जानिए Type 1 vs Type 2 Diabetes के बीच क्या है अंतर
नई दिल्ली। Type 1 vs Type 2 Diabetes : भारत में मधुमेह (Diabetes) रोगियों की तादाद चिंताजनक रूप से बढती जा रही है। हर साल लाखों लोग इसके चपेट में आते जा रहे हैं।
अब तो यह स्वास्थ्य समस्या युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले रही है। आमतौर पर डायबिटीज दो प्रकार (Types of Diabetes) के होते हैं लेकिन डायबिटीज का एक तीसरा टाइप (Type 3 Diabetes) है, जिसे दुर्लभ श्रेणी की स्वास्थ्य समस्या (Rare Disease) माना जाता है। डायबिटीज खराब जीवनशैली, गलत खान-पान की वजह से होता है। हम यहां डायबिटीज टाइप 1, 2, 3 में अंतर (Type 1 vs Type 2 Diabetes) के साथ इसके लक्षण (Symptoms) और बचाव (Prevention) के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
क्या है टाइप 1 डायबिटीज | What is type 1 diabetes?
निगम स्वास्थ्य सेवा के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अजय कुमार के मुताबिक, इस टाइप की डायबिटीज को पहला स्टेज कहा जाता है। टाइप -1 में रोगी के शरीर का अग्नाशय (pancreas) या तो बेहद कम इंसुलिन का निर्माण करता है या फिर इससे इंसुलिन का उत्पादन बिल्कुल ठप हो जाता है। जेनेटिक कारणों या वायरस के संक्रमण से टाइप -1 डायबिटीज होने का जोखिम होता है।
डायबिटीज का यह टाइप बचपन या किशोरावस्था के दौरान ही उभरने लगता है। टाइप 1 डायबिटीज का प्रभावी उपचार (Effective treatment of type 1 diabetes) नहीं है। इसे इंसुलिन, संतुलित आहार और जीवनशैली में बदलाव के साथ शुगर के स्तर को नियंत्रित रखते हुए प्रबंधित किया जा सकता है।
क्या है टाइप 2 डायबिटीज | What is type 2 diabetes?
टाइप 2 डायबिटीज शरीर में खून का संचार (blood circulation) , तंत्रिका (nerve) और प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को प्रभावित करता है। डायबिटीज के इस स्टेज के मरीजों में पेंक्रियाज़ जरूरत के मुताबिक इंसुलिन का उत्पादन करने में असक्षम हो जाता है। 90 से 95 प्रतिशत लोग डायबिटीज के इसी टाइप से प्रभावित होते हैं। इसके चपेट मेंं आने की प्रमुख वजहों में मोटापा शामिल है। अनियंत्रित वजन के कारण अब टाइप-2 डायबिटीज युवाओं और बच्चों को भी होने लगा है।
Also Read : Olive Oil Benefits : सूजन कम करने और हड्डियों को मजबूतर रखने के लिए परफैक्ट है ऑलिव आयल, ऐसे करें इस्तेमाल
क्या है टाइप 3 डायबिटीज | What is type 3 diabetes?
टाइप 3 डायबिटीज दुर्लभ रोग (Rare Disease) की श्रेणी में आता है। कुछ मामलों में मरीज को डायबिटीज टाइप 3 (Type 3 diabetes) से पीड़ित तब माना जाता है, जब टाइप 2 डायबिटीज का मरीज इलाज के दौरान या इलाज के बाद अल्जाइमर (alzheimer’s) से प्रभावित होता है।
अल्जाइमर के मरीजों में स्मरण शक्ति (memory power) क्षीण होने लगती है। कई बार उसकी याद्दाश्त पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। ज़्यादातर यह टाइप एक खास तरह के इंसुलिन की कमी से होता है। इसके अलावा यह रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity to disease) का अपने ही शरीर पर हमलावर होने की वजह से भी हो सकता है।
इंसुलिन लगाने के बाद कई बार मरीज का दिमाग काम करना बंद कर देता है। ऐसे मरीजों को टाइप-3 श्रेणी का माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक टाइप 3 डायबिटीज सबसे गंभीर स्टेज है। आधिकारिक स्वास्थ्य संगठन (official health organization) इस स्टेज को स्वीकार नहीं करते हैं। यही कारण है कि ज्यादातर चिकित्सक नैदानिक (clinical) उद्देश्यों के लिए इसके नाम का उपयोग नहीं करते हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसुलिन प्रतिरोध मस्तिष्क में एमीलॉइड-बीटा पेप्टाइड्स (amyloid-beta peptides), सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव (oxidative stress) उत्पन्न करते हैं। इसके कारण मरीज डायबिटीज टाइप -3 की चपेट में आता है। अभी डायबिटीज की टाइप -3 को लेकर कई तरह के शोध और अध्ययनों का सिलसिला जारी है।
Also Read : Lifestyle Tips : डॉक्टर के पास या जांच कराने जाना हो रखें इन 12 बातों का ध्यान
टाइप 3 डायबिटीज के लक्षण | Symptoms of Type 3 Diabetes
स्मरण शक्ति के खोने की वजह से दैनिक कार्यों और सामाजिक और पारिवारिक संबंध प्रभावित होना।
कार्य करने में समस्या होना।
निर्णय करने में समस्या होना।
व्यक्ति के व्यक्तित्व या व्यवहार में अचानक परिवर्तन होना।
लिखने, बोलने और समझने में परेशानी होना।
टाइप-1 और 2 डायबिटीज के लक्षणों में होती है समानता
नज़रों से संबंधित समस्या
कमजोरी महसूस होना
बार-बार पेशाब आना (पॉलीयूरिया)
अधिक प्यास लगना
ज्यादा भूख लगना
मसूढ़ों से संबंधित समस्या
घावों का देर से भरना
संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता
हाथों या पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन
असामान्य रूप से वजन घटना या बढना
सांस की बदबू
डायबिटीज से बचने के लिए यह उपाए अपनाएं | Ways to avoid diabetes
खून में शर्करा को नियंत्रित रखने के लिए विशेष डाइट प्लान तैयार करें।
रोज नियमित रूप से व्यायाम करें।
आंखों का विशेष ध्यान रखें और नियमित जांच करवाएं।
अपने जीवन शैली में सकारात्मक परिवर्तन करें।
वजन नियंत्रित रखें।
तनाव से बचें और मेडिटेशन करें।
पर्याप्त नींद लें।
[table “5” not found /]