हेल्थ रिपोर्ट 2022 : हेल्थ के मामले में दुनिया में किस तरह की रही हलचल
लिवर और किडनी प्रत्यारोपण के बाद रोग मुक्त होकर जीवन जी रहे हैं लोग
नई दिल्ली। टीम डिजिटल : अंग प्रत्यारोपण (organ transplant) लिवर और किडनी जैसे महत्वपूर्ण अंगों के निष्क्रिय हो जाने के बाद जीवन का आखिरी विकल्प रह जाता है। मानव अंगों की उपलब्धता जरूरत से बेहद कम है, ऐसे में अंग प्रत्यारोपण की जटिलता को पार कर स्वस्थ जीवन जीने वाले ऐसे लोगों को हम सौभाग्यशाली मानें तो गलत नहीं होगा। दिल्ली के सरगंगाराम अस्पताल Sir gangaram hospital) में एक अनोखे मेले का आयोजन किया गया। जिसमें एक साथ 500 ऐसे लोग पहुंचे, जिन्हें अंग प्रत्यारोपण की तकनीक से मौत की मुंह से बाहर निकाला जा चुका है। जीवन का उपहार नाम से आयोजित इस मेले में अंग प्रत्यारोपण के बाद नई जिंदगी पाने वाले इतने सारे लोगों को एक साथ देखकर हर कोई भौंचक रह गया।
मरीजों ने सामाजिक कार्यक्रम और प्रदर्शन में लिया हिस्सा


डिपार्टमेंट ऑफ़ नेफ्रोलॉजी में वाइस-चेयरपर्सन डॉ. मनीष मलिक के मुताबिक, “ट्रांसप्लांट ने मरीजों के जीवन को बदल दिया ताकि वे एक सामान्य जीवन जी सकें और जीवन के इस उपहार का आनंद उठा सकें और अपने परिवार एवं समाज के लिए कुछ कर सकें। डिपार्टमेंट ऑफ़ सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड लिवर ट्रांसप्लांट में वाइस-चेयरपर्सन डॉ. उशस्त धीर ने कहा कि “ट्रांसप्लांट नए जीवन की शुरुआत है और आज हम अपने प्राप्तकर्ताओं के इस नए जीवन का जश्न उनके परिवारों की उपस्थिति में मना रहे हैं, जिसमें हमारे 5 साल के सबसे कम उम्र के प्रतिभागी और सबसे वरिष्ठ प्रतिभागी 73 साल की उम्र के शामिल हैं।” सामाजिक आयोजन का माहौल जीवन और सकारात्मकता से भरा था। परिवारों ने प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं द्वारा लाइव प्रदर्शन देखने का आनंद लिया।
प्रत्यारोपण के बाद नए जीवन की यात्रा मरीजों ने किया साझा


प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं (ट्रांसप्लांट रेसपिएंट्स) ने मंच पर कपल रैंप वॉक, बेबी शो (ट्रांसप्लांट के बाद बच्चा पैदा करने वाले), फैशन शो, गायन और नृत्य का प्रदर्शन किया। कई मरीजों ने ट्रांसप्लांट की अपनी यात्रा और नए जीवन को दूसरों के साथ साझा किया। मरीजों में से एक, तुषार रश्मी पंत, जिन्होंने सर गंगा राम अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट कराया था, ने अपनी प्रेरक कहानी साझा की और कहा, “मैं अपने ट्रांसप्लांट के बाद उत्तराखंड में सबसे सफल पीएमटी कोचिंग संस्थान चला रहा हूं छात्रों को भविष्य में डॉक्टर बनने के लिए और 12 घंटे से अधिक काम करता हूं।” एक किडनी ट्रांसप्लांट प्राप्तकर्ता बाले ज़मा सेन्ची ने कहा, “मैंने 10 साल पहले सर गंगा राम अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट कराया था और मैं ‘लॉ एंड आर्डर’ को बनाए रखने के अपने कर्तव्य को पूरा करके अपने देश की सेवा करने में सक्षम हूं और मैं नाइजीरिया में ‘डिप्टी जनरल ऑफ़ पुलिस’ के पद पर पदोन्नत हुआ हूं।”
जीवन रक्षक और जीवन बदलने वाली प्रक्रिया है अंग प्रत्यारोपण
अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) जीवन रक्षक और जीवन बदलने वाली प्रक्रिया दोनों है। हर साल, अनुमानित 1.5-2 लाख लोगों को गुर्दा प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसप्लांट) की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्ष 2022 में केवल 10000 में से एक ही प्राप्त करने में सक्षम थे। सालाना 80000 लोगों को यकृत प्रत्यारोपण (लिवर ट्रांसप्लांट) की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्ष 2022 में 3000 से कम ही प्राप्त करने में सक्षम थे। 10000 लोगों में से जिन्हें आवश्यकता थी, हृदय प्रत्यारोपण (हार्ट ट्रांसप्लांट) केवल 250 ही प्राप्त कर पाए थे। अधिकांश लोगों को लगता है कि प्रत्यारोपण के बाद का जीवन केवल दवाएं और अस्पताल का दौरा है लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक यह पूरी तरह सच नहीं है।
सर गंगा राम ट्रस्ट सोसाइटी के चेयरमैन डॉ. डी.एस. राणा, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे और डॉ. अजय स्वरूप, चेयरमैन (बोर्ड ऑफ़ मैनेजमेंट, सर गंगा राम हॉस्पिटल) ने सम्मानित अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं को प्रोत्साहन दिया। ‘ट्रांसप्लांट सोशल कार्यक्रम’ ने मरने के बाद अपने अंगों को गिरवी रखने का संदेश दिया। “दी इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिल्लेट्स 2023 (The international year of Millets 2023)” के को भी बढ़ावा दिया गया और लाइव काउंटर पर रसोइयों द्वारा बाजरा से बने स्वादिष्ट भोजन और स्नैक्स का प्रदर्शन किया गया।
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