दुनियाभर की 800 करोड आबादी में इंसानों के शरीर में 8 प्रकार के ब्लड ग्रुप पाए जाते हैं :

A+

A-

B+

B-

O+

O-

AB+

AB-

लेकिन एक ऐसा और भी ब्लड ग्रुप है, जो दुनिया के सिर्फ 45 लोगों के शरीर में है।

इस ब्लड ग्रुप का नाम है- ‘गोल्डन ब्लड’

गोल्डन ब्लड ग्रुप क्या है?

यह इंसानों के शरीर में पाए जाने वाला एक रेयर ब्लड ग्रुप है। इसका दूसरा नाम आरएच नल (Rhnull) है। यह खून किसी भी ब्लड ग्रुप वाले इंसानों के शरीर में चढ़ाया जा सकता है। इस ग्रुप का खून बहुत ही कम लोगों के शरीर में पाया जाता है। यही कारण है कि इसे रेयर यानी दुर्लभ कहते हैं।

Rhnull को गोल्डन ब्लड ग्रुप क्यों कहा जाता है?

भले ही दुनिया के 45 लोगों के शरीर में ये ब्लड ग्रुप मिला हो, लेकिन इसके डोनर अब भी दुनिया में सिर्फ 9 लोग हैं। मतलब ये हुआ कि गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले 36 लोग ऐसे हैं जो या तो इस स्थिति में नहीं हैं कि वे अपना ब्लड डोनेट कर सकें, या फिर वे स्वेच्छा से अपना ब्लड डोनेट करने के लिए तैयार नहीं हैं।

गोल्डन ब्लड को Rhnull क्यों कहा जाता है?

गोल्डन ब्लड को Rhnull इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये खून उसी शख्स के शरीर में पाया जाता है, जिनका Rh फैक्टर null होता है।

कुछ ही लोगों के शरीर में गोल्डन ब्लड क्यों पाया जाता है?

गोल्डन ब्लड ग्रुप जेनेटिक म्युटेशन की वजह से होता है। आमतौर पर ऐसे लोगों के शरीर में RHAG जीन के म्युटेशन की वजह से होता है। किसी इंसान के शरीर में इस बल्ड ग्रुप्स के पाए जाने की मुख्यतौर पर दो वजह सामने आई हैं…

जेनेटिक म्युटेशन की वजह से ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लोगों में ट्रांसफर होता है।नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन वेबसाइट के मुताबिक चचेरे भाई, भाई-बहन, या किसी निकट या दूर के रिश्तेदार के बीच शादी होने की वजह से भी उनके बच्चों में गोल्डन ब्लड पाए जाने की संभावना होती है।

पहली बार गोल्डन ब्लड कहां देखा गया था?

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन वेबसाइट के मुताबिक 1961 में पहली बार ऑस्ट्रेलियाई की एक आदिवासी महिला के शरीर में ये ब्लड ग्रुप पाया गया था। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टर जीएच वोज और उनके साथियों ने इसके बारे में डिटेल रिपोर्ट तैयार किया था। इस रिपोर्ट को इसी साल पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका में पब्लिश किया गया था। इससे पहले डॉक्टरों का मानना था कि Rh एंटीजन के बिना बच्चे जिंदा नहीं पैदा हो सकते हैं।

गोल्डन ब्लड ग्रुप वालों के लिए क्या कोई खतरा होता है?

गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले इंसानों के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होती है। इसकी वजह से शरीर में पीलापन और रेड ब्लड सेल्स कम होने का खतरा बना रहता है। इस ब्लड ग्रुप वाले ज्यादातर लोग एनीमिया बीमारी के शिकार पाए गए हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि अगर मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के शरीर में गोल्डन ब्लड हो तो गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इस तरह के लोगों के किडनी फेल्योर होने की संभावना भी ज्यादा होती है।

क्या गोल्डन ब्लड ग्रुप की तरह कोई और दुर्लभ ब्लड ग्रुप है?

गोल्डन ब्लड ग्रुप की तरह ही एक और दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, जिसका नाम- बॉम्बे ब्लड ग्रुप है। गंगाराम अस्पताल के ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. विवेक रंजन के मुताबिक, हमारे खून में मौजूद लाल रक्त कणिकाओं में कुछ शुगर मॉलिक्यूल्स होते हैं, जो ये निर्धारित करते हैं कि किस व्यक्ति का ब्लड ग्रुप क्या होगा। बॉम्बे ब्लड ग्रुप के लोगों में शुगर मॉलिक्यूल्स नहीं बन पाते हैं, इसलिए इनमें कैपिटल एच एंटीजन नहीं होता और वो किसी भी ब्लड ग्रुप में नहीं आते हैं।

इस ब्लड ग्रुप के बारे में संकल्प इंडिया फाउंडेशन में बॉम्बे ब्लड ग्रुप की इंचार्ज कुमारी अंकिता बताती हैं कि भारत में 10 हजार लोगों में एक व्यक्ति इस ब्लड ग्रुप का पाया जाता है। ऐसे में यह काफी दुर्लभ ब्लड ग्रुप माना जाता है।

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