एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS) की शुरूआती अवस्था से ही करें अभ्यास
Benefits of Vrikshasana in Ankylosing Spondylitis : एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS) में संपूर्ण शरीर को बीमारी के प्रभाव से बचाने के लिए वृक्षासन (tree pose) का नियमित अभ्यास (Regular practice of Vrikshasana) बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकता है। योगाभ्यास करना शारीरिक और मानिसक दोनों तरह से ही फायदेमंद हो सकता है।
हालांकि, इस दौरान (Ankylosing Spondylitis) विशेषरूप से यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि आपका पोश्चर, आसान और श्वास की गति सही रहे। इनमें गलती होने से नुकसान भी होने की आशंका बनी रहती है। वृक्षासन की मुद्रा बेहद सामान्य है, जिसे हम आसानी से कर सकते हैं। इसमें ज्यादा ट्विस्ट और टर्न भी शामिल नहीं है। जिसके कारण कोई भी व्यक्ति इसे आसानी से कर सकता है।
Ankylosing Spondylitis में वृक्षासन के फायदे
- वृक्षासन के नियमित अभ्यास से शारीरिक और भावनात्मक संतुलन बना रहता है।
- वृक्षासन पैरों, टखनों, पिंडलियों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है।
- इस आसन के नियमित अभ्यास से एकाग्रता से संबंधित समस्या में सुधार होता है।
- साइटिका या अन्य नर्व से संबंधित समस्याओं में भी यह योगाशन फायदेमंद है।
- वृक्षासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने के साथ उसके प्राकृतिक आकार को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
- यह आसन घुटने मजबूत बनाता है और हिप ज्वाइंट की कार्यक्षमता को बेहतर करता है।
- आंखों, कान और कंधों की मजबूती के लिए भी यह आसन लाभकारी है।
- इस आसन के जरिए छाती की चौडाई को बढाने में मदद मिलती है।
- यह फेफडों के कार्य में भी सुधार कर सकता है।
वृक्षासन के अभ्यास का सही तरीका | Correct way to practice Vrikshasana
- स्टेप 1- वृक्षासन के अभ्यास के लिए सीधे खड़े हो जाएं।
- स्टेप 2- अब दाहिने घुटने को मोड़कर दाएं पैर को बाईं जांघ पर रखें।
- स्टेप 3- बाएं पैर को सीधा रखें और शरीर का संतुलन बनाएं।
- स्टेप 4- हाथों को सिर के ऊपर उठाएं और हथेलियों को एक साथ मिलाकर नमस्ते की मुद्रा में लाएं।
- स्टेप 5- कुछ समय तक इसी अवस्था में रहें और फिर सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं।
अभ्यास के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां | Precautions to be taken during Vrikshasana practice
वृक्षासन का अभ्यास (Ankylosing Spondylitis) हर तरह से सुरक्षित है और हर कोई इसे आसानी से कर सकता है। लेकिन उच्च रक्तचाप (high blood pressure) की शिकायत वाले लोगों को डॉक्टरी सलाह के बाद ही इसे करना चाहिए। उच्च रक्तचाप वाले लोग वृक्षासन के अभ्यास के दौरान हाथों को छाती के पास रखते हुए नमस्ते की मुद्रा में आए लेकिन अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाने से बचें। जिन्हें वर्टिगो या माइग्रेन की शिकायत है, वे इस योगा अभ्यास से बचें।
वृक्षासन का सही समय | Right time for Vrikshasana
वृक्षासन का अभ्यास सुबह के वक्त करना फायदेमंद होता है। अगर समय न हो तो आप इसे शाम के वक्त भी कर सकते हैं लेकिन इसे भोजन करने के कम से कम 4 या 6 घंटे के बाद ही करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आसन करने से पहले शौच कर लिया गया हो और आसन करते वक्त पेट एकदम खाली हो।
विडियो देखें :
Also Read : AYUSHMAN YOJANA : आयुष्मान योजना (PMJAY) के तहत जुडी एक और नई सुविधा, बदल जाएगी कई मरीजों की जिंदगी
वृक्षासन से पहले और बाद में कौन सा आसन लाभकारी
वृक्षासन के अभ्यास से पहले त्रिकोणासन, वीरभद्रासन 2 और बद्ध कोणासन करना लाभकारी बताया जाता है। ध्यान रहे कि वृक्षासन के अभ्यास के बाद खड़े होकर किए जाने वाले योगासन ही किया जाना चाहिए।