कई मॉर्डन मेडिसिन के समान Turmeric दिला सकती है राहत
नई दिल्ली। हल्दी के ज्यादातर औषधिए गुणों (Turmeric Benefits) से तो आप परिचित ही होंगे। यह एक लोकप्रिय और कई खूबियों वाला मसाला है। जिसे विशेषतौर पर एशिया में भारत और अफ्रिका में इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग लोग व्यंजनों में रंग और स्वाद जोडने के लिए इस्तेमाल करते हैं। हल्दी के बारे में सबसे आम जानकारी यह है कि यह बैक्टीरिया और सूजन रोधी (anti inflammatory) गुणों वाला मसाला है। साथ ही यह जोडों के दर्द और सूजन की स्थिति में आराम के लिए विशेषतौर से इस्तेमाल किया जाता है।
ओमेप्राजोल के टक्कर का असर दे सकता है हल्दी
आमतौर पर सीने में जलन या बदहजमी (indigestion) के लिए अदरक, सेब साइडर सिरका, जीरा, सौंफ आदि का सुझाव दिया जाता है। अब आप इस लिस्ट में हल्दी (Turmeric) को भी प्रमाणिक तौर पर शामिल कर सकते हैं। बदहजमी और अपच की स्थिति में राहत के संभावित गैर-फार्मास्युटिकल स्रोत (Non-Pharmaceutical Sources) के रूप में हल्दी अब वैज्ञानिकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है।
मेडिकल जर्नल एमबीजे द्वारा 11 सितंबर को जारी एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी है कि प्रिलोसेक जैसी लोकप्रिय दवाओं में एक दवा ओमेप्राज़ोल की जब हल्दी (Turmeric) से तुलना की गई तो उन्हें अपच के प्रबंधन में हल्दी की सफलता के शुरुआती संकेत मिले। यहां बता दें कि ओमेप्राज़ोल के लंबे समय तक उपयोग करने से मांसपेशियों में ऐंठन, हड्डी फ्रैक्चर, गले में खराश, मुंह में घाव और पेशाब संबंधी समस्याएं जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। अगर आगे के अध्ययनों में हल्दी वैज्ञानिकों के मानक (Standard) पर खडा उतरता है, तो यह एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
ऐसे किया अध्ययन
इस अध्ययन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों को तीन समूहों में विभाजित किया गया था। सिर्फ ओमेप्राज़ोल लेने वाले समूह, हल्दी लेने वाले समूह, और दोनों का संयोजन (Combination) लेने वाला समूह। अध्ययन में मरीजों के इस तीन समूहों के परिणाम के बीच कोई विशेष अंतर नहीं पाया गया। इसका अर्थ यह है कि दोनों ही उपचार के प्रभाव समान पाए गए। अध्ययन के मुख्य लेखक डॉ. क्रिट पोंगपिरुल ने सीएनएन से बातचीत में यह कहा है कि, “एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) उद्देश्यों के अलावा, करक्यूमिन/हल्दी और ओमेप्राज़ोल के असर की जब आपस में तुलना की गई तो हल्दी को भी अपच के इलाज के लिए एक संभावित विकल्प के तौर पर पाया गया।
हालाँकि, इस अध्ययन में हल्दी के छोटे (Turmeric) आकार के नमूने का उपयोग किया गया। इसलिए इसे सीमित जानकारियों वाला अध्ययन कहा जा रहा है। इस अध्ययन में हिस्सा लेने के लिए 206 मरीजों ने आवेदन किया था और 151 लोगों ने अध्ययन में हिस्सा लिया। अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि भले ही छोटे आकार के नमूने का प्रयोग किया गया लेकिन यह पहला अध्ययन है जिसमें परिणाम आशाजनक पाए गए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अध्ययन के परिणाम आगे के शोधकार्यों के लिए मार्गदर्शक साबित होंगे। जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं के उपचार में हल्दी के प्रभाव (Effects of turmeric in treating gastrointestinal problems) को लेकर और अधिक जानकारी सामने आ सकेगी।
अन्य रोगोें में भी उपयोगी है हल्दी (Turmeric Benefits)
हाल के वर्षों में, चिकित्सा वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने हल्दी के सक्रिय घटक (active ingredient), करक्यूमिन का मानव स्वास्थ्य पर क्या असर पडता है, इस विषय पर अध्ययन किया था। करक्यूमिन को पॉलीफेनोल (polyphenol) के रूप में भी जाना जाता है। शोध से पता चलता है कि सूजन और मांसपेशियों के दर्द में यह तत्व असरदार साबित हो सकता है।
वर्ष 2019 में किए गए एक अन्य अध्ययन में यह जानकारी मिली थी कि करक्यूमिन ने घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) के मरीजों के मामले में डाइक्लोफेनाक (diclofenac) की तुलना में समान रूप से दर्द में राहत प्रदान की, जो वोल्टेरेन और अन्य पेनकिलर्स में पाई जाने वाली एक गैर-स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेट्री तत्व (Non-steroidal anti-inflammatory agents) है।
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द अमेरिकन जर्नल ऑफ जेरियाट्रिक साइकिएट्री (The American Journal of Geriatric Psychiatry) द्वारा प्रकाशित वर्ष 2018 के अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर यह जानकारी भी मिली है कि हल्दी में पाए जाने वाले सक्रिय तत्वों ने वयस्कों की याददाश्त और ध्यान में सुधार करने की क्षमता को भी प्रदर्शित किया।
क्या अपच के लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जा सकता है
मौजूदा अध्ययन के आधार पर क्या हल्दी का उपयोग अपच के लिए किया जा सकता है? इस विषय पर विशेषज्ञों का मत है कि अभी यह अध्ययन शुरूआती अवस्था में है। इस बारे में अभी और अधिक प्रमाणिक जानकारी जुटाने की जरूरत है। इसके लिए आगे और भी अध्ययन किए जाऐंगे। कई बार बाजार में उपलब्ध हल्दी में मानक के मुताबिक मात्रा नहीं होती है। इसके कई कारण हो सकते हैं। हो सकता है कि जितना चाहिए, उतनी मात्रा आपके द्वारा खरीदे गए हल्दी में न हो। ऐसे में हल्दी का प्रयोग करने से पहले एक बार अपने विशेषज्ञ से भी सलाह अवश्य लें, इसके बाद ही किसी तरह का प्रयोग करें।
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