनसीाआर के एक प्राइवेट अस्पताल और एक बायोटेक कंपनी ने मिलकर इस सुविधा की शुरूआत करने की घोषणा की है। जो इंसानी शरीर को प्रभावित करने वाली जेनेटिक बीमारियों के बारे में जानकारी देने में सक्षम होगा। इसे जुडे विशेषज्ञों का कहना है कि पहले से पता होने पर जेनेटिक बीमारियों के संभावित लोग अपने जीवन शैली और आहार में जरूरी सुधार कर उससे बचने की दिशा में कोशिश कर पाएंगे। यह तकनीक शरीर में ऐेसे मारकर्स की पहचान कर लेता है, जिनकी मौजूदगी से 90 प्रतिशत मामलों में जेनेटिक बीमारियां होती है। इस तकनीक को हेमाटो प्रेगन नाम दिया गया है। यह शरीर में आनुवंशिक सामग्री (RNA / DNA) आधारित परीक्षण है।
इसे भी पढें : अदाकारी पर भारी पड़ गई यह बीमारी
विशेषज्ञ बताते हैं कि COVID महामारी में बहुत से लोगों ने अपनी जान गंवाई या गंभीर रूप से बीमार हो गए। इनमें से बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिनका स्वास्थ्य कोविड होने से पहले अच्छा था लेकिन कोविड से उबरने के बाद भी उनकी शारीरिक परेशानियां कम नहीं हुई बल्कि बढती चली गई। कोरोना की चपेट में आने से पहले इन लोगों ने बेहतर जीवनशैली का पालन करते थे। नियमित व्यायाम करना, पौष्टिक आहार और बेहतर नींद लेने इनके रूटीन का हिस्सा था लेकिन कोविड की चपेट में आने के बाद उनका स्वास्थ्य लगातार प्रभावित रहने लगा। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसे ज्यादातर मामलों के पीछे स्पष्ट रूप से आनुवंशिक (जेनेटिक) विसंगतियाँ जिम्मेदार है। जिसे कोविड ने ट्रिगर कर दिया है। यानि, अनुवांसिक बीमारियों को बढावा देने वाले कारक उनके शरीर में मौजूद थे, जो कोविड के दुष्प्रभाव के चलते अब उनपर हावी हो गए। इनमें से कई ऐसे लोग भी हैं जो कोविड से उबरने के बाद भी किसी अन्य गंभीर बीमारी की चपेट में आने से अस्पताल में भर्ती हुए और इनमें से कई की मौत भी हो गई।
डॉ. सुभद्रा द्रविड़ के मुताबिक इस तकनीक से ज्यादातर लोगों को लाभ मिलेगा। इसपर व्यापक स्तर पर शोध और अध्ययन किया गया है। इसके बाद ही इस तकनीक को सार्वजनिक किया गया है। यह विश्लेषण सामान्य जीवनकाल में केवल एक बार आवश्यक करवाया जाना चाहिए। यह जांच किसी बीमारी से उबर चुके मरीजों के लिए भी बेहतर साबित हो सकता है। इस परीक्षण को किसी भी आय कोई आयु के व्यक्ति पर किया जा सकता है। इसके तहत व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत पोषण संबंधी आवश्यकताओं के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एकीकृत न्यूट्रीजेनोमिक्स विश्लेषण की भी सुविधा है।
इसे भी पढें : पैरालिसिस ठीक करने के लिए आई एशिया की पहली न्यूरोमॉडुलेशन तकनीक
क्या है HEMATO PREGEN :
हाईलाइट्स
HEMATO PREGEN 20,000+ जीनों का विश्लेषण करने में सक्षम है। जिन्हें भविष्य के बायोमार्कर के रूप में जाना जाता है। इस तकनीक में जीन विसंगतियों से उत्पन्न 90% बीमारियों को कवर किया जाता है। यह परीक्षण नेक्स्ट जेनरेशन/होल एक्सोम सीक्वेंसिंग (एनजीएस/डब्ल्यूईएस) और जीनपॉवरएक्स द्वारा मूल्यांकन पर आधारित है, जो एआई और एमएल टूल्स के साथ एक घरेलू प्रशिक्षित बायोइनफॉरमैटिक्स इंजन है और ब्रॉड इंस्टीट्यूट के मानव जीनोम के अनुरूप मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर, यूएसए द्वारा समर्थित है। रिपोर्ट में 45 दिनों तक का समय लगता है और उसके बाद क्लिनिक में एक पोस्ट-परामर्श सत्र की पेशकश की जाती है।