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नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन वेबसाइट के मुताबिक 1961 में पहली बार ऑस्ट्रेलियाई की एक आदिवासी महिला के शरीर में ये ब्लड ग्रुप पाया गया था। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टर जीएच वोज और उनके साथियों ने इसके बारे में डिटेल रिपोर्ट तैयार किया था। इस रिपोर्ट को इसी साल पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका में पब्लिश किया गया था। इससे पहले डॉक्टरों का मानना था कि Rh एंटीजन के बिना बच्चे जिंदा नहीं पैदा हो सकते हैं।